परिचय: 31 जुलाई भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महानायक, सरदार उधम सिंह की पुण्यतिथि के रूप में याद किया जाता है। उनका बलिदान और देशभक्ति भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।
जीवन और प्रेरणा: उधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के सुनाम गांव में हुआ था। 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में ब्रिटिश जनरल डायर द्वारा किए गए नरसंहार ने उधम सिंह के मन में स्वतंत्रता की अग्नि प्रज्वलित कर दी।
माइकल ओ’डायर की हत्या: 13 मार्च 1940 को, उधम सिंह ने लंदन के कैक्सटन हॉल में माइकल ओ’डायर की हत्या करके जलियांवाला बाग नरसंहार का बदला लिया। यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।
फांसी और विरासत: उधम सिंह को 31 जुलाई 1940 को फांसी दी गई। उनके साहस और बलिदान ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी और वे अमर शहीद के रूप में जाने जाते हैं। उनका नाम स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में हमेशा याद रखा जाएगा।
निष्कर्ष: सरदार उधम सिंह की पुण्यतिथि हमें उनके अदम्य साहस, देशभक्ति और बलिदान की याद दिलाती है। उनका जीवन और कार्य हर भारतीय के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और स्वतंत्रता की लड़ाई में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके बलिदान को नमन करते हुए, हम उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।
सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
परिचय: 31 जुलाई भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महानायक, सरदार उधम सिंह की पुण्यतिथि के रूप में याद किया जाता है। उनका बलिदान और देशभक्ति भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है।
जीवन और प्रेरणा: उधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के सुनाम गांव में हुआ था। 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में ब्रिटिश जनरल डायर द्वारा किए गए नरसंहार ने उधम सिंह के मन में स्वतंत्रता की अग्नि प्रज्वलित कर दी।
माइकल ओ’डायर की हत्या: 13 मार्च 1940 को, उधम सिंह ने लंदन के कैक्सटन हॉल में माइकल ओ’डायर की हत्या करके जलियांवाला बाग नरसंहार का बदला लिया। यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।
फांसी और विरासत: उधम सिंह को 31 जुलाई 1940 को फांसी दी गई। उनके साहस और बलिदान ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी और वे अमर शहीद के रूप में जाने जाते हैं। उनका नाम स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में हमेशा याद रखा जाएगा।
निष्कर्ष: सरदार उधम सिंह की पुण्यतिथि हमें उनके अदम्य साहस, देशभक्ति और बलिदान की याद दिलाती है। उनका जीवन और कार्य हर भारतीय के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और स्वतंत्रता की लड़ाई में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके बलिदान को नमन करते हुए, हम उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।
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