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भगवती की प्राण प्रतिष्ठा से लेकर विसर्जन की जिम्मेवारी उठाती हैं गलगलिया की महिलाएं

बीरबल महतो, सारस न्यूज़, गलगलिया।

दुर्गा पूजा सिर्फ पूजा और अनुष्ठान का पर्व ही नहीं है, बल्कि नारी शक्ति की क्षमता को जानने का अवसर भी है। कुछ ऐसा ही प्रतीक भारत-नेपाल सीमा से सटे किशनगंज जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर गलगलिया की एक दर्जन से अधिक महिलाएं बनी हुई हैं। महिलाओं की टोली अपने जोश और जज्बा से मां दुर्गा की प्राण प्रतिष्ठा से लेकर विसर्जन तक विधि विधान करती हैं। पूजा पंडाल का सारा खर्च इकट्ठा करने से लेकर पंडाल निर्माण से लेकर मूर्ति स्थापित कर उसके विसर्जन तक में महिलाएं की टोली ही शामिल रहती हैं।
गलगलिया के घोषपाड़ा गांव की महिलाएं वर्ष 2015 से दुर्गापूजा का आयोजन अपने कंधों पर करती हैं। पिछले छह वर्षों से दर्जन भर से अधिक स्थानीय बंगाली समुदाय की महिलाएं नेताजी स्पोर्टिंग क्लब के बैनर तले बिना किसी पुरुष की सहायता से धूमधाम से दुर्गा पूजा का आयोजन कर रही हैं। महिलाएं खुद समाज के संपन्न लोगों से चंदा इकट्ठा करती हैं और पूजा की सभी क्रिया-कलापों को अमलीजामा पहनाती हैं। पुरोहित के साथ पूजा अर्चना पर खुद समिति की महिला ही भाग लेती हैं और पूजनोत्सव के बाद मां की प्रतिमा का विसर्जन भी धूमधाम से करती हैं। इस बीच जितने भी सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाने हैं, सभी सांस्कृतिक व धार्मिक कार्यों को विधि विधान के साथ संपन्न कराती हैं। क्लब के अध्यक्षा रीना घोष बताती हैं कि मां दुर्गा आदिशक्ति हैं। कभी वह सृजन करती हैं तो कभी मां के रूप में पालन करती हैं और कभी अपने भीतर की शक्ति को जागृत कर महिषासुर जैसे दानवों का संहार करती हैं।
आज की नारी देवी दुर्गा के इन्हीं रूपों को साक्षात तौर पर निभा रही हैं। क्लब के सचिव बालिका घोष बताती हैं कि आज नारी का निर्बल नहीं सबल पक्ष देखने को मिलता है। वह सहनशील है, मजबूत है, किसी के दबाव में नहीं है। अंतरिक्ष से लेकर राजनीति तक सारे क्षेत्रों में अपनी काबिलियत साबित कर रही है। इस दुर्गा पूजा को सफलता पूर्वक आयोजन को लेकर क्लब में सदस्य पापिया घोष, बबिता घोष, अनुराधा घोष, गीता देवी, सोमा घोष, आरती घोष, उज्ज्वला घोष, इलोरा घोष, शिवानी घोष, पूर्णिमा घोष, पाली घोष, सागरिका घोष, मोली घोष, रूपा घोष, कामिनी घोष सहित बड़ी संख्या में बंगाली समुदाय की महिलाएं एकजुट होकर सक्रिय भूमिका निभाती हैं।

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