बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के बगहा गांव में एक व्यक्ति ने प्रकृति के प्रति अपने प्रेम के कारण अविवाहित रहने के लिए भीष्म प्रतिज्ञा लिया है। ताकि वह अपना पूरा समय अधिक से अधिक पौधे लगाने और बड़े पेड़ों को लकड़हारों से बचाने में लगा सके। बगहा प्रखंड के पिपरा गांव निवासी 40 वर्षीय गजेंद्र यादव ने कहा कि उनके परिवार के लोग उन पर शादी करने का काफी दबाव डालते थे। लेकिन उन्होंने परिवार की बात और उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया। परिवार के लोग उनकी शादी कराने में असफल हो गए।
बगहा के एक इलाके को गजेंद्र यादव ने पूरी तरह से हरा-भरा कर दिया है। बचपन से ही पेड़-पौधों से लगाव रखने वाले इस शख्स की मेहनत और लगन का परिणाम है कि तिरहुत कैनाल नहर, दोन कैनाल नहर के साथ इनका गांव हरा-भरा दिखने लगा है। गजेंद्र पेड़ों के साथ हर वर्ष होली मनाते हैं।
गजेंद्र ने अब तक शादी नहीं की है। वे बताते हैं कि पौधे ही हमारी संतान हैं। शादी करने के बाद सामाजिक उलझने बढ़ जाएगी। इसकी वजह से इस काम से मेरा मन भटक जाएगा। यही कारण है कि शादी नहीं करेंगे।
गजेंद्र गांव के ग्रामीणों को जागरूक कर 8 से 10 ग्रामिणो की एक टीम बनाते हैं। फिर अपने पास से पौधा देकर गांव के आसपास खाली जगह और किसानों की भूमि पर पौधारोपण का काम करवाते हैं।
सारस न्यूज, पश्चिम चंपारण।
बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के बगहा गांव में एक व्यक्ति ने प्रकृति के प्रति अपने प्रेम के कारण अविवाहित रहने के लिए भीष्म प्रतिज्ञा लिया है। ताकि वह अपना पूरा समय अधिक से अधिक पौधे लगाने और बड़े पेड़ों को लकड़हारों से बचाने में लगा सके। बगहा प्रखंड के पिपरा गांव निवासी 40 वर्षीय गजेंद्र यादव ने कहा कि उनके परिवार के लोग उन पर शादी करने का काफी दबाव डालते थे। लेकिन उन्होंने परिवार की बात और उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया। परिवार के लोग उनकी शादी कराने में असफल हो गए।
बगहा के एक इलाके को गजेंद्र यादव ने पूरी तरह से हरा-भरा कर दिया है। बचपन से ही पेड़-पौधों से लगाव रखने वाले इस शख्स की मेहनत और लगन का परिणाम है कि तिरहुत कैनाल नहर, दोन कैनाल नहर के साथ इनका गांव हरा-भरा दिखने लगा है। गजेंद्र पेड़ों के साथ हर वर्ष होली मनाते हैं।
गजेंद्र ने अब तक शादी नहीं की है। वे बताते हैं कि पौधे ही हमारी संतान हैं। शादी करने के बाद सामाजिक उलझने बढ़ जाएगी। इसकी वजह से इस काम से मेरा मन भटक जाएगा। यही कारण है कि शादी नहीं करेंगे।
गजेंद्र गांव के ग्रामीणों को जागरूक कर 8 से 10 ग्रामिणो की एक टीम बनाते हैं। फिर अपने पास से पौधा देकर गांव के आसपास खाली जगह और किसानों की भूमि पर पौधारोपण का काम करवाते हैं।
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