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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम आदिवासी सेंगेल अभियान के प्रतिनिधिमंडल ने ज्ञापन पत्र सौंप कर रखी पांच प्रमुख मांग।

सारस न्यूज, किशनगंज।

टेढ़ागाछ के प्रखंड विकास पदाधिकारी गन्नौर पासवान को आदिवासी सेंगेल अभियान के प्रतिनिधिमंडल के तरफ से भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम मंगलवार को ज्ञापन पत्र सौंपा गया। बिहार प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ टुडू ने कहा की संयुक्त राष्ट्र संघ ने 13 सितंबर 2007 को विश्व आदिवासी अधिकार घोषणा पत्र जारी किया है। उसको लागू कराने हेतु आदिवासी सेंगेल अभियान द्वारा पांच प्रदेशों के लगभग 50 ज़िलों के 250 प्रखंडों में निम्न पांच प्रमुख मांगों की मान्यता संबंधी मांग पत्र बीडीओ के मार्फत भेजी जाएगी। जिसमें आदिवासी स्वशासन व्यवस्था या ट्राइबल सेल्फ रूल सिस्टम में सुधार लाने के लिए अविलंब जनतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों और व्यवहार का समावेश किया जाए। एवं भारत के प्रकृति पूजक आदिवासियों को “सरना धर्म कोड” को अविलंब मान्यता देकर जनगणना में शामिल किया जाए। और भारत की एकमात्र संवैधानिक मान्यता प्राप्त बड़ी आदिवासी भाषा- संताली भाषा को अविलंब झारखंड की प्रथम राजभाषा का दर्जा दिया जाए। तथा असम और अंडमान में शताब्दियों से बस गए झारखंडी आदिवासियों को अविलंब अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाए।

भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन, 15 नवंबर 2000 को स्थापित झारखंड प्रदेश मूलतः आदिवासी प्रदेश है। इसको लुटने- मिटने से बचाने के लिए सभी संवैधानिक, कानूनी प्रावधानों को सकारात्मक रूप से सक्रिय किया जाए। बिरसा मुंडा और सिदो मुर्मू का सपना “आबोआग दिशोम आबोआग राज” को स्थापित किया जाए। इस मौके पर प्रखंड अध्यक्ष राजेंद्र मुर्मू, सुनील बासकी, मुन्ना सोरेन, आदि दर्जनों आदिवासी समाज के लोग मौजूद रहे।

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