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स्वास्थ्य विभाग ने आरएसबीके योजना के तहत गंभीर बीमारियों से ग्रसित तीन बच्चों को इलाज के लिए किशनगंज से भेजा एम्स पटना।


सारस न्यूज, किशनगंज। 

स्वास्थ्य सुविधा बेहतर करने के लिए जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग ने जिले के पोठिया प्रखंड के कालियागंज ग्राम की 07 वर्षीय बच्ची खुशी कुमारी झा (विज़न इमापैर्मेंट), नदिया गाछी के 06 वर्षीय अहमद राजा ( लैंग्वेज डिले ) तथा चिचुआबारी ग्राम के 01 वर्षीय अयान राजा ( न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट) की गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों को पटना भेजा गया है। उक्त बातों की जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डॉ. कौशल किशोर ने बताया कि तीनों बच्चे को जिला में कार्यरत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के डिस्ट्रिक्ट अर्ली इन्वेंशन सेंटर (डीईआईसी) के माध्यम से सदर अस्पताल से एम्बुलेंस से एम्स पटना भेजा गया है। जहां इनका सफल इलाज होगा।

सिविल सर्जन डॉ.कौशल किशोर ने बताया कि न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट दिमाग, स्पाइनल कॉर्ड और रीढ़ की हड्डी की जन्मजात विकृति है। यह तब दिखता है, जब दिमाग और रीढ़ की हड्डी में ऐसा विकार बन जाए कि यह पूर्ण रूप से बंद होने में विफल हो जाए। न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट गर्भावस्था के पहले 5 हफ्तों में ही हो जाता है। यह बहुत ही गंभीर जन्मजात रोग है।

आरबीएसके जिला समन्वयक डॉ. डॉ. ब्रहमदेव शर्मा ने बताया कि पूरी जांच और ऑपरेशन की प्रक्रिया आरबीएसके टीम द्वारा ही की जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया में परिजनों को किसी तरह का कोई भी खर्च नहीं करना पड़ेगा। ऑपरेशन के बाद भी बच्चे की फीडबैक के लिए टीम के द्वारा उनके घर जाकर नियमित जानकारी ली जाती है। आरबीएसके टीम बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए नियमित रूप से कार्यरत है। उनके मुताबिक पटना एम्स में आरबीएसके समन्वयक डॉ. केशव किशोर की देखरेख में बच्चे का सफल इलाज करवाया जायेगा । सफल इलाज के बाद सभी प्रकार की जांच व दवाई दी जाती है।

सिविल सर्जन डॉ. कौशल किशोर ने बताया कि इन बच्चों का राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सफल इलाज किया जाएगा। इसके लिए जिले के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की पूरी टीम धन्यवाद की पात्र है। जिन्होंने बच्ची के ह्रदय एवं अन्य इलाज के लिए स्क्रीनिंग का कार्य किया है। 18 साल तक के बच्चों को किसी प्रकार की गंभीर समस्या होने पर आईजीआईएमएस, एम्स, पीएमसीएच इलाज के लिए भेजा जाता है। टीम में शामिल एएनएम, बच्चों का वजन, उनकी लंबाई व सिर एवं पैर आदि की माप आदि करती हैं। फॉर्मासिस्ट, रजिस्टर में स्क्रीनिंग किये गये बच्चों का ब्योरा तैयार करते हैं।

आरबीएसके के जिला समन्वयक डॉ. ब्रहमदेव शर्मा ने बताया कोरोना काल में न्यूरल ट्यूबे डीफेक्ट के सफल इलाज के लिए भेजने में आरबीएसके टीम का बहुत बड़ा सहयोग रहा है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 30 रोगों के इलाज के लिए स्क्रीनिंग के लिए पूरी टीम जिले में मुस्तैदी से कार्यरत है। जिले में बाल हृदय योजना से 10 बच्चों को नया जीवनदान मिला है। इस योजना के तहत बच्चों को निःशुल्क सर्जरी के साथ ही आवश्यक दवाएं भी उपलब्ध करायी जाएगी।

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