टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत मटियारी पंचायत स्थित माली टोला गांव में कनकई नदी का कहर जारी है। आज तीसरे दिन कनकई नदी के जलस्तर में कमी आने की वजह से कटाव और तेज हो रहा है। बताते चलें कि अब तक दर्जनों पक्के के घर कनकई नदी में विलीन हो चुके हैं।
लोग जान बचाकर सुरक्षित स्थानों के तरफ पलायन कर रहे हैं। वहीं कुछ लोग घरों से जरूरी समान को लेकर रिस्तेदारों के यहां तत्काल ठहरें हुए हैं। कुछ ग्रामीण सुरक्षित स्थानों की तलाश में दरबदर ठोकरे खा रहे हैं। अबेबूल आलम की पत्नी रोते हुए जिला पदाधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों को इसका जिम्मेदार मानती हैं। बातचीत में बताती हैं कि बीते तीन वर्षों से प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाकर थक गई हूं, पर किसी ने कुछ नहीं किया। मैं ख़ून पसीना की कमाई को पाई -पाई, तिनका- तिनका इक्कठा कर अपना रहने का आशियाना तैयार किया था। जो नदी में धाराशाई हो गया। और जो बचा है वो भी धाराशाई होने वाली है। वहीं समीर उद्दीन व मोहन राम ने बताया कि माली टोला गांव जल निस्सरण विभाग एवं आपदा विभाग के भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ गया। जलनिस्सरण विभाग द्वारा केवल, दिखावे के बांस बल्ले के सहारे आज तक केवल निरीक्षण और खानापूर्ति की गई है। कटाव रोधी कार्य के नाम पर पैसों का बंदरबांट हुआ है। अभी तक ठोस कार्य नहीं किया गया है। जिसका नतीजा है कि माली टोला गांव का वजूद मिटने वाला है। वहीं जनप्रतिनिधियों के तरफ से केवल छलावा किया गया। उनके द्वारा कोई ठोस और कारगर कदम आज तक नहीं उठाया गया। जिसके वजह से सैकड़ों परिवार विस्थापित हो चुके हैं। कटाव पिड़ीत परिवार जियाउर रहमान का कहना है कि माल मवेशी एवं बाल बच्चे को लेकर कहां जाऊं, क्या करूं, मुझे कुछ समझ में नहीं आता विभाग के तरफ से अभी तक कोई मदद नहीं मिली है। सांसद व विधायक खबर तक लेने नहीं पहुंचे हैं।
देवाशीष चटर्जी, सारस न्यूज, टेढ़ागाछ।
टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत मटियारी पंचायत स्थित माली टोला गांव में कनकई नदी का कहर जारी है। आज तीसरे दिन कनकई नदी के जलस्तर में कमी आने की वजह से कटाव और तेज हो रहा है। बताते चलें कि अब तक दर्जनों पक्के के घर कनकई नदी में विलीन हो चुके हैं।
लोग जान बचाकर सुरक्षित स्थानों के तरफ पलायन कर रहे हैं। वहीं कुछ लोग घरों से जरूरी समान को लेकर रिस्तेदारों के यहां तत्काल ठहरें हुए हैं। कुछ ग्रामीण सुरक्षित स्थानों की तलाश में दरबदर ठोकरे खा रहे हैं। अबेबूल आलम की पत्नी रोते हुए जिला पदाधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों को इसका जिम्मेदार मानती हैं। बातचीत में बताती हैं कि बीते तीन वर्षों से प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाकर थक गई हूं, पर किसी ने कुछ नहीं किया। मैं ख़ून पसीना की कमाई को पाई -पाई, तिनका- तिनका इक्कठा कर अपना रहने का आशियाना तैयार किया था। जो नदी में धाराशाई हो गया। और जो बचा है वो भी धाराशाई होने वाली है। वहीं समीर उद्दीन व मोहन राम ने बताया कि माली टोला गांव जल निस्सरण विभाग एवं आपदा विभाग के भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ गया। जलनिस्सरण विभाग द्वारा केवल, दिखावे के बांस बल्ले के सहारे आज तक केवल निरीक्षण और खानापूर्ति की गई है। कटाव रोधी कार्य के नाम पर पैसों का बंदरबांट हुआ है। अभी तक ठोस कार्य नहीं किया गया है। जिसका नतीजा है कि माली टोला गांव का वजूद मिटने वाला है। वहीं जनप्रतिनिधियों के तरफ से केवल छलावा किया गया। उनके द्वारा कोई ठोस और कारगर कदम आज तक नहीं उठाया गया। जिसके वजह से सैकड़ों परिवार विस्थापित हो चुके हैं। कटाव पिड़ीत परिवार जियाउर रहमान का कहना है कि माल मवेशी एवं बाल बच्चे को लेकर कहां जाऊं, क्या करूं, मुझे कुछ समझ में नहीं आता विभाग के तरफ से अभी तक कोई मदद नहीं मिली है। सांसद व विधायक खबर तक लेने नहीं पहुंचे हैं।
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