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बिहार पुलिस के लिए नई स्थानांतरण नीति: गृह जिले में पोस्टिंग और दोबारा तैनाती पर पाबंदी।

सारस न्यूज़, वेब डेस्क।

बिहार पुलिस में सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर रैंक तक के अधिकारियों की नई स्थानांतरण नीति के अनुसार, अब इन अधिकारियों को उनके गृह जिले या क्षेत्र में पोस्टिंग नहीं दी जाएगी। इसके अलावा, किसी भी जिले या क्षेत्र में दोबारा तैनाती की अनुमति नहीं होगी, चाहे पहला कार्यकाल कितना भी छोटा क्यों न रहा हो।

नई स्थानांतरण नीति का प्रारूप तैयार:
बिहार पुलिस मुख्यालय ने इस नई स्थानांतरण नीति का प्रारूप तैयार कर लिया है। इस प्रारूप को सभी जिलों के आइजी और डीआईजी को भेजा गया है, और उनसे इस पर स्पष्ट मंतव्य देने को कहा गया है। जिला एसपी को निर्देश दिया गया है कि वे पुलिस सभा आयोजित कर पुलिसकर्मियों और पदाधिकारियों से सुझाव और मंतव्य प्राप्त करें।

कार्यकाल की अवधि:
नई नीति के अनुसार, सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक के अधिकारियों का एक जिले में अधिकतम कार्यकाल पांच साल होगा। इसके अलावा, एक क्षेत्र या इकाई में अधिकतम कार्यकाल आठ साल निर्धारित किया गया है। यदि किसी अधिकारी ने एक से अधिक कार्यकालों में किसी क्षेत्र या इकाई में काम किया है, तो उन सभी कार्यकालों को मिलाकर अवधि की गणना की जाएगी।

स्थानांतरण प्रक्रिया:
स्थानांतरण रैंडमाइज्ड सॉफ्टवेयर के माध्यम से किया जाएगा। क्षेत्र से जिलों का आवंटन आइजी या डीआईजी की अध्यक्षता में गठित जिलावधि पूर्ण स्थानांतरण समिति द्वारा सात दिनों के अंदर किया जाएगा। यह स्थानांतरण वर्ष में केवल एक बार किया जा सकेगा।

ऐच्छिक पदस्थापन की नीति:
नीति के तहत, पति-पत्नी के एक ही कार्यस्थल पर पदस्थापन, बच्चों की पढ़ाई या परिवार की देखभाल के लिए किए जाने वाले ऐच्छिक पदस्थापन को अधिकतम आठ साल के लिए अनुमति दी जाएगी। इस अवधि से अधिक समय के लिए ऐच्छिक पदस्थापन की अनुमति नहीं होगी।

यह नई नीति बिहार पुलिस के कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और बेहतर प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो पदाधिकारियों की तैनाती को अधिक व्यवस्थित और निष्पक्ष बनाएगी।


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