सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
भारत की बेटी शीतल देवी ने असंभव को संभव कर दिखाया। बिना हाथों के जन्मीं और तमाम चुनौतियों के बावजूद उन्होंने तीरंदाजी में ऐसा इतिहास रचा, जिस पर पूरा देश गर्व कर रहा है। महज़ 18 साल की उम्र में शीतल देवी ने पैरा वर्ल्ड आर्चरी चैंपियनशिप का खिताब जीतकर भारत का नाम रोशन किया।
कभी उन्हें कहा गया था कि तीरंदाजी उनके लिए असंभव है, लेकिन शीटल ने अपने अथक परिश्रम, आत्मविश्वास और अटूट जज़्बे से सभी धारणाओं को गलत साबित कर दिया। दर्द और संघर्ष से गुजरते हुए उन्होंने अपने खेल में महारत हासिल की और आज वो भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा बन गई हैं।
उनकी सफलता यह संदेश देती है कि अगर हौसला बुलंद हो तो कोई भी बाधा इंसान को उसके सपनों तक पहुँचने से नहीं रोक सकती। शीतल देवी की यह उपलब्धि न केवल खेल जगत में ऐतिहासिक है, बल्कि देशभर की युवाओं और महिलाओं के लिए भी प्रेरणास्रोत है।