एनसीईआरटी ने एक बार फिर से अपने पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर खास मॉड्यूल जारी किया है। अब कक्षा 3 से लेकर 12 तक के विद्यार्थी इस विषय को अपनी किताबों में पढ़ेंगे।
इस मॉड्यूल में बताया गया है कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं था, बल्कि इसका मकसद क्षेत्र में शांति और स्थिरता स्थापित करना भी था।
शिक्षा या प्रचार?
हालांकि शिक्षा जगत में इस पर चर्चा तेज है कि बच्चों के पाठ्यक्रम में लगातार ऐसे अध्याय जोड़े जा रहे हैं जिनका सीधा संबंध सैन्य या राजनीतिक घटनाओं से है। विशेषज्ञों का मानना है कि इतिहास और साहित्य की जगह सरकार इन दिनों “राष्ट्रीयता और सैन्य गौरव” को अधिक महत्व देने लगी है।
कुछ आलोचकों ने तंज कसते हुए कहा कि “शायद आने वाले समय में किताबों में सरकारी भाषण और घोषणाएं भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बना दिए जाएं।”
छात्रों और शिक्षकों की प्रतिक्रिया
छात्रों ने इसे लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। कई छात्रों ने कहा कि इससे उन्हें भारतीय सेना और उसके अभियानों के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। वहीं शिक्षकों का कहना है कि इतिहास की संतुलित तस्वीर पेश करना जरूरी है, सिर्फ सरकार की पसंद के अध्याय जोड़ना शिक्षा का मकसद नहीं हो सकता।
सारस न्यूज़, किशनगंज।
एनसीईआरटी ने एक बार फिर से अपने पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर खास मॉड्यूल जारी किया है। अब कक्षा 3 से लेकर 12 तक के विद्यार्थी इस विषय को अपनी किताबों में पढ़ेंगे।
इस मॉड्यूल में बताया गया है कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं था, बल्कि इसका मकसद क्षेत्र में शांति और स्थिरता स्थापित करना भी था।
शिक्षा या प्रचार?
हालांकि शिक्षा जगत में इस पर चर्चा तेज है कि बच्चों के पाठ्यक्रम में लगातार ऐसे अध्याय जोड़े जा रहे हैं जिनका सीधा संबंध सैन्य या राजनीतिक घटनाओं से है। विशेषज्ञों का मानना है कि इतिहास और साहित्य की जगह सरकार इन दिनों “राष्ट्रीयता और सैन्य गौरव” को अधिक महत्व देने लगी है।
कुछ आलोचकों ने तंज कसते हुए कहा कि “शायद आने वाले समय में किताबों में सरकारी भाषण और घोषणाएं भी पाठ्यक्रम का हिस्सा बना दिए जाएं।”
छात्रों और शिक्षकों की प्रतिक्रिया
छात्रों ने इसे लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। कई छात्रों ने कहा कि इससे उन्हें भारतीय सेना और उसके अभियानों के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। वहीं शिक्षकों का कहना है कि इतिहास की संतुलित तस्वीर पेश करना जरूरी है, सिर्फ सरकार की पसंद के अध्याय जोड़ना शिक्षा का मकसद नहीं हो सकता।
Leave a Reply