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उल्लू प्रजाति की तीन बार्न उल्लू को वन विभाग ने किया रेस्क्य। भटक कर उमवि बैरागीझाड़ पहुंचे थे तीनों उल्लू

बीरबल महतो, सारस न्यूज़, किशनगंज

सफेद रंग का मंकी फेस्ड तीन नवजात उल्लू भटक कर प्रखंड ठाकुरगंज के उत्क्रमित मध्य विद्यालय बैरागीझाड़ में पहुंच गया। मंगलवार को  विद्यालय के प्रधानाध्यापक मो जहाँगीर आलम व स्थानीय लोगों ने तत्काल वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के वनकर्मी बबलू कुमार को सूचित की। सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम ने उसे रेस्क्यू कर ठाकुरगंज नगर स्थित वन विभाग के डिपो में लाया गया।

वन विभाग की सूचना पर राजकीय पशु चिकित्सालय ठाकुरगंज में पदास्थापित पशु चिकित्सक डॉ. मोनालिसा ने प्राथमिक उपचार कर पक्षी की पहचान करते हुए बताया कि यह पक्षी दुर्लभ उल्लू प्रजाति का बार्न उल्लू हैं और यह नवजात है। नवजात के कारण इसे अपना भोजन करने भी नहीं आता है। अगर इसकी माँ होती तो उसे अपने से चुगे हुए दाना को उलटी कर खिलाती। चिकित्सा करने के दरम्यान डॉ. मोनालिसा ने मौके पर मौजूद वन विभाग को निर्देशित करते हुए कहा कि इसे किसी भी तरह की कोई चोटें नहीं आई हैं और यह भूखा है। इसे  समय पर दवाई और भोजन चाहिए तथा इसकी जानकारी भी दी। इस दौरान उन्होंने बताया कि बार्न उल्लू विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में मिलता है। भारत में अधिकांश तौर पर पठारी, हिमालयी आदि क्षेत्र में मिलता है, लेकिन कई बार दूसरे हिस्सों में भी देखा जाता है। इसे भारत में इंडियन बार्न उल्लू या सफेद उल्लू के नाम से जाना जाता है। उन्होंने बताया कि बार्न आउल की संख्या काफी कम है। इनकी संख्या को लेकर निश्चित आंकड़ा नहीं है, लेकिन दुर्लभ उल्लू की श्रेणी में इसे शामिल किया गया है। इसे उपचार के बाद ही इसके प्राकृतिक आवासीय क्षेत्र में छोड़ा जा सकता हैं। इस मौके पर वनरक्षी मनोज उरांव, राजेश साह आदि मौजूद थे।

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