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पोठिया प्रखंड क्षेत्र में नवरात्रि के 7वें दिन मां कालरात्रि की हुई पूजा, मंदिरों के खुले पट, दर्शन को उमड़े भक्त।

सारस न्यूज टीम, पोठिया।

पोठिया प्रखंड क्षेत्र में प्रसिद्ध सार्वजनिक रायपुर दुर्गा मंदिर का इतिहास लगभग 171 वर्ष पुरानी बतायी जाती है। प्रखंड क्षेत्र में सबसे पहले मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर रायपुर से ही दुर्गा पूजा शुरू की गई थी। ऐसा स्थानीय श्रद्धालुओं का कहना है। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक है। यहां सच्चे मन से मांगी गई मुरादें पूरी होती है। रायपुर गांव निवासी स्वर्गीय कृष्णा प्रसाद दास की पहल पर पूजा प्रारंभ हुई थी। इसके पश्चात पूजा का दायित्व इन्हीं के वंशज स्वर्गीय दुर्योधन दास, देशबंधु दास के बाद स्वर्गीय श्याम सुंदर दास भी लगातार कई वर्षों तक पूजा का कार्यभार संभालते रहे और अब वर्तमान में श्याम सुंदर दास के पुत्र निर्मल दास तथा पौत्र पूजा कमेटी की कमान बतौर अध्यक्ष के रूप में संभाल रहे हैं।

निर्मल दास ने बताया पूजा पूरे विधि-विधान के साथ पंडित प्रदीप झा द्वारा संपन्न कराई जाती है। शुरुआत में फूस के घर में मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित कर पूजा-अर्चना की गई थी। षष्ठी पूजा के दिन से मंदिर का पट खोलने की परंपरा आज तक यहां लागू है। यहां एक दिवसीय मेला भी लगाया जाता है। रायपुर दुर्गा मंदिर का स्वरूप वर्ष 1971 को फूस से टीना का तथा वर्ष 2000 में टीना से पक्का मंदिर का निर्माण कर पूजा की जा रही है।

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