किशनगंज प्रखण्ड अन्तर्गत पिछला पंचायत के बरारो कब्रिस्तान चहारदिवारी निर्माण को लेकर कोचाधामन के पूर्व विधायक जदयू प्रदेश उपाध्यक्ष मुजाहिद आलम ने जिला पदाधिकारी को ज्ञापन देकर मांग की है। प्रदेश उपाध्यक्ष द्वारा दिए गए ज्ञापन में जिक्र किया गया है कि ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा समर्पित आवेदन इस पत्र के साथ संलग्न कर कहना है कि किशनगंज प्रखंण्ड अन्तर्गत पिछला पंचायत के बरारो याना नं०- 80, खाता नं0-62, खेसरा नं0-197, रकवा- 4.70 एकड़ जमीन में पिछले लगभग सौ सालों से मुस्लिम समुदाय के लोग कब्रिस्तान के रूप में इस्तेमाल करते आ रहे है। उक्त भूमि कुल 8.70 एकड़ बरारो रूईमहाल सैरात के नाम से खतियान में दर्ज है। जिसमें 4.70 एकड़ में कब्रिस्तान शेष जमीन में प्रधानमंत्री सड़क एक महादलितों एवं अल्पसंख्यको के घर-द्वार है।
1981 में विवाद के कारण याना अध्यक्ष-अंचलाधिकारी एंव दोनों पक्षों के बीच समझौता हुआ था। 2007 में भी विवाद के उपरांत अंचलाधिकरी किशनगंज द्वारा सरकारी अमीन से मापी कर कब्रिस्तान की भूमि का सीमाकन कराया गया था। 17.10.2017 को भी कब्रिस्तान की जमीन को अतिक्रमण करने के कारण विवाद उत्पन्न हुआ था। तत्कालीन विधायक जिला पदाधिकारी, पुलिस अधिक्षक के हस्तक्षेप से मामला शात हुआ था। इसके उपरान्त उक्त कब्रिस्तान की घेराबन्दी गृह विभाग से स्वीकृति मिली और कब्रिस्तान से एक पार्ट की घेराबन्दी हो चुकी है। दूसरे पार्ट की घेराबन्दी महादलित परिवारों द्वारा नहीं करने दिया जा रहा है। उक्त सैरात महाल को परता घोषित करने के लिए तत्कालीन जिला पदाधिकारी द्वारा पूर्णियाँ आयुक्त को प्रस्ताव भेजा गया था। अभी 17-18 मार्च को शबे बारात है शबे बारात में कब्रिस्तानों की सफाई किया जाता है। कब्रिस्तान के अन्दर महादलित परिवारों द्वारा गोबर- जलावन रखने के कारण फिर से विवाद उत्पन्न होने की संभावना है। साथ ही सैरात की जमीन को बंगाल के लोगों को महादलित कब्जा धारी द्वारा बेचा जा रहा है। बंगाल के लोगों द्वारा घर बनाए जाने से फिर से विवाद उत्पन्न हो गया है।
सारस न्यूज़ टीम, सारस न्यूज़, किशनगंज।
किशनगंज प्रखण्ड अन्तर्गत पिछला पंचायत के बरारो कब्रिस्तान चहारदिवारी निर्माण को लेकर कोचाधामन के पूर्व विधायक जदयू प्रदेश उपाध्यक्ष मुजाहिद आलम ने जिला पदाधिकारी को ज्ञापन देकर मांग की है। प्रदेश उपाध्यक्ष द्वारा दिए गए ज्ञापन में जिक्र किया गया है कि ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा समर्पित आवेदन इस पत्र के साथ संलग्न कर कहना है कि किशनगंज प्रखंण्ड अन्तर्गत पिछला पंचायत के बरारो याना नं०- 80, खाता नं0-62, खेसरा नं0-197, रकवा- 4.70 एकड़ जमीन में पिछले लगभग सौ सालों से मुस्लिम समुदाय के लोग कब्रिस्तान के रूप में इस्तेमाल करते आ रहे है। उक्त भूमि कुल 8.70 एकड़ बरारो रूईमहाल सैरात के नाम से खतियान में दर्ज है। जिसमें 4.70 एकड़ में कब्रिस्तान शेष जमीन में प्रधानमंत्री सड़क एक महादलितों एवं अल्पसंख्यको के घर-द्वार है।
1981 में विवाद के कारण याना अध्यक्ष-अंचलाधिकारी एंव दोनों पक्षों के बीच समझौता हुआ था। 2007 में भी विवाद के उपरांत अंचलाधिकरी किशनगंज द्वारा सरकारी अमीन से मापी कर कब्रिस्तान की भूमि का सीमाकन कराया गया था। 17.10.2017 को भी कब्रिस्तान की जमीन को अतिक्रमण करने के कारण विवाद उत्पन्न हुआ था। तत्कालीन विधायक जिला पदाधिकारी, पुलिस अधिक्षक के हस्तक्षेप से मामला शात हुआ था। इसके उपरान्त उक्त कब्रिस्तान की घेराबन्दी गृह विभाग से स्वीकृति मिली और कब्रिस्तान से एक पार्ट की घेराबन्दी हो चुकी है। दूसरे पार्ट की घेराबन्दी महादलित परिवारों द्वारा नहीं करने दिया जा रहा है। उक्त सैरात महाल को परता घोषित करने के लिए तत्कालीन जिला पदाधिकारी द्वारा पूर्णियाँ आयुक्त को प्रस्ताव भेजा गया था। अभी 17-18 मार्च को शबे बारात है शबे बारात में कब्रिस्तानों की सफाई किया जाता है। कब्रिस्तान के अन्दर महादलित परिवारों द्वारा गोबर- जलावन रखने के कारण फिर से विवाद उत्पन्न होने की संभावना है। साथ ही सैरात की जमीन को बंगाल के लोगों को महादलित कब्जा धारी द्वारा बेचा जा रहा है। बंगाल के लोगों द्वारा घर बनाए जाने से फिर से विवाद उत्पन्न हो गया है।
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