सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
नई व्यवस्था लागू:
बिहार सरकार ने राज्य के सरकारी विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात को संतुलित और न्यायसंगत बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब शिक्षकों की तैनाती स्कूलों में छात्रों की संख्या के आधार पर की जाएगी। इसके लिए सभी जिलों को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि वे स्कूलवार रिपोर्ट तैयार करें।
क्या है नया नियम?
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के अनुसार:
- कक्षा 1 से 5 तक:
- 30 छात्रों पर 1 शिक्षक अनिवार्य।
- 61-90 छात्रों पर 3 शिक्षक।
- 91-120 छात्रों पर 4 शिक्षक।
- 121-200 छात्रों पर 5 शिक्षक।
- कक्षा 6 से 8 तक:
- हर विषय (विज्ञान, गणित, सामाजिक अध्ययन और भाषा) के लिए एक-एक शिक्षक अनिवार्य।
- 35 छात्रों पर 1 शिक्षक का प्रावधान।
- 100 से अधिक छात्रों वाले स्कूलों में एक स्थायी प्रधानाध्यापक, कला शिक्षक, स्वास्थ्य व शारीरिक शिक्षक, व अंशकालिक शिक्षक की व्यवस्था अनिवार्य।
क्या बदलेगा इस फैसले से?
- जिन स्कूलों में छात्रों की तुलना में शिक्षक ज्यादा हैं, वहां से शिक्षकों का स्थानांतरण उन स्कूलों में किया जाएगा जहाँ भारी कमी है।
- शिक्षक पदस्थापन पूरी तरह विद्यार्थियों के हित को ध्यान में रखकर किया जाएगा।
- शिक्षा विभाग ने कहा है कि कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार छात्र-छात्राओं की गुणवत्ता और सुविधा को बढ़ाने वाले सुझावों को प्राथमिकता दी जाएगी।
वर्तमान स्थिति क्या है?
फिलहाल राज्य में औसतन 46 छात्रों पर एक शिक्षक है, जो कि तय मानक (30 या 35 छात्रों पर एक शिक्षक) से अधिक है। इसे संतुलित करने के लिए यह नई योजना लागू की जा रही है।
निष्कर्ष:
यह व्यवस्था सिर्फ कागज़ी नहीं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाने के लिए बनाई गई है। शिक्षक अब वहां होंगे जहां उनकी सबसे अधिक ज़रूरत है — ताकि हर बच्चा पाए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, और हर शिक्षक निभा सके अपना दायित्व सही स्थान पर।