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फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर जिला कृषि टास्क फोर्स की बैठक आयोजित, डीएम ने दिए कई निर्देश।

सारस न्यूज, किशनगंज।

शनिवार को समाहरणालय सभागार कक्ष में जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री की अध्यक्षता में फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर जिला कृषि टास्क फोर्स की बैठक आयोजित की गई। जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने फसलों के अवशेष प्रबंधन एवं पराली को खेतों में ना जलाने के संबंध में जागरूकता फैलाने का निर्देश दिया। उन्होंने फसलों के अवशेष को खेतों में ना जलाने हेतु किसानों के बीच जागरूकता फैलाने तथा फसलों के अवशेष को खेतों में जलाने से होने वाले नुकसान को लेकर उपस्थित सभी विभागों यथा कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, आईसीडीएस आदि विभागों से आपसी समन्वय स्थापित करते हुए किसानों के बीच जागरूकता उत्पन्न करने का कार्य करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि इसका व्यापक प्रचार प्रसार किसानों के बीच करवाया जाए। उन्होंने किसान चौपालों में कृषि वैज्ञानिकों की उपस्थिति में किसानों को फसल जलाने से होने वाले नुकसान एवं पराली प्रबंधन की जानकारी देने का निर्देश दिया। बैठक में डीएम ने शिक्षा विभाग के पदाधिकारी को निर्देश दिया कि विद्यालयों में छात्रों को फसल अवशेष प्रबंधन की जानकारी दी जाए। जीविका समूहों में परिचर्चा के माध्यम से एवं आंगनवाड़ी केंद्रों पर नामांकित बच्चों के अभिभावक किसानों को भी फसल अवशेष प्रबंधन के फायदों के संबंध में जागरूक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा भी इसकी विस्तृत समीक्षा की जाती है। खेतों में कृषि अवशेष या पराली जलाते पाए जाने वाले किसानों को 3 साल तक कृषि विभाग के लाभकारी योजनाओं से वंचित कर दिया जाता है। जिला कृषि पदाधिकारी ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि फसल अवशेषों को जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ने के कारण मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु, केंचुआ आदि मर जाते हैं। साथ ही जैविक कार्बन, जो पहले से हमारी मिट्टी में कम है, वह भी जलकर नष्ट हो जाता है। फलस्वरुप मिट्टी की उर्वरा शक्ति क्षीण हो जाती है। उन्होंने जानकारी दी कि एक टन पुआल जलाने से 3 किलोग्राम पार्टिकुलेट मैटर, 60 किलोग्राम कार्बन मोनोक्साइ, 1460 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड, 199 किलोग्राम राख, 2 किलोग्राम सल्फर डाईऑक्साइड उत्सर्जित होता है, जो हमारे वातावरण और वायुमंडल को प्रदूषित करता है। पुआल जलाने से मानव स्वास्थ्य को भी काफी नुकसान पहुंचता है। सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, नाक में तकलीफ, गले की समस्या आदि उत्पन्न होती है।

गौरतलब है कि पुआल नहीं जलाकर उसका प्रबंधन करने में उपयोगी कृषि यंत्र- स्ट्राॅ बेलर, हैप्पी सीडर, जीरो टिल सीड- कम – फर्टिलाइजर ड्रिल, रीपर-कम- बाईंडर, स्ट्राॅ रीपर, रोटरी मल्चर इत्यादि यंत्रों पर अनुदान की राशि बढ़ा दी गई है। इस बैठक में उप विकास आयुक्त मनन राम, अपर समाहर्त्ता अनुज कुमार, सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर प्रसाद, डीआरडीए के निदेशक विकास कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी सुभाष गुप्ता, जिला कृषि पदाधिकारी कृष्णानंद चक्रवर्ती, जिला मत्स्य पदाधिकारी, जिला सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी, सहायक निदेशक/ उद्यान, सहायक निदेशक, कृषि अभियंत्रण, जिला सहकारिता पदाधिकारी, कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक सहित अन्तर्विभागीय कार्य समूह के सभी सदस्य उपस्थित थे।

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