शुक्रवार को दिगंबर जैन समुदाय द्वारा आयोजित 10 दिवसीय दशलक्षण पर्युषण महापर्व का समापन धूमधाम से संपन्न हो गया। नगर स्थित दिंगबर जैन मंदिर में अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म धारण कर प्रात: दिगंबर जैन मंदिर में 1008 भगवान वसु पूज्य नाथ जी के मोक्ष कल्याणक के अवसर पर निर्वाण लड्डू चढ़ाया गया। इस दौरान जयपुर (राजस्थान) पंडित सुदेश जैन शास्त्री के सानिध्य में जिनेंद्र भगवान का अभिषेक, शांतिधारा पूजन-पाठ का कार्यक्रम हुआ। पर्यूषण पर्व के समापन पर उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पर प्रकाश डालते हुए पंडित सुदेश जैन शास्त्री ने कहा कि आत्मा में रमने का नाम ब्रह्मचर्य है।
शारीरिक और मानसिक विषय भोगों से विरक्त होकर परम आत्म तत्व में लीन होना ही ब्रह्मचर्य है। ब्रह्मचर्य हमें सिखाता है कि उन परिग्रहो का त्याग करना जो हमारे भौतिक संपर्क से जुडी हुई है। जैसे- जमीन पर सोना न कि गद्दे तकियों पर, जरुरत से ज्यादा किसी वस्तु का उपयोग न करना, व्यय, मोह, वासना ना रखते सादगी से जीवन व्यतित करना। ब्रह्मचर्य का मतलब अपनी आत्मा मे रहना है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से आपको पूरे ब्रह्मांड का ज्ञान और शक्ति प्राप्त होगी और ऐसा न करने पर आप सिर्फ अपनी इच्छाओं और कामनाओं के गुलाम ही हैं।
उन्होंने बताया कि जैन ग्रन्थ, तत्त्वार्थ सूत्र में 10 धर्मों का वर्णन है। यह धर्म है- उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम सत्य, उत्तम शौच, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन्य एवं उत्तम ब्रह्मचर्य। दशलक्षण पर्व पर इन दस धर्मों को धारण किया जाता है। अंत में पंडित सुदेश जैन शास्त्री ने कहा कि पर्युषण के ये दस दिवस दशलक्षण हमारे लिए प्रयोग शिक्षा के रूप में मिले हैं। जिसके संस्कार हमें वर्ष भर या यूं कहें तमाम जीवन भर चलाने हैं। पर्यूषण पर्व हमें मर्यादित, संस्कारित, सुव्यवस्थित जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
वहीं पर्युषण महापर्व के दौरान हिमानी जैन ने 10 दिनों तथा सिमरन जैन ने तीन दिनों का व्रत रखा।इस पर्व में मोहन जैन, संतोष जैन, विनय जैन, प्रदीप जैन, पंकज जैन, तन्मय जैन, हितेश जैन, सुमित जैन, आलोक जैन, उषा जैन, पुजा जैन, मधु जैन, नीतु जैन, डिंपल जैन, सुमन जैन, सविता जैन, पूनम जैन, अल्का जैन, हिमानी जैन आदि सहित नगर के सभी जैन धर्म के अनुयायी मुख्य रूप से शामिल हुए।
सारस न्यूज, किशनगंज।
शुक्रवार को दिगंबर जैन समुदाय द्वारा आयोजित 10 दिवसीय दशलक्षण पर्युषण महापर्व का समापन धूमधाम से संपन्न हो गया। नगर स्थित दिंगबर जैन मंदिर में अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म धारण कर प्रात: दिगंबर जैन मंदिर में 1008 भगवान वसु पूज्य नाथ जी के मोक्ष कल्याणक के अवसर पर निर्वाण लड्डू चढ़ाया गया। इस दौरान जयपुर (राजस्थान) पंडित सुदेश जैन शास्त्री के सानिध्य में जिनेंद्र भगवान का अभिषेक, शांतिधारा पूजन-पाठ का कार्यक्रम हुआ। पर्यूषण पर्व के समापन पर उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पर प्रकाश डालते हुए पंडित सुदेश जैन शास्त्री ने कहा कि आत्मा में रमने का नाम ब्रह्मचर्य है।
शारीरिक और मानसिक विषय भोगों से विरक्त होकर परम आत्म तत्व में लीन होना ही ब्रह्मचर्य है। ब्रह्मचर्य हमें सिखाता है कि उन परिग्रहो का त्याग करना जो हमारे भौतिक संपर्क से जुडी हुई है। जैसे- जमीन पर सोना न कि गद्दे तकियों पर, जरुरत से ज्यादा किसी वस्तु का उपयोग न करना, व्यय, मोह, वासना ना रखते सादगी से जीवन व्यतित करना। ब्रह्मचर्य का मतलब अपनी आत्मा मे रहना है। ब्रह्मचर्य का पालन करने से आपको पूरे ब्रह्मांड का ज्ञान और शक्ति प्राप्त होगी और ऐसा न करने पर आप सिर्फ अपनी इच्छाओं और कामनाओं के गुलाम ही हैं।
उन्होंने बताया कि जैन ग्रन्थ, तत्त्वार्थ सूत्र में 10 धर्मों का वर्णन है। यह धर्म है- उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम सत्य, उत्तम शौच, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन्य एवं उत्तम ब्रह्मचर्य। दशलक्षण पर्व पर इन दस धर्मों को धारण किया जाता है। अंत में पंडित सुदेश जैन शास्त्री ने कहा कि पर्युषण के ये दस दिवस दशलक्षण हमारे लिए प्रयोग शिक्षा के रूप में मिले हैं। जिसके संस्कार हमें वर्ष भर या यूं कहें तमाम जीवन भर चलाने हैं। पर्यूषण पर्व हमें मर्यादित, संस्कारित, सुव्यवस्थित जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
वहीं पर्युषण महापर्व के दौरान हिमानी जैन ने 10 दिनों तथा सिमरन जैन ने तीन दिनों का व्रत रखा।इस पर्व में मोहन जैन, संतोष जैन, विनय जैन, प्रदीप जैन, पंकज जैन, तन्मय जैन, हितेश जैन, सुमित जैन, आलोक जैन, उषा जैन, पुजा जैन, मधु जैन, नीतु जैन, डिंपल जैन, सुमन जैन, सविता जैन, पूनम जैन, अल्का जैन, हिमानी जैन आदि सहित नगर के सभी जैन धर्म के अनुयायी मुख्य रूप से शामिल हुए।
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