प्रभावित इलाकों में प्राथमिकता के आधार फॉगिंग के साथ फैलाई जाएगी जागरूकता
04 जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर किया गया रवाना
वर्तमान में सूबे सहित जिले में डेंगू का प्रसार जारी है। डेंगू मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। वहीं तेजी से लोग इससे उबर रहे हैं। जिले में डेंगू प्रभावित मरीजों की संख्या बढ़ कर 10 हो गई है। इसमें फिलहाल 03 एक्टिव मरीज हैं। मच्छर जनित रोगों में डेंगू अति गंभीर रोगों की श्रेणी में आता है। डेंगू से बचाव के लिए जागरूकता अत्यंत आवश्यक है। इसी क्रम में जिले में डेंगू से जागरूकता के लिए 04 जागरूकता रथ को सदर अस्पताल प्रांगण से सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर एवं जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि डेंगू से बचाव के लिए लोगों को सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। क्योंकि, इस बीमारी से बचाव के लिए सही जानकारी के साथ-साथ सतर्कता और सावधानी ही सबसे बेहतर और कारगर उपाय है। इसलिए, सभी लोग इस बीमारी से सतर्क और सावधान रहें एवं बचाव से संबंधित उपाय का निश्चित रूप से पालन करें। अब तक कुल रैपिड एंटी जेंट जांच 826 की गई है। डेंगू मरीजों को सभी तरह की चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग लगातार जरूरी पहल कर रहा है। डेंगू के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए विभाग अलर्ट -जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने कहा कि जिले में डेंगू को लेकर फिलहाल स्थिति सामान्य है। उनके मुताबिक जागरूकता रथ अगले पांच दिनों तक जिलेभर में घूम-घूम कर जागरूकता फैलाएगा। डेंगू के प्रसार पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर विभाग पूरी तरह अलर्ट है। इसे लेकर डेंगू संक्रमण के शिकार सभी मरीजों के घर के आसपास 500 मीटर के दायरे में फॉगिंग कराई जा रही है। संक्रमित सभी व्यक्ति के घरों में फॉगिंग संपन्न हो चुकी है। डेंगू मरीजों की लाइनलिस्ट तैयार की गई है। नियमित रूप से मरीजों का फॉलोअप किया जा रहा है। ताकि उन्हें समुचित चिकित्स्कीय सुविधा उपलब्ध कराई जा सके। उन्होंने बताया कि शहरी इलाकों में संबंधित नगरपालिका व ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य विभाग के स्तर से छिड़काव किया जा रहा है।
जांच व इलाज का पर्याप्त इंतजाम-
सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री के दिशा निर्देश के आलोक में जिले में डेंगू की जांच व इलाज का समुचित इंतजाम उपलब्ध है। जिले के सभी पीएचसी व एपीएचसी स्तर पर डेंगू जांच से संबंधित सुविधा उपलब्ध है। डेंगू संबंधी मामलों के सत्यापन के लिए सदर अस्पताल में एलीजा टेस्ट की सुविधा उपलब्ध है। प्रारंभिक जांच में डेंगू का लक्षण उजागर होने पर सैंपल वैरिफिकेशन के लिए इसे सदर अस्पताल भेजा जाता है। जहां डेंगू का मामला सत्यापित होने पर मरीजों की समुचित जांच के बाद जरूरी चिकित्सकीय सुविधा उन्हें उपलब्ध करायी जा रही है।
डेंगू से बचाव के लिए सही जानकारी जरूरी:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने बताया, आमलोगों के बीच डेंगू से बचाव के लिए सही जानकारी नहीं होने के कारण उनके लिए डेंगू शब्द ही खौफ का मुद्दा है। यदि इसके विषय में आम लोगों को पूरी जानकारी दी जाए तो लोगों के मन से डेंगू का भय खत्म हो सकता है। वहीं, उन्होंने बताया, एडीज नामक मच्छर के काटने से डेंगू बुखार होता है। यह मच्छर साफ और स्थिर पानी में पनपता है, जो अधिकांश दिन में ही काटता है। डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है। 3 से 7 दिन तक लगातार बुखार, तेज सर में दर्द, पैरों के जोड़ों मे तेज दर्द, आँख के पीछे तेज दर्द, चक्कर एवं उल्टी, शरीर पर लाल धब्बे आना एवं कुछ मामलों में आंतरिक एवं बाह्य रक्तस्राव होना डेंगू के लक्षण में शामिल हैं। कुशल प्रबंधन एवं चिकित्सकों की निगरानी से डेंगू को जानलेवा होने से बचाया जा सकता है। इसलिए, जरूरी है कि डेंगू के लक्षण दिखाई देने पर चिकित्सकीय सलाह ली जाए। डेंगू के लक्षण दिखाई देने पर बिना चिकित्सकीय सलाह के बुखार की दवा खाना खतरनाक हो सकता है।
दिन में सोते समय भी लगाएं मच्छरदानी:
डॉ मंजर आलम ने बताया कि दिन में भी सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। इसके साथ-साथ मच्छर भगाने वाली क्रीम या दवा का प्रयोग दिन में भी करें। पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। घर के सभी कमरों को साफ- सुथरा रखें। टूटे-फूटे बर्तनों, कूलर, एसी, फ्रीज में पानी जमा नहीं होने दें। पानी टंकी और घर के आसपास अन्य जगहों पर भी पानी नहीं जमने दें। घर के आसपास साफ-सफाई का ध्यान रखें और कीटनाशक दवा का इस्तेमाल करें। गमला, फूलदान का पानी हर दूसरे दिन बदल दें। घर के साथ-साथ सार्वजनिक स्थलों पर सतर्कता जरूरी है। मॉल व दुकान चलाने वाले लोग भी खाली जगहों पर रखे डिब्बे और कार्टनों में पानी जमा नहीं होने दें। जमे हुए पानी पर मिट्टी का तेल डालें।
डेंगू के लक्षण:
अचानक तेज सिर दर्द व तेज बुखार, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना, आंखों के पीछे दर्द होना जो कि आंखों को घुमाने से बढ़ता है, जी मिचलाना एवं उल्टी होना, गंभीर मामलों में नाक, मुंह व मसूड़ों से खून आना, त्वचा पर चकत्ते उभरना।
बचाव के उपाय:
एडीज के मच्छर साफ स्थिर पानी में पनपते हैं, कूलर, पानी की टंकी, पक्षियों के पीने के पानी का बर्तन, फ्रीज की ट्रे, फूलदान इत्यादि को प्रति सप्ताह खाली करें एवं धूप में सुखाकर प्रयोग करें।घरों के दरवाजे व खिड़कियों में जाली परदे लगाएं।
राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।
प्रभावित इलाकों में प्राथमिकता के आधार फॉगिंग के साथ फैलाई जाएगी जागरूकता
04 जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर किया गया रवाना
वर्तमान में सूबे सहित जिले में डेंगू का प्रसार जारी है। डेंगू मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। वहीं तेजी से लोग इससे उबर रहे हैं। जिले में डेंगू प्रभावित मरीजों की संख्या बढ़ कर 10 हो गई है। इसमें फिलहाल 03 एक्टिव मरीज हैं। मच्छर जनित रोगों में डेंगू अति गंभीर रोगों की श्रेणी में आता है। डेंगू से बचाव के लिए जागरूकता अत्यंत आवश्यक है। इसी क्रम में जिले में डेंगू से जागरूकता के लिए 04 जागरूकता रथ को सदर अस्पताल प्रांगण से सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर एवं जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि डेंगू से बचाव के लिए लोगों को सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। क्योंकि, इस बीमारी से बचाव के लिए सही जानकारी के साथ-साथ सतर्कता और सावधानी ही सबसे बेहतर और कारगर उपाय है। इसलिए, सभी लोग इस बीमारी से सतर्क और सावधान रहें एवं बचाव से संबंधित उपाय का निश्चित रूप से पालन करें। अब तक कुल रैपिड एंटी जेंट जांच 826 की गई है। डेंगू मरीजों को सभी तरह की चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग लगातार जरूरी पहल कर रहा है। डेंगू के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए विभाग अलर्ट -जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने कहा कि जिले में डेंगू को लेकर फिलहाल स्थिति सामान्य है। उनके मुताबिक जागरूकता रथ अगले पांच दिनों तक जिलेभर में घूम-घूम कर जागरूकता फैलाएगा। डेंगू के प्रसार पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर विभाग पूरी तरह अलर्ट है। इसे लेकर डेंगू संक्रमण के शिकार सभी मरीजों के घर के आसपास 500 मीटर के दायरे में फॉगिंग कराई जा रही है। संक्रमित सभी व्यक्ति के घरों में फॉगिंग संपन्न हो चुकी है। डेंगू मरीजों की लाइनलिस्ट तैयार की गई है। नियमित रूप से मरीजों का फॉलोअप किया जा रहा है। ताकि उन्हें समुचित चिकित्स्कीय सुविधा उपलब्ध कराई जा सके। उन्होंने बताया कि शहरी इलाकों में संबंधित नगरपालिका व ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य विभाग के स्तर से छिड़काव किया जा रहा है।
जांच व इलाज का पर्याप्त इंतजाम-
सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री के दिशा निर्देश के आलोक में जिले में डेंगू की जांच व इलाज का समुचित इंतजाम उपलब्ध है। जिले के सभी पीएचसी व एपीएचसी स्तर पर डेंगू जांच से संबंधित सुविधा उपलब्ध है। डेंगू संबंधी मामलों के सत्यापन के लिए सदर अस्पताल में एलीजा टेस्ट की सुविधा उपलब्ध है। प्रारंभिक जांच में डेंगू का लक्षण उजागर होने पर सैंपल वैरिफिकेशन के लिए इसे सदर अस्पताल भेजा जाता है। जहां डेंगू का मामला सत्यापित होने पर मरीजों की समुचित जांच के बाद जरूरी चिकित्सकीय सुविधा उन्हें उपलब्ध करायी जा रही है।
डेंगू से बचाव के लिए सही जानकारी जरूरी:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने बताया, आमलोगों के बीच डेंगू से बचाव के लिए सही जानकारी नहीं होने के कारण उनके लिए डेंगू शब्द ही खौफ का मुद्दा है। यदि इसके विषय में आम लोगों को पूरी जानकारी दी जाए तो लोगों के मन से डेंगू का भय खत्म हो सकता है। वहीं, उन्होंने बताया, एडीज नामक मच्छर के काटने से डेंगू बुखार होता है। यह मच्छर साफ और स्थिर पानी में पनपता है, जो अधिकांश दिन में ही काटता है। डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है। 3 से 7 दिन तक लगातार बुखार, तेज सर में दर्द, पैरों के जोड़ों मे तेज दर्द, आँख के पीछे तेज दर्द, चक्कर एवं उल्टी, शरीर पर लाल धब्बे आना एवं कुछ मामलों में आंतरिक एवं बाह्य रक्तस्राव होना डेंगू के लक्षण में शामिल हैं। कुशल प्रबंधन एवं चिकित्सकों की निगरानी से डेंगू को जानलेवा होने से बचाया जा सकता है। इसलिए, जरूरी है कि डेंगू के लक्षण दिखाई देने पर चिकित्सकीय सलाह ली जाए। डेंगू के लक्षण दिखाई देने पर बिना चिकित्सकीय सलाह के बुखार की दवा खाना खतरनाक हो सकता है।
दिन में सोते समय भी लगाएं मच्छरदानी:
डॉ मंजर आलम ने बताया कि दिन में भी सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। इसके साथ-साथ मच्छर भगाने वाली क्रीम या दवा का प्रयोग दिन में भी करें। पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। घर के सभी कमरों को साफ- सुथरा रखें। टूटे-फूटे बर्तनों, कूलर, एसी, फ्रीज में पानी जमा नहीं होने दें। पानी टंकी और घर के आसपास अन्य जगहों पर भी पानी नहीं जमने दें। घर के आसपास साफ-सफाई का ध्यान रखें और कीटनाशक दवा का इस्तेमाल करें। गमला, फूलदान का पानी हर दूसरे दिन बदल दें। घर के साथ-साथ सार्वजनिक स्थलों पर सतर्कता जरूरी है। मॉल व दुकान चलाने वाले लोग भी खाली जगहों पर रखे डिब्बे और कार्टनों में पानी जमा नहीं होने दें। जमे हुए पानी पर मिट्टी का तेल डालें।
डेंगू के लक्षण:
अचानक तेज सिर दर्द व तेज बुखार, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना, आंखों के पीछे दर्द होना जो कि आंखों को घुमाने से बढ़ता है, जी मिचलाना एवं उल्टी होना, गंभीर मामलों में नाक, मुंह व मसूड़ों से खून आना, त्वचा पर चकत्ते उभरना।
बचाव के उपाय:
एडीज के मच्छर साफ स्थिर पानी में पनपते हैं, कूलर, पानी की टंकी, पक्षियों के पीने के पानी का बर्तन, फ्रीज की ट्रे, फूलदान इत्यादि को प्रति सप्ताह खाली करें एवं धूप में सुखाकर प्रयोग करें।घरों के दरवाजे व खिड़कियों में जाली परदे लगाएं।
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