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भू-माफियाओं के कारण विद्यालय में पठन-पाठन हुआ बंद

सारस न्यूज़ टीम, सारस न्यूज़, किशनगंज।

किशनगंज के ब्लॉक चौक स्थित सिंमलबाड़ी उच्च विद्यालय की लगभग 5 एकड़ जमीन जो विद्यालय के नाम वर्षों पूर्व राज्यपाल के नाम रजिस्ट्री किए जाने के बाद उस भूमि पर बिहार सरकार द्वारा विद्यालय का निर्माण किया गया था। जिसमें लगातार विद्यालय सुचारू रूप से चल रहे थे, और उस इलाके के लोग एवं अभिभावक अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए उच्च विद्यालय में भेजा करते थे, जहां अधिकांश छात्राएं पठन-पाठन किया करती थी। मगर कुछ दिनों पूर्व उस करोड़ों की जमीन पर भू-माफिया की नजर आ खटकी जिसका परिणाम यह हुआ कि प्रशासन की लापरवाही के कारण भू-माफिया विद्यालय में पठन-पाठन बंद करा दिए हैं, और सांसद निधि से विद्यालय मे हाई स्कूल निर्माण के काम को करने से रोक दिए हैं। और वहां फिलहाल विद्यालय पूरी तरह से बंद हो चुका है, जिस पर जिला प्रशासन चुप्पी साधे हुए हैं, और अब स्थानीय लोगों का कहना है, कि हमारी बच्चियां जिला मुख्यालय के गर्ल हाई स्कूल इंटर हाई स्कूल आदि जाने में असमर्थ हैं। जिसके कारण उस क्षेत्र की छात्राएं शिक्षा से वंचित हो रही है। जिसे देखते हुए आज विद्यालय कमेटी के लोग और स्थानीय ग्रामीणों द्वारा विद्यालय को बचाने के लिए भू-माफिया से जमीन को रोकने के लिए एक बैठक किया गया। जहाँ सभी ग्रामीणों का एक सुर में कहना है कि यहां फिर से शिक्षा का अलख जगे नहीं तो हम सड़क जाम कर आंदोलन करेंगे, गौरतलब है कि उच्च विद्यालय सिमलबाड़ी किशनगंज के भूमि पर स्वत्ववाद संख्या – 35/2013 में अब तक पटना उच्च न्यायालय में अपील दायर नहीं किये जाने के कारण विद्यालय पूरी तरह से बाधित हो चुकी है। और भू-माफिया चांदी काटना चाहते हैं। आपको बताते चलें कि किशनगंज प्रखण्ड अन्तर्गत टेउसा पंचायत के सिमलबाड़ी ब्लॉक चौक के निकट किशनगंज-बहादुरगंज के मुख्य मार्ग पर स्थित उच्च विद्यालय सिमलबाड़ी स्कूल को बचाने के लिए पूर्व मंत्री के पुत्र एनके रिजवी उर्फ नन्हे मुस्ताक ने मीडिया कर्मियों को पूरी जानकारी तथ्यों के साथ बताते हुए कहा कि इस विद्यालय के नाम दी गई जमीन कुल 4 केवाला से प्राप्त है -7363, 7464, 7365 एवं 7366 सभी दिनांक- 25/11/1982 ई० द्वारा 3.56 एकड़ भूमि हासील है। साथ ही चकबन्दी द्वारा बिहार सरकार की कुछ भूमि मिलाकर कुल 5 एकड़ भूमि प्राप्त है। जिसका चक खतियान भी प्राप्त है, और सिमलबाड़ी मौजा सम्पुष्ट है। विगत वर्ष 2013 में विद्यालय के सम्बद्धता दिलाने हेतु बिहार विद्यालय समिति पटना में सभी कागजात एवं निरीक्षण शुल्क जमा किया जा चुका है। तीन बार जिला शिक्षा पदाधिकारी के स्तर से विद्यालय का निरीक्षण कर प्रतिवेदन पटना भेजा जा चुका है। परन्तु जमाबन्दी हेतु जब चक खतियान सहित दिनांक- 08/4/2013 को आवेदन दिया गया तो तत्कालीन अंचलाधिकारी ने आवेदन निरस्त कर दिया। पुनः चारों केवाला एक साथ संलग्न कर आवेदन दिया गया। आवेदन के कुछ दिनों के बाद केवाला संख्या- 7363 पर भूमिदानकर्त्ता के वारिसान ने किशनगंज न्यायालय में एक स्वत्ववाद दायर कर दिया, जिसमें विद्यालय को पार्टी नहीं बनाकर जिला पदाधिकारी एवं अंचलाधिकारी, किशनगंज को पार्टी बनाया गया। वर्ष 2016 में जिला सबजज के न्यायालय में विद्यालय के विरुद्ध फैसला आया और जिला जज के न्यायालय में सरकारी वकील द्वारा अपील को वर्ष 2018 में खारिज कर दिया गया। आपके माध्यम से पटना उच्च न्यायालय में अब तक अपील दायर नहीं किया जा सका है। मैंने विद्यालय को बचाने के लिए अधिकारियों से मिलकर दिनांक- 09/03/2020 को सभी कागजात सहित एक आवेदन दिया था।जिसकी छाया प्रति इस आवेदन के साथ संलग्न कर रहा हूँ।आप ने जजमेन्ट की सच्ची प्रतिलिपि मांगी थी। अब आलम यह है कि इस इलाके के लोग अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए इस विद्यालय में एवं बिहार सरकार द्वारा बनाई गई स्कूल के भवन में बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं। जिसे देखते हुए इस विद्यालय को बचाने के लिए स्थानीय ग्रामीण कमर कस चुके हैं, क्योंकि यह जमीन करोड़ों की है जिस पर भू-माफिया की नजर है। जिस जमीन पर पहले भी कुछ लोग अपनी बुरी नजर लगाए थे तब भी यह जमीन विद्यालय के नाम हासिल हुआ था, और मामले की गंभीरता को देखते हुए जब अंचलाधिकारी सह अंचल अधिकारी समीर कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह जमीन चकबंदी है, जो अब तक चक में चढ़ा नहीं है। जिसे देखते हुए हमारे द्वारा अपन समानता को लिखित तौर पर जांच के लिए भेजा गया है।

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