Saaras News – सारस न्यूज़ – चुन – चुन के हर खबर, ताकि आप न रहें बेखबर

अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान करने में आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका अहम।

राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।

समुदाय के वंचित तथा उपेक्षित वर्ग के लोगों को शत-प्रतिशत सेवा दी जाए।

गृह भ्रमण के दौरान आशा करती हैं नवजात बच्चों की निगरानी।

जिले से कुपोषण को पूरी तरह से मिटाने के लिए स्वास्थ्य समिति और आईसीडीएस विभाग अपने अपने स्तर पर कार्य कर रहा है। इसके बावजूद भी सुदूर ग्रामीण इलाकों में बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। जिसको दूर करने के लिए आशा कार्यकर्त्ता की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। आशा के  नियमित रूप से गृह भ्रमण के दौरान  कुपोषित बच्चों की पहचान की जा सकती है। जिसके बाद उन कुपोषित बच्चों को स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जांच कराने के बाद सदर अस्पताल स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में इलाज के लिए रेफर किया जाता है। जहां पर उन कुपोषित बच्चों का इलाज किया जाता है। ऐसे में कुपोषण को दूर करने के लिए एनआरसी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। इसी क्रम में जिले के ठाकुरगंज प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आशा दिवस के दौरान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार एवं राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम के द्वारा आशा को गृह भ्रमण के बारे में विस्तार से जानकारी दी  गयी।

समुदाय के वंचित तथा उपेक्षित वर्ग के लोगों को शत प्रतिशत सेवा दी जाए-

सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि आशा कार्यकर्त्ता एवं आंगनबाड़ी सेविका के द्वारा नियमित रूप से आरोग्य दिवस पर स्वास्थ्य, पोषण विकास तथा स्वच्छता से संबंधित सेवाएँ लोगों को उपलब्ध हों। खासकर समुदाय के वंचित तथा उपेक्षित वर्ग के लोगों को यह सेवाएँ शत प्रतिशत दी जाए। गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं तथा किशोरियों का एएनएम द्वारा हीमोग्लोबिन जाँच करना,  एनीमिया की पहचान कर चिकित्सीय परामर्श / रेफरल सुनिश्चित करना, खान-पान यथा स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हरी साग सब्जियाँ, फल, मांस मछली, अंडा, विटामिन-सी युक्त खाद्य-पदार्थ जैसे अमरुद आँवला, संतरा, मौसमी इत्यादि के बारे में चर्चा की जायेगी।

अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान, रेफरल एवं प्रबंधन-

बैठक को संबोधित करते हुए डॉ संजय कुमार ने बताया अतिगंभीर कुपोषित बच्चों में सामान्य बच्चों की तुलना में 9 से 11 गुणा मृत्यु का खतरा अधिक होता है। पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की लगभग 45 प्रतिशत मृत्यु में अति गंभीर कुपोषण एक अंतर्निहित कारक होता है। समुदाय स्तर पर आशा द्वारा आँगनवाड़ी कार्यकर्ता से समन्वय स्थापित कर लंबाई / ऊंचाई  के अनुसार 3एसडी (SD) से कम वाले बच्चों की लाइनलिस्ट तैयार कर ए.एन.एम. के द्वारा आरोग्य दिवस स्थल / स्वास्थ्य केन्द्र पर जाँच सुनिश्चित की जाये। आशा द्वारा बीमार सुस्त दिखाई देने वाले दुबलेपन, स्तनपान / भूख में कमी, दोनों पैरों में सूजन वाले बच्चों की  भी लाइनलिस्ट तैयार कर ए.एन.एम. के द्वारा स्वास्थ्य केन्द्र पर जाँच करवाना सुनिश्चित की जाये। बच्चों में सांस  का तेज चलना, छाती का धँसना, लगातार उल्टी / दस्त होना इत्यादि लक्षण पाये जाने पर आशा द्वारा उन्हें तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र / पोषण पुनर्वास केन्द्र पर रेफर किया जायेगा।

गृह भ्रमण के दौरान की आशा करती है  नवजात बच्चों की निगरानी-

आंगनबाड़ी केंद्रों पर नवजात बच्चों के साथ अन्य बच्चों की समय समय पर आयु के हिसाब से वजन व लंबाई की मापी की जाती है। ताकि, उनमें कुपोषण के लक्षणों की जांच हो सके। यदि नवजात शिशु अधिक दुबला-पतला होता है, तो उसे जांच के लिए पीएचसी ले जाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, एचबीएनसी कार्यक्रम के तहत आशाएं संस्थागत एवं गृह प्रसव दोनों स्थितियों में गृह भ्रमण कर नवजात शिशु की देखभाल करती हैं । संस्थागत प्रसव की स्थिति में 6 बार गृह भ्रमण करती हैं ( जन्म के 3, 7, 14, 21, 28 एवं 42 वें दिवस पर)। वहीं, गृह प्रसव की स्थिति में 7 बार ( जन्म के 1, 3, 7, 14, 21, 28 एवं 42 वें दिवस पर) गृह भ्रमण करती हैं। इस दौरान कुपोषित शिशुओं को चिह्नित करते हुए उनको एनआरसी में रेफर कराया जाता है।

14 से 30 दिनों तक बच्चों का होता है नि:शुल्क इलाज-

सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. अनवर हुसैन  ने बताया, जन्म से कुपोषित बच्चों के इलाज के लिए सदर अस्पताल में एनआरसी स्थापित की गयी है। जहां पर पांच वर्ष तक के कुपोषित बच्चों का इलाज होता है। यदि 14 दिनों में कोई इलाजरत बच्चा कुपोषण से मुक्त नहीं हो पाता है, तो उनको एक माह तक विशेष देखभाल की जाती है। उनके लिए इलाज व स्पेशल डाइट में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज तत्व युक्त भोजन आहार विशेषज्ञ द्वारा तैयार किया जाता है। यह आहार शुरुआती दौर में 2-2 घंटे बाद दिया जाता है। यहां मिलने वाली सभी सुविधाएं नि:शुल्क होती हैं। भर्ती हुए बच्चे के वजन में न्यूनतम 15 प्रतिशत की वृद्धि के बाद ही डिस्चार्ज किया जाता है। जिसके बाद बच्चे का 4 बार फॉलोअप किया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *