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किशनगंज जिला में उन्नत और आधुनिक तकनीक से बेहतर खेती के लिए जीविका के माध्यम से कई सार्थक प्रयास, श्रीविधि से जीविका दीदियों ने की धान की खेती।

सारस न्यूज टीम, किशनगंज।

खेती-बाड़ी जीविका दीदियों की आय का महत्वपूर्ण साधन है। फसल की अच्छी उपज होने से दीदियों की आमदनी बढ़ती है। इसी को ध्यान में रखते हुए किशनगंज जिला में उन्नत और आधुनिक तकनीक से बेहतर खेती के लिए जीविका के माध्यम से कई सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं। इस वर्ष खरीफ के मौसम में जीविका दीदियों ने बड़े पैमाने पर श्रीविधि से धान की खेती की है।

जिला में कुल 29 हजार से अधिक (29070 ) जीविका दीदियों ने श्रीविधि से धान की खेती की है। इस विधि से धान की खेती करने से कम लागत में अधिक पैदावार होता है। श्रीविधि से धान की खेती करने में कुछ सावधानियां रखनी होती है। धान का बिचड़ा गिराने से पहले उसका फफूंदी नाशक या नमक पानी के घोल में उपचार किया जाता है। तत्पश्चात 8 से 14 दिन के बिचड़े को कतारबद्ध तरीके से 10 इंच की दूरी पर रोपाई की जाती है। एक जगह पर सिर्फ एक ही पौधा रोपा जाता है। हर कतार के बीच में भी निश्चित दूरी होती है।

जीविका के प्रभारी जिला परियोजना प्रबंधक राजेश कुमार ने बताया कि जीविका के माध्यम से जीविका दीदियों को श्रीविधि से धान की खेती का प्रशिक्षण दिया गया है। हर ग्राम संगठन में जीविका के ग्राम संसाधन सेवी को प्रशिक्षण दिया गया है। जो जीविका समूह की दीदियों को प्रशिक्षित करते हैं। सभी सातों प्रखंड में श्रीविधि से धान की खेती की गई है। वहीं जिला में 27 कृषि उद्यमियों का भी चयन किया गया है। जो अपने पंचायत में जीविका दीदियों को उन्नत विधि से खेती के लिए प्रेरित एवं प्रशिक्षित करते हैं।

महिला किसानों को अत्यधिक परिश्रम से छुटकारा दिलाने के लिए जिला में 9 कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) भी चलाया जा रहा है। जीविका के माध्यम से संचालित इन सीएचसी में बाजार से कम दर पर, भाड़े पर ट्रैक्टर, थ्रेसर, कल्टीवेटर, रोटावेटर इत्यादि कृषि यंत्र उपलब्ध है।

साथ ही जिला में 22 विलेज टूल बैंक (वीटीबी) काम कर रहा है। जहां से जीविका दीदियां कम दर पर भाड़े पर पंप सेट, स्प्रेयर, कुदाल, खुरपी इत्यादि लेकर खेती– बाड़ी में इसका इस्तेमाल कर रही है। जिला में 16 हजार से अधिक जीविका दीदियों ने किचन गार्डन भी लगाया है। जीविका के माध्यम से दीदियों की आमदनी बढ़ रही है। वहीं दूसरी तरफ उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिल रही है।

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