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फसल अवशेष प्रबंधन को ले बैठक आयोजित, फसल अवशेष जलाने वाले किसानों को तीन वर्षों तक कृषि से संबंधित योजनाओं के लाभ से होना पड़ेगा वंचित, सीआरपीसी के तहत हो सकती है कार्रवाई।


सारस न्यूज, किशनगंज।


जिलाधिकारी तुषार सिंगला की अध्यक्षता में फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर अंतर विभागीय कार्य समूह की बैठक उनके कार्यालय प्रकोष्ठ में आयोजित की गई। जिलाधिकारी ने फसलों के अवशेष को खेतों में न जलाने हेतु किसानों के बीच जागरूकता फैलाने तथा फसलों के अवशेष को खेतों में जलाने से होने वाले नुकसान को लेकर उपस्थित सभी विभागों यथा कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, आईसीडीएस इत्यादि के पदाधिकारियों को आपसी समन्वय स्थापित करते हुए किसानों के बीच जागरूकता उत्पन्न करने का कार्य करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि इसका व्यापक प्रचार प्रसार किसानों के बीच करवाया जाए।
जिलाधिकारी ने फसलों के अवशेष को खेतों में न जलाने तथा फसलों के अवशेष को खेतों में जलाने से होने वाले नुकसान को लेकर उपस्थित सभी विभागों के अधिकारियों को पूरी गंभीरता से कार्य करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि इसका व्यापक प्रचार प्रसार करवाये। उन्होंने किसान चौपालों में कृषि वैज्ञानिकों की उपस्थिति में किसानों को फसल जलाने से होने वाले नुकसान एवम पराली प्रबंधन की जानकारी देने का निर्देश दिया। उन्होंने विद्यालयो में बच्चों को फसल अवशेष प्रबंधन की जानकारी देने का भी निर्देश दिया।
उन्होंने बताया कि फसल अवशेष को जलाने से खेतो की उर्वरा शक्ति को काफी नुकसान पहुंचती है एवं प्रकृति तथा मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग की ओर से कई कृषि यंत्र किसानों को अनुदान पर उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि किसान खेतों में फसल अवशेष को ना जला कर उसे यंत्र द्वारा खाद के रूप में उपयोग कर सकें।
जिलाधिकारी ने इसके संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि फसल अवशेषों को जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ने के कारण मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु,केचुआ आदि मर जाते हैं। साथ ही जैविक कार्बन, जो पहले से हमारी मिट्टी में कम है और भी जलकर नष्ट हो जाता है,फल स्वरुप मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। अपने फसलों के अवशेष को खेत में जलाने के बदले उसमें वर्मी कंपोस्ट बनाएं या मिट्टी में मिलाये अथवा पलवार विधि से खेती कर मिट्टी को बचाकर संधारणीय कृषि पद्धति में अपना योगदान दें।
बैठक में डीएम ने बताया कि खेतों में कृषि अवशेष या पराली जलाते पाए जाने वाले किसानों को 3 साल तक कृषि विभाग के लाभकारी योजनाओं से वंचित कर दिया जाता है। बार बार फसल अवशेष जलाने वाले किसानों पर सीआरपीसी की धारा 133 के तहत आवश्यक निरोधात्मक कार्रवाई हो सकती है। धान कटनी के समय फसल अवशेष जलाने की सूचना जिला कृषि कार्यालय को 09470866791 पर दी जा सकती है।
डीएम ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन के संबंध में जन जागरण का कार्य करने में शिक्षा विभाग का मुख्य रोल रहेगा और सभी विद्यार्थियों को पराली जलाने के कुप्रभाव एवं फसल अवशेषों के प्रबंधन के फायदे पर जागरूक करने के लिए सामान्य भाषा में सरल शब्दों में दिलचस्प तरीके से जानकारी दी जानी चाहिए।
जिलाधिकारी ने यह भी निर्देश दिया कि प्रखंड स्तर एवं पंचायत स्तर पर भी कृषि विभाग से संबंधित योजनाओं का प्रचार प्रसार करने के लिए किसान कृषि समन्वयकों एवं किसान सलाहकारों को व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण कराया जाए ।
उन्होंने आत्मा एवं कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से फसल अवशेष प्रबंधन के संबंध में किसानों को प्रशिक्षित करने एवं इनके बैठकों के निर्धारित समय एवं तिथि के व्यापक प्रचार प्रसार का निर्देश भी दिया।
उन्होंने सभी संबंधित विभागों को अवशेष फसल प्रबंधन के संबंध में जागरूकता फैलाने हेतु दायित्व निर्धारित करते हुए निर्देश दिया कि इसका अनुपालन प्रतिवेदन एवं कृत कार्रवाई का प्रतिवेदन सभी संबंधित विभाग देना सुनिश्चित करेंगे।
इस बैठक में उप विकास आयुक्त स्पर्श गुप्ता, अपर समाहर्त्ता अनुज कुमार, सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर, जिला कृषि पदाधिकारी कृष्णानंद चक्रवर्ती, जिला सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी, जिला सहकारिता पदाधिकारी, कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक सहित अन्तर्विभागीय कार्य समूह के सभी सदस्य उपस्थित थे।

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