प्रशांत किशोर की पीएम मोदी और अमित शाह को चुनौती – कहा, बताएं क्या नीतीश ही होंगे मुख्यमंत्री; बोले – जिन्हें पीएम का नाम याद नहीं, उन्हें 13 करोड़ जनता पर थोपा गया है।
जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने अपने एक दिवसीय पूर्वी चंपारण दौरे के दौरान एक प्रेस वार्ता में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को खुली चुनौती दी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सवाल किया कि यदि भाजपा को नीतीश कुमार पर इतना भरोसा है, तो चुनाव से पहले यह स्पष्ट क्यों नहीं कहते कि चुनाव जीतने के बाद वही मुख्यमंत्री बनेंगे?
प्रशांत किशोर ने महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां चुनाव में एकनाथ शिंदे को चेहरा बनाकर वोट मांगे गए, लेकिन परिणाम आने के बाद भाजपा ने अपने नेता को मुख्यमंत्री बना दिया। उन्होंने आशंका जताई कि कहीं बिहार में भी वैसा ही खेल न हो।
इस दौरान प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “जिस व्यक्ति को मंच से प्रधानमंत्री का नाम तक याद नहीं रहता, उसे राज्य की बागडोर सौंप दी गई है। एक सिपाही बनने के लिए फिटनेस टेस्ट जरूरी होता है, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के लिए कोई मानसिक या शारीरिक जांच क्यों नहीं?”
किशोर ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार को अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों और विभागों के नाम तक याद नहीं रहते। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार कभी किसी अधिकारी के सिर पर गमला रख देते हैं, तो कभी राष्ट्रगान के बीच ताली बजाने लगते हैं — ऐसे व्यक्ति को राज्य की जिम्मेदारी सौंपना बिहार की जनता के साथ अन्याय है।
उन्होंने प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर भी चिंता जताई और कहा कि हर दिन बिहार में हत्याएं हो रही हैं, लेकिन मुख्यमंत्री की ओर से कोई ठोस कार्रवाई या समीक्षा नहीं की जा रही। उन्होंने कहा कि जन सुराज लंबे समय से यह मांग कर रहा है कि मुख्यमंत्री की मानसिक और शारीरिक स्थिति पर सरकार जवाब दे।
प्रशांत किशोर ने अपने संबोधन में भाजपा को सीधे शब्दों में चुनौती दी कि अगर हिम्मत है तो पहले ही ऐलान करें कि नीतीश ही मुख्यमंत्री होंगे। नहीं तो बिहार की जनता को धोखा देना बंद करें।
सारस न्यूज, किशनगंज।
जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने अपने एक दिवसीय पूर्वी चंपारण दौरे के दौरान एक प्रेस वार्ता में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को खुली चुनौती दी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से सवाल किया कि यदि भाजपा को नीतीश कुमार पर इतना भरोसा है, तो चुनाव से पहले यह स्पष्ट क्यों नहीं कहते कि चुनाव जीतने के बाद वही मुख्यमंत्री बनेंगे?
प्रशांत किशोर ने महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां चुनाव में एकनाथ शिंदे को चेहरा बनाकर वोट मांगे गए, लेकिन परिणाम आने के बाद भाजपा ने अपने नेता को मुख्यमंत्री बना दिया। उन्होंने आशंका जताई कि कहीं बिहार में भी वैसा ही खेल न हो।
इस दौरान प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “जिस व्यक्ति को मंच से प्रधानमंत्री का नाम तक याद नहीं रहता, उसे राज्य की बागडोर सौंप दी गई है। एक सिपाही बनने के लिए फिटनेस टेस्ट जरूरी होता है, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के लिए कोई मानसिक या शारीरिक जांच क्यों नहीं?”
किशोर ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार को अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों और विभागों के नाम तक याद नहीं रहते। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार कभी किसी अधिकारी के सिर पर गमला रख देते हैं, तो कभी राष्ट्रगान के बीच ताली बजाने लगते हैं — ऐसे व्यक्ति को राज्य की जिम्मेदारी सौंपना बिहार की जनता के साथ अन्याय है।
उन्होंने प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर भी चिंता जताई और कहा कि हर दिन बिहार में हत्याएं हो रही हैं, लेकिन मुख्यमंत्री की ओर से कोई ठोस कार्रवाई या समीक्षा नहीं की जा रही। उन्होंने कहा कि जन सुराज लंबे समय से यह मांग कर रहा है कि मुख्यमंत्री की मानसिक और शारीरिक स्थिति पर सरकार जवाब दे।
प्रशांत किशोर ने अपने संबोधन में भाजपा को सीधे शब्दों में चुनौती दी कि अगर हिम्मत है तो पहले ही ऐलान करें कि नीतीश ही मुख्यमंत्री होंगे। नहीं तो बिहार की जनता को धोखा देना बंद करें।
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