सारस न्यूज टीम, किशनगंज।
पानी के लिए तरस रहे किसान धान फसल के लिए आसमान से अमृत वर्षा हुआ। तीन दिन में 140 मिमी बारिश हुई है। इससे पीले पड़ रहे धान के पौधों में जान आ गई है। किसी तरह पंप सेट से धान की खेती बचाने की हिम्मत करने वाले किसानों ने भी राहत की सांस ली है। यहां 28 अगस्त को 52.91 मिमी, 29 अगस्त को 58.03 एमएम व 30 अगस्त को 29.17 मिमी बारिश हुई। मौसम विभाग ने अगले पांच दिनों तक क्षेत्र में मानसून एक्टिव रहने का पूर्वानुमान जताया है।
मौसम विज्ञान केन्द्र पटना के अनुसार इस दरम्यान मध्यम से भारी बारिश हो सकती है। ट्रफ रेखा व चक्रवाती हवाओं के प्रभाव से बारिश हो रही है। बारिश से धान की फसलों को फायदा हुआ है। जुलाई और अगस्त माह में अब तक औसत से कम बारिश हुई थी। अगस्त माह में तो बारिश की कमी के कारण धान के खेतों में दरार आने लगा था। किसान किसी तरह पंप सेट के सहारे फसलों को बचाने की जुगत में लगे थे। लेकिन इस बारिश ने खेतों में जान ला दिया। ऐसी ही स्थिति चाय की भी रही।
बारिश की कमी का असर चाय पर भी पड़ रहा था और बागानों को स्प्रिंकलर से सींचा जा रहा था। कृषि वैज्ञानिक डॉ. संतोष कुमार के अनुसार अभी धान के पौधाें को बारिश की सख्त जरूरत है। धान के खेतों को अधिक मात्रा में पानी की जरूरत होती है। जो बारिश से ही संभव होता है।
मौसम हुआ सुहाना, गर्मी से मिली राहत
बारिश होने से तापमान में कमी आई। मंगलवार को किशनगंज का अधिकतम तापमान 32 डिग्री और न्यूनतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। विगत तीन दिनों से यहां का मौसम सुहाना बना हुआ है। इसके पूर्व यहां का अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था एवं लोग भीषण गर्मी और उमस से परेशान थे।
धान के साथ चाय को भी हुआ काफी फायदा
बारिश से धान के साथ ही चाय की खेतों को भी फायदा हुआ है। बारिश की कमी के कारण चाय के पौधों पर भी बुरा असर पड़ रहा था। स्प्रिंकलर के माध्यम से बागानों में कृत्रिम बारिश से चाय के पौधों को बचाने का प्रयास किया जा रहा था। यह मंहगा पड़ता है। इसके अलावा प्राकृतिक बारिश से जो मौसम और तापमान का संतुलन होता है वो स्प्रिंकलर से नहीं आ पाता। बारिश की कमी के कारण हरी चाय की पत्तियों के उत्पादन पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा था।
अच्छी बारिश का पूर्वानुमान
मौसम विज्ञान केन्द्र पूर्णिया के वैज्ञानिक सहायक राकेश कुमार के अनुसार मानसून की ट्रफ लाइन मध्य भारत से हिमालय की तराई की ओर शिफ्ट करने और बंगाल की खाड़ी से नमी वाली हवा के कारण बारिश हो रही है। आनेवाले दिनों में भी अच्छी बारिश की संभावना है।
लगातार दूसरे महीने औसत से कम हुई बारिश
लगातार दूसरे महीने में किशनगंज में औसत से कम बारिश दर्ज की गई है। सर्वाधिक बारिश के कारण बिहार का चेरापूंजी कहे जानेवाले किशनगंज में दो माह मानसून रूठा रहा। किशनगंज में सालाना औसतन 2200 मिमी बारिश होती है। जुलाई माह में यहां औसतन 546.50 मिमी बारिश होती है लेकिन इस वर्ष महज 240.89 मिमी बारिश हुई। यह औसत से 305.61 एमएम यानी 55.92 प्रतिशत कम रही। अगस्त माह में 30 अगस्त तक औसत 473.50 की जगह 263.69 मिमी बारिश हुई। यह 194.54 एमएम कम यानी औसत से 42.45 प्रतिशत कम है।