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किशनगंज में डुमरिया विद्यालय के बालिकाओं ने हाथों पर रेड डाट बनाकर माहवारी स्वच्छता का दिया संदेश, 28 मई को मनाया जाएगा मेन्स्ट्रुअल हाइजीन डे।

सारस न्यूज, किशनगंज।

बुधवार को जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सुमन सिन्हा को अध्यक्षता में बालिका उच्च विद्यालय डुमरिया में बालिकाओं द्वारा अपने हाथों में रेड डाट का निशान बनाकर किशोर बालिकाओं ने माहवारी स्वच्छता के प्रति के लोगों को जागरूक करने को ले जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। अपने हाथों में रेड डाट का निशान बनाकर किशोर बालिकाओं का यह प्रयास मासिक स्वच्छता के प्रति उनके साथ समाज के सभी लोगों को जागरूक करने की कोशिश है। युवाओं को इस मुहिम से जोड़ने के लिए रेड डॉट बनाकर इस चैलेंज को स्वीकार करते हुए कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

बताते चलें कि महिलाओं की माहवारी के दौरान स्वच्छता बरतने के लिए जागरूक करने के मकसद से हर साल दुनियाभर में 28 मई को मेन्स्ट्रुअल हाइजीन डे यानी माहवारी स्वच्छता दिवस के मनाया जाता है। इसकी शुरुआत साल 2014 में जर्मन एनजीओ वाश यूनाइटेड ने की थी। उसको मनाने के पीछे का उद्देश्य लडकियों महिलाओं को पीरियड्स यानी महीने के उन पांच दिनों में स्वच्छता और सुरक्षा के लिए जागरूक करना है। आमतौर पर महिलाओं को माहवारी 25 दिनों के भीतर आती है। इसका पीरियड पाँच दिनों का होता है। इसी कारण इस खास दिवस को मनाने के लिए पांचवें महीने मई की 28 तारीख को चुना गया।

इस संबंध में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सुमन सिन्हा ने बताया कि बालिका उच्च विद्यालय डुमरिया की सभी छात्रा को मासिक स्वच्छता की मुहिम में शामिल किया गया। उन्होंने कहा कि 28 मई को विश्व मासिक स्वच्छता दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा की दृष्टि से लैंगिक समानता लाना, यौन शिक्षा एवं माहवारी स्वच्छता प्रबंधन के बारे में जागरूकता के साथ साथ समुदायों में माहवारी स्वच्छता को बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य जिले के सभी युवाओं को इस मुहिम से जोड़ना है।
कार्यक्रम में उपस्थित सदर अस्पताल उपाधीक्षक डा. उर्मिला कुमारी ने कहा कि मासिक पर किशोरिया जितनी अपनी चुप्पी तोड़ेगी उतना ही समुदाय में इस बात पर झिझक खत्म होगी।

सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने कहा कि समाज में महिलाओं के साथ भेदभाव तब तक खत्म नही हो सकता जब तक पुरुष महिलाओं की समस्याओं के प्रति संवेदनशील नहीं होगे। उन्होंने कहा कि अभी भी मासिक स्वस्ता जैसे महत्वपूर्ण विषय पर परिवार और समाज में खुल कर बात नहीं होती। यह सोचने का विषय का है कि क्या मासिक वचता के प्रति जागरूकता बढ़ाना सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी है या इसमें पुरुषों की भी भूमिका जरूरी है।

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