सारस न्यूज किशनगंज।
स्थानीय जैन धर्मावलंबियों का 10 दिवसीय दशलक्षण महापर्व बुधवार से प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर जैन मंदिर में पूजा-अर्चना की गई। जैन श्रद्धालुओं ने क्षमा, भाव व क्रोध के त्याग की साधना के साथ पूजा की। थाली में खाद्य पदार्थ, जल, चंदन, अक्षत, पुष्प, दीप, फल आदि रखा गया। इसमें महिलाओं की अधिक भागीदारी थी। इसके अलावा श्री दिगंबर जैन मंदिर में पंडित सुदेश जैन शास्त्री द्वारा प्रवचन दिया गया। पूजा-अर्चना के उपरांत मंगल प्रवचन करते हुए श्रावकों को उत्तम क्षमा का महत्व समझाया गया। कहा गया कि जो जीवन को मंगलमय बनाए वही पर्युषण पर्व है।
जीवन को जीवंत बनाए रखने को साधना जरूरी है। साधना के बिना जीवन भाव शून्य हो जाएगा। कहा गया कि क्रोध उत्पन्न होने के बावजूद जो थोड़ा भी क्रोध नहीं करता, वह क्षमा धर्म का धारी होता है। क्षमा से जीवन में वैराग्य का पुष्प प्रस्फुटित होता है। यही पुष्प जीव को मोक्ष मार्ग की ओर ले जाता है। जन्म, जरा और मृत्यु के प्रवाह में बहते हुए जीवों के लिए धर्म एकमात्र दीप, गति, प्रतिष्ठा और उत्तम शरण है।
सायंकालीन बेला में सामूहिक आरती के बाद भी शास्त्र प्रवचन हुए। उन्होंने कहा कि आचरण की पवित्रता के लिए मन की निर्मल होना जरूरी है। ऐसा तभी संभव है।जब हम राग-द्वेष से ऊपर उठकर सभी को समान भाव से देखें। क्रोध करने से जीवन के सारे पुण्य क्षीण हो जाते हैं। इसलिए उसे अपने पास भी न फटकने दें। प्रत्येक जीव को जीने का अधिकार है। इसलिए कोशिश करें कि भूलवश भी हिंसा न हो।