मुंबई/नई दिल्ली, 26 अगस्त — भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता विफल होने के बाद अमेरिकी प्रशासन ने भारतीय वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाने की घोषणा की है, जिससे भारतीय निर्यातकों में गहरी चिंता फैल गई है। बुधवार से लागू होने वाले इन नए शुल्कों के चलते अमेरिका से आने वाले ऑर्डर में तेज गिरावट की आशंका जताई जा रही है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित अतिरिक्त 25% शुल्क को गृह सुरक्षा विभाग ने आधिकारिक रूप से पुष्टि की है। इससे कुल शुल्क दर 50% तक पहुंच गई है — जो अमेरिका की सबसे ऊंची दरों में से एक है। यह कदम भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद बढ़ाने के जवाब में उठाया गया है।
एक वाणिज्य मंत्रालय अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया, “सरकार को अमेरिकी शुल्कों में किसी त्वरित राहत या स्थगन की उम्मीद नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि प्रभावित निर्यातकों को वित्तीय सहायता दी जाएगी और उन्हें चीन, लैटिन अमेरिका और मध्य पूर्व जैसे वैकल्पिक बाजारों की ओर रुख करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
हालांकि, मंत्रालय ने इस नई अधिसूचना पर टिप्पणी के लिए भेजे गए ईमेल का तत्काल जवाब नहीं दिया।
नई शुल्क दरें बुधवार सुबह 12:01 बजे EDT (भारतीय समयानुसार 9:31 बजे) से लागू होंगी। केवल वे शिपमेंट जो पहले से ट्रांजिट में हैं, मानवीय सहायता और पारस्परिक व्यापार कार्यक्रमों के तहत आने वाली वस्तुएं इससे मुक्त रहेंगी।
इस घटनाक्रम का असर भारतीय वित्तीय बाजारों पर भी पड़ा। रुपया डॉलर के मुकाबले तीन सप्ताह के निचले स्तर 87.68 पर बंद हुआ, हालांकि केंद्रीय बैंक के हस्तक्षेप की अटकलों के बीच कुछ सुधार भी देखा गया। वहीं, प्रमुख शेयर सूचकांक NSE और BSE में 1% की गिरावट दर्ज की गई — जो पिछले तीन महीनों की सबसे खराब गिरावट है।
यह शुल्क निर्णय पांच दौर की असफल वार्ताओं के बाद आया है, जिनमें भारतीय अधिकारियों ने उम्मीद जताई थी कि शुल्क 15% तक सीमित रहेंगे। दोनों देशों के अधिकारियों ने बातचीत के विफल होने का कारण राजनीतिक गलतफहमियों और संकेतों की अनदेखी को बताया है। गौरतलब है कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार का मूल्य $190 अरब से अधिक है।
सारस न्यूज़ टीम, वेब डेस्क, सारस न्यूज़।
मुंबई/नई दिल्ली, 26 अगस्त — भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता विफल होने के बाद अमेरिकी प्रशासन ने भारतीय वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाने की घोषणा की है, जिससे भारतीय निर्यातकों में गहरी चिंता फैल गई है। बुधवार से लागू होने वाले इन नए शुल्कों के चलते अमेरिका से आने वाले ऑर्डर में तेज गिरावट की आशंका जताई जा रही है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित अतिरिक्त 25% शुल्क को गृह सुरक्षा विभाग ने आधिकारिक रूप से पुष्टि की है। इससे कुल शुल्क दर 50% तक पहुंच गई है — जो अमेरिका की सबसे ऊंची दरों में से एक है। यह कदम भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद बढ़ाने के जवाब में उठाया गया है।
एक वाणिज्य मंत्रालय अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया, “सरकार को अमेरिकी शुल्कों में किसी त्वरित राहत या स्थगन की उम्मीद नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि प्रभावित निर्यातकों को वित्तीय सहायता दी जाएगी और उन्हें चीन, लैटिन अमेरिका और मध्य पूर्व जैसे वैकल्पिक बाजारों की ओर रुख करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
हालांकि, मंत्रालय ने इस नई अधिसूचना पर टिप्पणी के लिए भेजे गए ईमेल का तत्काल जवाब नहीं दिया।
नई शुल्क दरें बुधवार सुबह 12:01 बजे EDT (भारतीय समयानुसार 9:31 बजे) से लागू होंगी। केवल वे शिपमेंट जो पहले से ट्रांजिट में हैं, मानवीय सहायता और पारस्परिक व्यापार कार्यक्रमों के तहत आने वाली वस्तुएं इससे मुक्त रहेंगी।
इस घटनाक्रम का असर भारतीय वित्तीय बाजारों पर भी पड़ा। रुपया डॉलर के मुकाबले तीन सप्ताह के निचले स्तर 87.68 पर बंद हुआ, हालांकि केंद्रीय बैंक के हस्तक्षेप की अटकलों के बीच कुछ सुधार भी देखा गया। वहीं, प्रमुख शेयर सूचकांक NSE और BSE में 1% की गिरावट दर्ज की गई — जो पिछले तीन महीनों की सबसे खराब गिरावट है।
यह शुल्क निर्णय पांच दौर की असफल वार्ताओं के बाद आया है, जिनमें भारतीय अधिकारियों ने उम्मीद जताई थी कि शुल्क 15% तक सीमित रहेंगे। दोनों देशों के अधिकारियों ने बातचीत के विफल होने का कारण राजनीतिक गलतफहमियों और संकेतों की अनदेखी को बताया है। गौरतलब है कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार का मूल्य $190 अरब से अधिक है।
Leave a Reply