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कनकई नदी का जलस्तर बढ़ने से महेशबथना सहित अन्य कई पंचायतों में हो रही है कटाव तेज, ग्रामीण भयभीत।

देवाशीष चटर्जी, सारस न्यूज़, किशनगंज।

बाढ़ और कटाव से बचाव के लिये अब तक की जा रही घोषणाएँ हुई हवा हवाई, बहादुरगंज में उफनाई कौल नदी के निशाने पर महेशबथना वार्ड नं. 04 का प्रधानमंत्री सड़क नदी में विलीन होने के कगार पर है। नदी की तेज धाराओं के कारण सड़क के आधे से अधिक भाग दरक चुका है और कभी भी यह नदी में विलीन हो सकता है। सड़क के टूटते हीं नदी की धारा महेशबथना गॉंव की ओर रुख कर लेने की प्रवल आशंकाऐं व्याप्त है। जिससे सैंकड़ों परिवार का प्रभावित होने से इन्कार करना कठिन है। जबकि बाढ़ कटाव से बचाने के नाम पर प्रशासन की ओर से यहाँ किसी भी तरह के हलचलों से लोग इन्कार कर रहे हैं।

कई दिनों से हो रही मुसलाधार वर्षात के कारण यहाँ कौल महेशबथना और खाड़ीटोला, मसानगॉंव जाने बाली सड़क के दोमहनी और दर्जी टोला के निकट नदी का पानी सड़क पार करने को आतुर है। जबकि पानी का लेवल घटने के बजाय बढ़ता हीं जा रहा है। फलतः महेशबथना के ग्रामीण नदी की विकराल धाराओं को घर के करीब देखकर अपना घर तोड़ने में लगे हैं। नदी में आई बाढ़ का मुआयना करने निकली राष्ट्रीय सहारा की टीम जब महेशबथना पहुंची तो यहाँ हालत डरावना था। प्रधानमंत्री सड़क जिससे हाल हीं में डीएम किशनगंज का काफिला निकला था। वहाँ बॉंस झाड़ के निकट बना प्रधानमंत्री सड़क आधा नदी में और आधे से अधिक दरक चुका है। नदी के जलस्तर का अगर इसी तरह बढ़ना जारी रहा तो सड़क का बच पाना मुश्किल होगा। और अगर सड़क टूटी तो गॉंव को बचा पाना शायद असंभव होगा। पर अब तक कोई भी विभाग या स्थानीय प्रशासन की यहाँ मौजूदगी नहीं देखी जा सकी है। हॉं इतना जरूर था कि इस महाल का चौकीदार गुरुदेव चोकस थे और ग्रामीणों का सहयोग कर रहे थे। यहाँ से कुछ दूरी पर बूढ़े बुजुर्ग अजीमुद्दीन पिता हैदर अली अपना पक्का मकान तोड़ते मिल गये। जो बिना बोले हमें टकटकी लगाये देखते रहे और हम तश्वीरें खिंचते रहे।

बताते चलें कि इससे आगे खाड़ीटोला दो बार कोल नदी की मार झेलकर उजड़ चुका है। जहाँ बालू की बोरियां भरी एक जगह रखी मिली। पर यहाँ नदी का कटाव काफी तेज देखा गया। गौरतलब है कि यहाँ भी कौल नदी की तेज धार से अगर कटाव जारी रहा तो खाड़ीटोला गॉंव के बचे परिवारों और मसानगॉंव के लोगों का अस्तित्व का खतरे में जाने से इनकार नहीं किया जा सकता है। बतलाया जाता है कि सालों से इस नदी में आ रही बाढ़ से सैकड़ों परिवार विस्थापित होकर आज राजा से रंक बन चुके हैं। पर प्रशासन के लिए यहाँ उपयुक्त उपाय आज तक संभव नहीं हो पाया है।

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