राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।
शुक्रवार को खगड़ा स्थित सम्राट अशोक भवन सभागार में सरना धर्म कोड को लेकर एक दिवसीय सेंगेल अभियान के तहत कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया गया। पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि सेंगल अभियान देश के सात राज्यों झारखंड, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, बंगाल, बिहार व असम के 50 जिलों में जहां जहां आदिवासी ज्यादा हैं वहां हम कार्य कर रहे हैं। पूर्व सांसद ने कहा कि हमे सरना धर्म कोड की मान्यता मिलनी चाहिए। इसके लिए कई बार जनसभा की गई है। उन्होंने कहा कि 8 नवम्बर को झारखंड की राजधानी रांची में एक विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। जिसमें सरना धर्म कोड की मान्यता दिए जाने की मांग जनसभा के माध्यम से राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से की जाएगी। केंद्रीय संयोजक सुमित्रा मुर्मू ने कहा कि हमे सरना धर्म कोड की मान्यता मिलनी चाहिए। प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ टुडू व मुंसि मुर्मू ने भी सभा को संबोधित किया। पूर्व सांसद मुर्मू प्राचीन भाषा संथाली है, जिसे आठवी अनुसूची में शामिल किया गया है। इसके लिए विद्यालय में पढ़ाई नही होती है। वही बंगला, उर्दू आदि भाषा की पढ़ाई होती है। संथाली भाषा को झारखंड में प्रथम भाषा घोषित किया जाय। उन्होंने कहा आजादी के 75 वर्ष बाद भी आदिवासियों का विकास नही हो रहा है। आदिवासियों को आज भी एक षड्यंत्र के तहत इन्हे बरगलाया जाता है और उन्हें अंधविश्वास, डायन प्रथा आदि कुरीति से मुक्ति नही मिल रही है। देश में आज आदिवासी समाज की विद्वान महिला राष्ट्रपति है। सेंगल अभियान के इस मुहिम को मंजिल जरूर मिलेगा। हमलोग 2024 में अपनी एक जुटता का परिचय देते हुए सरना धर्म कोड लागू करने में सफल होंगे। सरना धर्म को लेकर लोगो में जागृति बढ़ी है। इस अवसर पर सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय संयोजक सुमित्रा मुर्मू, जिलाध्यक्ष राजा मरांडी, प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ टुडू, मुंशी मुर्मू आदि दर्जनों कार्यकर्ता शामिल थे।
