राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के बाद आज इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय की शुरुआत हुई जब उनके हत्याकांड से जुड़ी न्यायिक सुनवाई औपचारिक रूप से शुरू हुई। यह सुनवाई दिल्ली की एक विशेष अदालत में प्रारंभ हुई, जहां नाथूराम गोडसे सहित कुल आठ आरोपियों पर हत्या की साजिश रचने और उसे अंजाम देने का आरोप है।
महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को प्रार्थना सभा के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस निर्मम हत्याकांड ने न केवल देश को शोक में डुबो दिया, बल्कि विश्वभर में भी शांति और अहिंसा के इस महान प्रवक्ता की मौत पर गहरा शोक व्यक्त किया गया।
आज की सुनवाई में अभियोजन पक्ष ने प्रारंभिक बयान प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह हत्या एक गहरी राजनीतिक और वैचारिक साजिश का परिणाम थी, जिसे संगठित रूप से अंजाम दिया गया। गोडसे और अन्य आरोपियों की गतिविधियों, हथियारों की प्राप्ति और हत्या के दिन की घटनाओं को विस्तार से अदालत के समक्ष रखा गया।
सुनवाई को लेकर अदालत परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। बड़ी संख्या में पत्रकार, वकील और आम नागरिक इस ऐतिहासिक मुकदमे की कार्यवाही को लेकर अदालत के बाहर जुटे रहे।
विशेष न्यायाधीश आत्माचरण की अध्यक्षता में यह मुकदमा चल रहा है। माना जा रहा है कि सुनवाई में कई गवाहों के बयान, सबूतों की प्रस्तुति और अभियुक्तों की दलीलों के बाद यह एक लंबा कानूनी संघर्ष बन सकता है।
देशभर की निगाहें अब इस बहुचर्चित केस की कार्यवाही और उसके फैसले पर टिकी हैं, जो आने वाले समय में भारतीय न्याय प्रणाली और लोकतंत्र के लिए एक मिसाल बन सकता है।
सारस न्यूज, वेब डेस्क
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के बाद आज इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय की शुरुआत हुई जब उनके हत्याकांड से जुड़ी न्यायिक सुनवाई औपचारिक रूप से शुरू हुई। यह सुनवाई दिल्ली की एक विशेष अदालत में प्रारंभ हुई, जहां नाथूराम गोडसे सहित कुल आठ आरोपियों पर हत्या की साजिश रचने और उसे अंजाम देने का आरोप है।
महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को प्रार्थना सभा के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस निर्मम हत्याकांड ने न केवल देश को शोक में डुबो दिया, बल्कि विश्वभर में भी शांति और अहिंसा के इस महान प्रवक्ता की मौत पर गहरा शोक व्यक्त किया गया।
आज की सुनवाई में अभियोजन पक्ष ने प्रारंभिक बयान प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह हत्या एक गहरी राजनीतिक और वैचारिक साजिश का परिणाम थी, जिसे संगठित रूप से अंजाम दिया गया। गोडसे और अन्य आरोपियों की गतिविधियों, हथियारों की प्राप्ति और हत्या के दिन की घटनाओं को विस्तार से अदालत के समक्ष रखा गया।
सुनवाई को लेकर अदालत परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। बड़ी संख्या में पत्रकार, वकील और आम नागरिक इस ऐतिहासिक मुकदमे की कार्यवाही को लेकर अदालत के बाहर जुटे रहे।
विशेष न्यायाधीश आत्माचरण की अध्यक्षता में यह मुकदमा चल रहा है। माना जा रहा है कि सुनवाई में कई गवाहों के बयान, सबूतों की प्रस्तुति और अभियुक्तों की दलीलों के बाद यह एक लंबा कानूनी संघर्ष बन सकता है।
देशभर की निगाहें अब इस बहुचर्चित केस की कार्यवाही और उसके फैसले पर टिकी हैं, जो आने वाले समय में भारतीय न्याय प्रणाली और लोकतंत्र के लिए एक मिसाल बन सकता है।
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