एक ही आंगनवाड़ी केंद्र मे मां और पुत्री पर कब्जा करने का लगाया आरोप।
किशनगंज: ठाकुरगज़ प्रखण्ड अन्तर्गत सखुआडाली पंचायत के वार्ड 11 के ग्रामीणों ने किशनगंज समाहरणालय पहुंचकर जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री एवं अनुमंडल पदाधिकारी अमिताभ कुमार गुप्ता जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के नाम आवेदन सौंपा है। ग्रामीणों एवं आदिवासी समुदाय के लोगों ने हाथ में बैनर लेकर बिहार सरकार न्याय करें, आदिवासी समाज को न्याय दे, जन वितरक चितरंजन सिंह के अनुज्ञप्ति को जब्त करें, जिला प्रशासन न्याय करें, लिख कर आक्रोश जाहिर किया।
आवेदन में 83 ग्रामीणों ने हस्ताक्षर कर जिक्र क्या है कि जन वितरक चितरंजन सिंह की अनुज्ञाप्ति का रद्दीकरण कोरोना काल में घोर अनियमिता एवं कार्डधारियों से अभद्र व्यवहार के मामले में किया गया था। कोरोना काल के समय जो अनाज मुफ्त में देने का आदेश केन्द्र सरकार द्वारा किया गया था उनके द्वारा इसका भी रूपया वसूला जाता था तथा राशन कार्ड के अनुसार कभी भी हमलोगों को राशन नहीं मिल पाता था। हम सभी ग्रामवासी जब दोबारा उनके पास जाकर उन्हें कहते थे कि हमलोगों को राशन कार्ड के अनुसार राशन दिया जाए तो जन वितरक चितरंजन सिंह एवं उनके दोनों पुत्र हमलोगों को धमकी देते हुए कहते थे कि हम जितना राशन देते हैं उतना ही लेना पड़ेगा वरना यो भी नहीं मिल पायेगा इससे पूर्व भी कई बार उनपर आरोप लग चुका है। रात्रि के समय जब वो अनाज को छुपा कर बेचने ले जाते थे तब भी हम सभी ग्रामीणों ने तीन से चार-बार उन्हें पकड़ा एवं एक बार किरोसीन तेल में पानी मिलाकर कार्डधारियों को वितरण करते हुए भी पकड़ा जा चुका है। जब हमलोग ने किसी पदाधिकारी के पास उनके खिलाफ शिकायत करने की आवाज उठाई तो चितरंजन सिंह एवं उनके दोनों पुत्र हमलोगों के घर आकर धमकिया देते हुए कहते थे कि तुमलोगों को जहाँ जाना है जाओ कहीं पर जाकर मेरी शिकायत कर सकते हो, कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उनके द्वारा दिए जा रहे इन्हीं धमकियों के डर से आज तक हमलोग चुप थे और उनके अत्याचार को सहते रहे और जब कोरोना काल में काफी संकट आया और हमलोगों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा था, तब भी उनके द्वारा हमलोगों का हक छीना जा रहा था। तब जाकर हम सभी ग्रामीणों ने दूरभाष के माध्यम से जिला पदाधिकारी को आवेदन दिया और उसके बाद ठाकुरगंज प्रखण्ड के प्रखण्ड आपूर्ति पदाधिकारी जाँच पर गए और सभी आवेदनकारी ने मिलकर जन वितरक चितरंजन के खिलाफ बयान दिया। जिसके बाद इनकी अनुज्ञाप्ति को रद्द किया गया था।
लोगों का यह भी कहना है कि जन वितरक चितरंजन सिंह की धर्मपत्नी को आँगनबाड़ी केन्द्र की सेविका रहते हुए भी उन्हीं की पुत्री को उसी आँगनबाड़ी केन्द्र का सहायिका बना दिया गया है। जबकि पारिवारिक सम्बंध माँ और पुत्री होते हुए उनलोगों के द्वारा आँगनबाड़ी केन्द्र पर कब्जा भी कर लिया गया है। इस पर भी निष्पक्ष जाँच की जाए एवं कठोर से कठोर कारवाई की जाए। हम सभी ग्रामिणों का कहना है कि चितरंजन सिंह ने न सिर्फ जनता को ठगा है। इसके साथ – साथ सरकार और कानून दोनों को ठगने का काम किया गया है क्योकि चितरंजन सिंह एवं उनके दोनों पुत्र एक दबंग किस्म के व्यक्ति है। यदि उन्हें फिर से बहाल किया जाता है तो, हम सभी ग्रामीणों में भय – डर का माहौल बना रहेगा। उनके मनमानी के खिलाफ भविष्य में फिर से कभी आवेदन नहीं कर पायेंगे। उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखकर हम सभी ग्रामीणों के साथ न्याय करते हुए आरोपी जन वितरक चितरंजन सिंह को पुनःबहाल न किया जाय एवं उनकी पत्नी एवं पुत्री जो एक ही आँगनबाड़ी केन्द्र की सेविका एवं सहायिका इसकी स्थलीय जाँच की जाय।
सारस न्यूज, ठाकुरगंज।
एक ही आंगनवाड़ी केंद्र मे मां और पुत्री पर कब्जा करने का लगाया आरोप।
किशनगंज: ठाकुरगज़ प्रखण्ड अन्तर्गत सखुआडाली पंचायत के वार्ड 11 के ग्रामीणों ने किशनगंज समाहरणालय पहुंचकर जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री एवं अनुमंडल पदाधिकारी अमिताभ कुमार गुप्ता जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के नाम आवेदन सौंपा है। ग्रामीणों एवं आदिवासी समुदाय के लोगों ने हाथ में बैनर लेकर बिहार सरकार न्याय करें, आदिवासी समाज को न्याय दे, जन वितरक चितरंजन सिंह के अनुज्ञप्ति को जब्त करें, जिला प्रशासन न्याय करें, लिख कर आक्रोश जाहिर किया।
आवेदन में 83 ग्रामीणों ने हस्ताक्षर कर जिक्र क्या है कि जन वितरक चितरंजन सिंह की अनुज्ञाप्ति का रद्दीकरण कोरोना काल में घोर अनियमिता एवं कार्डधारियों से अभद्र व्यवहार के मामले में किया गया था। कोरोना काल के समय जो अनाज मुफ्त में देने का आदेश केन्द्र सरकार द्वारा किया गया था उनके द्वारा इसका भी रूपया वसूला जाता था तथा राशन कार्ड के अनुसार कभी भी हमलोगों को राशन नहीं मिल पाता था। हम सभी ग्रामवासी जब दोबारा उनके पास जाकर उन्हें कहते थे कि हमलोगों को राशन कार्ड के अनुसार राशन दिया जाए तो जन वितरक चितरंजन सिंह एवं उनके दोनों पुत्र हमलोगों को धमकी देते हुए कहते थे कि हम जितना राशन देते हैं उतना ही लेना पड़ेगा वरना यो भी नहीं मिल पायेगा इससे पूर्व भी कई बार उनपर आरोप लग चुका है। रात्रि के समय जब वो अनाज को छुपा कर बेचने ले जाते थे तब भी हम सभी ग्रामीणों ने तीन से चार-बार उन्हें पकड़ा एवं एक बार किरोसीन तेल में पानी मिलाकर कार्डधारियों को वितरण करते हुए भी पकड़ा जा चुका है। जब हमलोग ने किसी पदाधिकारी के पास उनके खिलाफ शिकायत करने की आवाज उठाई तो चितरंजन सिंह एवं उनके दोनों पुत्र हमलोगों के घर आकर धमकिया देते हुए कहते थे कि तुमलोगों को जहाँ जाना है जाओ कहीं पर जाकर मेरी शिकायत कर सकते हो, कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उनके द्वारा दिए जा रहे इन्हीं धमकियों के डर से आज तक हमलोग चुप थे और उनके अत्याचार को सहते रहे और जब कोरोना काल में काफी संकट आया और हमलोगों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा था, तब भी उनके द्वारा हमलोगों का हक छीना जा रहा था। तब जाकर हम सभी ग्रामीणों ने दूरभाष के माध्यम से जिला पदाधिकारी को आवेदन दिया और उसके बाद ठाकुरगंज प्रखण्ड के प्रखण्ड आपूर्ति पदाधिकारी जाँच पर गए और सभी आवेदनकारी ने मिलकर जन वितरक चितरंजन के खिलाफ बयान दिया। जिसके बाद इनकी अनुज्ञाप्ति को रद्द किया गया था।
लोगों का यह भी कहना है कि जन वितरक चितरंजन सिंह की धर्मपत्नी को आँगनबाड़ी केन्द्र की सेविका रहते हुए भी उन्हीं की पुत्री को उसी आँगनबाड़ी केन्द्र का सहायिका बना दिया गया है। जबकि पारिवारिक सम्बंध माँ और पुत्री होते हुए उनलोगों के द्वारा आँगनबाड़ी केन्द्र पर कब्जा भी कर लिया गया है। इस पर भी निष्पक्ष जाँच की जाए एवं कठोर से कठोर कारवाई की जाए। हम सभी ग्रामिणों का कहना है कि चितरंजन सिंह ने न सिर्फ जनता को ठगा है। इसके साथ – साथ सरकार और कानून दोनों को ठगने का काम किया गया है क्योकि चितरंजन सिंह एवं उनके दोनों पुत्र एक दबंग किस्म के व्यक्ति है। यदि उन्हें फिर से बहाल किया जाता है तो, हम सभी ग्रामीणों में भय – डर का माहौल बना रहेगा। उनके मनमानी के खिलाफ भविष्य में फिर से कभी आवेदन नहीं कर पायेंगे। उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखकर हम सभी ग्रामीणों के साथ न्याय करते हुए आरोपी जन वितरक चितरंजन सिंह को पुनःबहाल न किया जाय एवं उनकी पत्नी एवं पुत्री जो एक ही आँगनबाड़ी केन्द्र की सेविका एवं सहायिका इसकी स्थलीय जाँच की जाय।
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