बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान को लेकर उत्साहजनक खबर सामने आई है। 8 जुलाई 2025 की शाम 6 बजे तक राज्य में कुल 3.70 करोड़ से अधिक एन्यूमरेशन फॉर्म एकत्र किए जा चुके हैं, जो राज्य के अनुमानित 7.90 करोड़ मतदाताओं का करीब 46.95% है।
इस तीव्र प्रगति को देखते हुए निर्वाचन आयोग को उम्मीद है कि गणना प्रपत्रों को अंतिम तिथि 25 जुलाई 2025 से पहले ही एकत्र कर लिया जाएगा।
📊 14 दिन में उल्लेखनीय प्रगति
3,70,77,077 फॉर्म एकत्र (46.95%)
82,78,617 फॉर्म एक दिन में जमा – यानी 10.5% प्रगति
7.70 करोड़ से अधिक फॉर्म वितरित – कुल प्रिंटेड फॉर्म का 97%
18.16% फॉर्म ECINET पोर्टल पर अपलोड
👥 बीएलओ और स्वयंसेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका
SIR अभियान में 20,603 नए बीएलओ के जुड़ने से कार्य में तेजी आई है। पहले से सक्रिय 77,895 बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क कर रहे हैं और दस्तावेज़ जुटा रहे हैं। तीन चरणों में होने वाले सर्वे का पहला दौर पूरा हो चुका है, और दूसरे दौर की प्रक्रिया चालू है।
साथ ही, लगभग 4 लाख स्वयंसेवक — जिनमें सरकारी कर्मचारी, NCC कैडेट्स, NSS सदस्य आदि शामिल हैं — वृद्ध, दिव्यांग और बीमार लोगों की मदद के लिए तत्पर हैं।
🏛️ प्रशासनिक स्तर पर भी व्यापक सक्रियता
राज्य के सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों के ईआरओ, 963 सहायक ईआरओ, 38 जिला निर्वाचन पदाधिकारी और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी फील्ड में सक्रिय हैं। वे मतदाताओं को जानकारी दे रहे हैं, दस्तावेज़ जमा करने में सहयोग कर रहे हैं और डिजिटल अपलोड की निगरानी भी कर रहे हैं।
🗳️ राजनीतिक दल भी हुए सक्रिय
SIR अभियान में राजनीतिक दलों की भागीदारी भी लगातार बढ़ रही है। जिला स्तर पर सभी प्रमुख दलों ने बीएलए (Booth Level Agents) की नियुक्तियों को तेज किया है। अभियान शुरू होने पर जहां बीएलए की संख्या 1,38,680 थी, वहीं अब यह बढ़कर 1,56,626 हो गई है। निर्वाचन नियमावली (Manual of Electoral Roll), धारा 25.2.1 के तहत, बीएलए की और भी नियुक्तियां की जा सकती हैं।
📅 क्या है आगे का लक्ष्य?
अब आयोग का लक्ष्य है कि शेष आधे से अधिक फॉर्म और मतदाता पात्रता से जुड़े दस्तावेजों को 17 दिनों के भीतर एकत्र कर लिया जाए। यदि अब तक की गति बनी रहती है, तो यह कार्य समय-सीमा से पहले ही पूरा हो सकता है।
बिहार में यह अभियान मतदाता सूची की शुद्धता, पारदर्शिता और लोकतांत्रिक भागीदारी को नई मजबूती देने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो रहा है।
सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान को लेकर उत्साहजनक खबर सामने आई है। 8 जुलाई 2025 की शाम 6 बजे तक राज्य में कुल 3.70 करोड़ से अधिक एन्यूमरेशन फॉर्म एकत्र किए जा चुके हैं, जो राज्य के अनुमानित 7.90 करोड़ मतदाताओं का करीब 46.95% है।
इस तीव्र प्रगति को देखते हुए निर्वाचन आयोग को उम्मीद है कि गणना प्रपत्रों को अंतिम तिथि 25 जुलाई 2025 से पहले ही एकत्र कर लिया जाएगा।
📊 14 दिन में उल्लेखनीय प्रगति
3,70,77,077 फॉर्म एकत्र (46.95%)
82,78,617 फॉर्म एक दिन में जमा – यानी 10.5% प्रगति
7.70 करोड़ से अधिक फॉर्म वितरित – कुल प्रिंटेड फॉर्म का 97%
18.16% फॉर्म ECINET पोर्टल पर अपलोड
👥 बीएलओ और स्वयंसेवकों की महत्वपूर्ण भूमिका
SIR अभियान में 20,603 नए बीएलओ के जुड़ने से कार्य में तेजी आई है। पहले से सक्रिय 77,895 बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क कर रहे हैं और दस्तावेज़ जुटा रहे हैं। तीन चरणों में होने वाले सर्वे का पहला दौर पूरा हो चुका है, और दूसरे दौर की प्रक्रिया चालू है।
साथ ही, लगभग 4 लाख स्वयंसेवक — जिनमें सरकारी कर्मचारी, NCC कैडेट्स, NSS सदस्य आदि शामिल हैं — वृद्ध, दिव्यांग और बीमार लोगों की मदद के लिए तत्पर हैं।
🏛️ प्रशासनिक स्तर पर भी व्यापक सक्रियता
राज्य के सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों के ईआरओ, 963 सहायक ईआरओ, 38 जिला निर्वाचन पदाधिकारी और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी फील्ड में सक्रिय हैं। वे मतदाताओं को जानकारी दे रहे हैं, दस्तावेज़ जमा करने में सहयोग कर रहे हैं और डिजिटल अपलोड की निगरानी भी कर रहे हैं।
🗳️ राजनीतिक दल भी हुए सक्रिय
SIR अभियान में राजनीतिक दलों की भागीदारी भी लगातार बढ़ रही है। जिला स्तर पर सभी प्रमुख दलों ने बीएलए (Booth Level Agents) की नियुक्तियों को तेज किया है। अभियान शुरू होने पर जहां बीएलए की संख्या 1,38,680 थी, वहीं अब यह बढ़कर 1,56,626 हो गई है। निर्वाचन नियमावली (Manual of Electoral Roll), धारा 25.2.1 के तहत, बीएलए की और भी नियुक्तियां की जा सकती हैं।
📅 क्या है आगे का लक्ष्य?
अब आयोग का लक्ष्य है कि शेष आधे से अधिक फॉर्म और मतदाता पात्रता से जुड़े दस्तावेजों को 17 दिनों के भीतर एकत्र कर लिया जाए। यदि अब तक की गति बनी रहती है, तो यह कार्य समय-सीमा से पहले ही पूरा हो सकता है।
बिहार में यह अभियान मतदाता सूची की शुद्धता, पारदर्शिता और लोकतांत्रिक भागीदारी को नई मजबूती देने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो रहा है।
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