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डब्ल्यूएचओ के एसएमओ ने ग्रामीण चिकित्सकों के साथ की बैठक, पोलियो मुक्त देश होने के बाद भी इससे मिलते-जुलते रोग की शिकायत मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में।

सारस न्यूज टीम, किशनगंज।

आदिवासी क्षेत्र में बच्चों के शरीर के अंग लुंजपुंज होने की मिल रही शिकायत पोलियो मुक्त देश होने के बाद भी इससे मिलते जुलते रोग की शिकायत मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में है। डब्ल्यूएचओ के एसीएमओ डॉक्टर अनिसुर रहमान ने बेलवा पीएचसी में ग्रामीण चिकित्सकों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि खासकर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में बच्चों के शरीर के अंग लुंज पुंज होने की शिकायत मिल रही है। स्वास्थ्य विभाग इसे एक्विट फ्लीड पैरालिसिस की बीमारी मान रही है। ग्रामीण चिकित्सकों को उन्होंने खसरा, रूबेला, डिप्थीरिया, प्रटुसिस एवं नवजात टेटनस के संबंधित केस सामने आने पर तुरन्त रिपोर्ट करने की सलाह दी।

ताकि उसकी जांच किया जा सके। उन्होंने बताया की बच्चों के पैर-हाथ के अलावा गर्दन, मुंह और स्पाइनल बोन में ये बीमारी मिल रही है। इससे शरीर का अंग पूरी तरह लुंजपुंज हो जाता है। कई मामलों में शरीर काम करना बंद कर देता है। एसएमओ डॉक्टर रहमान ने इन बीमारियों से संबंधित लक्षण की जानकारी देते हुए कहा पिछले छह माह के दौरान 15 वर्ष तक के बच्चे में अचानक शरीर के किसी भी हिस्से में कमजोरी अथवा किसी भी उम्र के व्यक्ति में लकवा की शिकायत बढ़ी है।

बुखार के साथ चकत्ते या लाल दाना अथवा खसरा संक्रमण का संदेह होना, गले या टान्सिल में दर्द होना खांसी के साथ आवाज का भारी होना, खांसी का लगातार होना, खाने के बाद सांस लेने पर जोरदार आवाज होना, खाने के तुरंत बाद उल्टी होना इसका लक्षण माना जाता है। नवजात शिशु का अचानक मां का दूध नहीं पीना, शरीर का अकड़ना, जैसी शिकायत आने पर तुरंत नजदीक के अस्पताल या डब्लूएचओ को सूचना दें। सीएस डॉक्टर कौशल किशोर ने कहा कि किसी भी उम्र के व्यक्ति को बुखार, गले या टॉन्सिल में दर्द, खांसी के साथ आवाज भारी और टॉन्सिल या उसके आसपास सफेद ग्रे रंग की झिल्ली हो तो यह डिप्थेरिया हो सकता है। समय पर इलाज से इस रोका जा सकता है।

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