• Sat. Sep 13th, 2025

Saaras News - सारस न्यूज़ - चुन - चुन के हर खबर, ताकि आप न रहें बेखबर

जिले में स्तनपान शिक्षा और सहायता के लिए कदम बढ़ाएं थीम पर मनाया जायेगा स्तनपान सप्ताह।

देवाशीष चटर्जी, सारस न्यूज़, किशनगंज।

  • एक से सात अगस्त तक आयोजित होने वाले ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ के दौरान जिला स्तर से लेकर ग्रामीण स्तर तक आयोजित किए जाएंगे विविध कार्यक्रम।
  • जिला और प्रखण्ड स्तर पर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम के लिए किया गया है बजट का प्रावधान।

स्तनपान नवजात के स्वास्थ्य के लिए जीवन अमृत है। जन्म के तुरंत बाद से कराया जाने वाला स्तनपान ना सिर्फ उन्हें कई गंभीर रोगों से बचाता बल्कि उनके सम्पूर्ण विकास की सबसे महत्वपूर्ण सीढ़ी है। स्तनपान शिशुओं को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करने का सबसे अच्छा तरीका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि जन्म के एक घंटे से छह महीने तक शिशु को केवल स्तनपान कराना चाहिए। इसके बाद भी दो साल की उम्र तक स्तनपान जारी रखते हुए बच्चे को पोषक पूरक खाद्य पदार्थ देना चाहिए|वर्ल्ड ब्रैस्टफीडिंग वीक की शुरुआत 1992 में हुई थी। इसका उद्देश्य स्तनपान के लिए समर्थन देने और सार्वजनिक जागरूकता पैदा करना था| स्तनपान को प्रोत्साहित करने और दुनिया भर में शिशुओं के स्वास्थ्य में सुधार के लिए तब से हर साल 01 अगस्त से 07 अगस्त तक वर्ल्ड ब्रैस्टफीडिंग वीक मनाया जाता है। यह विश्व स्तनपान सप्ताह 1990 में सरकारी निति निर्माताओं, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ और अन्य संगठन द्वारा स्तनपान की रक्षा, प्रचार और समर्थन करने के लिए हस्ताक्षरित घोषणा की याद दिलाता है। इसी क्रम में जिले के जिला योजना समन्वयक सह नोडल पदाधिकारी विस्वजित कुमार ने बताया की जिले में 2022 के “स्तनपान शिक्षा और सहायता के लिए कदम बढ़ाएं” की थीम पर स्तनपान सप्ताह मनाया जायेगा। जिसमे एक से सात अगस्त तक आयोजित होने वाले ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ के दौरान जिला स्तर से लेकर ग्रामीण स्तर तक आयोजित किए जाएंगे विविध कार्यक्रम।

जिले के सदर अस्पताल सहित सभी संस्थागत प्रसव केन्द्रों में ब्रेस्ट फीडिंग कॉर्नर भी उपलब्ध है:-

सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया की जिले के सदर अस्पताल में प्रसव कक्ष और प्रसव करवाने की सुविधा के साथ प्रसव कक्ष और कंगारू मदर केयर वार्ड के अलावा स्तनपान कक्ष (ब्रेस्ट फीडिंग कॉर्नर) का निर्माण कराया गया है। वही नवनिर्मित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी यह सुविधा उपलब्ध है इसके साथ ही विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान एएनएम, आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका घर-घर जाकर गर्भवती और धातृ माताओं को छह महीने तक केवल स्तनपान कराने के महत्व के बारे में बताएगी औरआंगनबाड़ी केंद्रों पर बुधवार और शुक्रवार को वहां आने वाली सभी 2 वर्ष तक के बच्चों की माताओं से सेविका और आशा इस अभियान में उनसे जुड़ने के लिए कहेंगी। सभी स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसव कक्ष से जुड़ीं ममता कार्यकर्ताओं को भी यह निर्देश दे दिया गया है कि वो प्रसव के लिए आई महिलाओं को स्तनपान के प्रति जागरूक करें। उनके डिस्चार्ज होने पर कम से कम 6 माह तक केवल स्तनपान और 6 माह के बाद स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की आवश्यकता बताते हुये उन्हें स्तनपान करवाने के लिए प्रेरित भी करें।

नियमित स्तनपान से नवजात में रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है:-

जिले के सदर अस्पातल में कार्यरत महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शबनम यास्मिन ने बताया की जन्म के पहले घंटे में स्तनपान शुरू करने वाले नवजात शिशुओं में मृत्यु की संभावना 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है। इसके साथ ही पहले छह महीने तक केवल स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया एवं निमोनिया से होने वाली मृत्यु की संभावना 11 से 15 गुना तक कम हो जाती है। स्तनपान करने वाले शिशुओं का समुचित ढंग से शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है एवं वयस्क होने पर उसमें गैर संचारी (एनसीडी) बीमारियों के होने की भी संभावना कम होती है। इसके साथ ही स्तनपान कराने वाली माताओं में स्तन एवं ओवरी कैंसर होने का खतरा भी नहीं होता है।

  • रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि।
  • मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता से शिशु मृत्यु दर में कमी।
  • डायरिया एवं निमोनिया के साथ कई गंभीर रोगों से बचाव।
  • सम्पूर्ण शारीरिक एवं मानसिक विकास।

जिला और प्रखण्ड स्तर पर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम के लिए किया गया है बजट का प्रावधान:-

जिले के जिला योजना समन्वयक सह नोडल पदाधिकारी ने बताया की “प्रोटेक्ट ब्रेस्ट फीडिंग : ए शेयर रेस्पोंसबलिटी” के थीम पर “वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक” मनाया जाएगा। इस दौरान एक से सात अगस्त तक आयोजित होने वाले “विश्व स्तनपान सप्ताह” के दौरान जिला स्तर, प्रखण्ड स्तर से लेकर ग्रामीण स्तर तक विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। राज्य स्वास्थ्यय समिति के द्वारा जिला एवं प्रखण्ड स्तर पर आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम के लिए बजट के रूप में चार हजार और तीन हज़ार रुपये का प्रावधान किया गया है साथ ही ग्रामीण स्तर पर आशा के द्वारा घर-घर जाकर जागरूक करने के लिए मां कार्यक्रम के तहत उन्हें इंसेंटिव मिलेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *