बताते चलें कि प्रत्येक वर्ष बरसात के मौसम में नदी का जलस्तर बढ़ने से दर्जनों घर एवं उपजाऊ जमीन नदी की तेज कटाव के आगोश में समा जाती है एवं आमजन बेघर होकर अपनी दुरदर्शा पर आँशु बहाते रहते हैं। हालांकि विभागीय अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के द्वारा कटाव रोधी कार्य करवाने का आश्वाशन तो ग्रामीणों को दिया जाता है परन्तु कटाव रोधी कार्य नही किया जाता है। जिसका खामियाजा गरीब परिवार के लोगों को अपने घर एवं जमीन को गंवाकर भुगतना मजबूरी बन गई है।
स्थानीय लोगों की माने तो प्रत्येक वर्ष यह नदी बरसात के मौसम में अपने तेज कटाव में हजारों परिवारों की जमीन को अपने आगोश में समा लेती है। इसी कड़ी में सोमवार की सुबह से ही नेपाल के तराई इलाके से बहने वाली रतवा नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी किनारे बने सरकारी विद्यालय सहित राजस्व हाट एवं नदी किनारे बसे घर अब कटाव की जद में है। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी एवं जल निस्सरण विभाग से जल्द से जल्द कतावरोधी कार्य करवाने की मांग की है।
देवाशीष चटर्जी, सारस न्यूज़, टेढ़ागाछ।
बताते चलें कि प्रत्येक वर्ष बरसात के मौसम में नदी का जलस्तर बढ़ने से दर्जनों घर एवं उपजाऊ जमीन नदी की तेज कटाव के आगोश में समा जाती है एवं आमजन बेघर होकर अपनी दुरदर्शा पर आँशु बहाते रहते हैं। हालांकि विभागीय अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के द्वारा कटाव रोधी कार्य करवाने का आश्वाशन तो ग्रामीणों को दिया जाता है परन्तु कटाव रोधी कार्य नही किया जाता है। जिसका खामियाजा गरीब परिवार के लोगों को अपने घर एवं जमीन को गंवाकर भुगतना मजबूरी बन गई है।
स्थानीय लोगों की माने तो प्रत्येक वर्ष यह नदी बरसात के मौसम में अपने तेज कटाव में हजारों परिवारों की जमीन को अपने आगोश में समा लेती है। इसी कड़ी में सोमवार की सुबह से ही नेपाल के तराई इलाके से बहने वाली रतवा नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी किनारे बने सरकारी विद्यालय सहित राजस्व हाट एवं नदी किनारे बसे घर अब कटाव की जद में है। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी एवं जल निस्सरण विभाग से जल्द से जल्द कतावरोधी कार्य करवाने की मांग की है।
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