बिहार बोर्ड टॉपर घोटाले के आरोपी और विवादित नाम अमित कुमार उर्फ बच्चा राय ने लगभग एक महीने पहले राष्ट्रीय राजनीतिक दल ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) में शामिल होने की घोषणा की है। उनकी पार्टी के साथ इस जुड़ाव की पुष्टि करते हुए, उन्होंने महुआ विधानसभा क्षेत्र से AIMIM का संभावित उम्मीदवार बनने का दावा भी किया है।
पृष्ठभूमि—टॉपर घोटाला
- वर्ष 2016 में बिहार बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षा में टॉपर बनाए गए छात्रों – जैसे रूबी राय (Arts) एवं सौरभ श्रेष्ठ (Science) – से जब पत्रकारों ने सवाल किए गए, तो उन्होंने अपने विषयों के मूल प्रश्नों के जवाब नहीं दे पाए। इससे यह खुलासा हुआ कि अंकगणना और टॉपर सूची में अवैध हस्तक्षेप हुआ है।
- इस घोटाले को राज्य में शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा करने वाला मामला माना गया।
- जांच के दौरान बच्चा राय को आरोपी के रूप में नामित किया गया और उन पर संपत्ति अर्जन, भ्रष्टाचार, फर्जीवाड़े आदि आरोप लगे।
- प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनकी कई संपत्तियों को अटैच किया है।
AIMIM में शामिल होना एवं राजनीतिक दांव
बच्चा राय के AIMIM में शामिल होने की सूचना और महुआ सीट से प्रत्याशी बनने की दावेदारी ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।
उनका कहना है कि वे इस क्षेत्र को हल करने वाले मुद्दों — शिक्षा, बेरोजगारी, सामाजिक न्याय आदि — को लेकर काम करना चाहते हैं। AIMIM की स्थानीय इकाई ने अभी तक उनकी उम्मीदवारी को आधिकारिक रूप से घोषित नहीं किया है, लेकिन पार्टी का समीकरण बदल सकता है।
राजनीतिक विश्लेषक इस कदम को इस तरह देख रहे हैं —
- यह AIMIM के लिए बिहार में अपनी पैठ मजबूत करने का संकेत हो सकता है।
- इसके अलावा, घोटाले से विवादित नाम को राजनीतिक रंग देना, जनता की नजर और प्रतिक्रियाएँ दोनों ही महत्त्वपूर्ण होंगी।
- विपक्षी पार्टियाँ इस कदम को निशाने पर ले सकती हैं, तर्क देंगे कि ऐसे नामों को राजनीतिक इज्जत देना लोकतांत्रिक मूल्य और नैतिकता के खिलाफ है।
चुनौती और संभावनाएँ
चुनौतियाँ
- घोटाले की कानूनी पृ‑क्रीयाएँ अभी भी लंबित हैं। यदि अदालत में आरोप सिद्ध हो जाते हैं, तो बीजेपी या अन्य विरोधी दल इस मामले को चुनाव प्रचार में हथियार बना सकते हैं।
- सार्वजनिक मत में नकारात्मक धारणा बनी हो सकती है — “भ्रष्टाचार” आरोपी को राजनीति में लाना अच्छी छवि नहीं दे सकता।
संभावनाएँ
- यदि बच्चा राय अपने दावों को विश्वसनीयता से पेश कर पाएँ — उदाहरण स्वरूप सामाजिक कल्याण कार्य, क्षेत्रीय मुद्दों पर सक्रियता — तो उन्हें कुछ समर्थन मिल सकता है।
- AIMIM के बिहार राजनीति में विस्तार के लिहाज़ से यह एक रणनीतिक कदम हो सकता है, खासकर मुस्लिम और पिछड़े वर्ग की राजनीति को जोड़ने की कोशिश में।