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शत प्रतिशत टीबी मरीजों का एचआईवी टेस्ट होना जरूरी,एचआईवी मरीजों को टीबी व टीबी मरीजों को एचआईवी का रहता हैं अधिक खतरा:- सिविल सर्जन।


सारस न्यूज, किशनगंज।

किशनगंज जिले में टीबी व एचआईवी के मामलों में कमी लाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई स्तरों पर जरूरी प्रयास किए जा रहे हैं। चूंकि एचआईवी पीड़ित मरीजों को टीबी का खतरा अधिक होता है। एचआईवी मरीजों का कई अन्य बीमारियों के चपेट में आने का भी खतरा अधिक होता है। इसलिये टीबी के शतप्रतिशत मरीजों का एचआईवी जांच पर जोर दिया जाता है। इसी तरह शतप्रतिशत टीबी मरीजों का भी एचआईवी टेस्ट को महत्वपूर्ण माना गया है।

सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर प्रसाद ने कहा कि शतप्रतिशत टीबी मरीजों का एचआईवी टेस्ट होना जरूरी है। डेढ़ से दो साल के बच्चों को छोड़ कर सभी का एचआईवी टेस्ट कराने का निर्देश उन्होंने दिया। सिविल सर्जन ने कहा कि सभी एचआईवी मरीजों का एआरटी की सेवा उपलब्ध कराना सुनिश्चित करायें। जांच के उपरांत टीबी संक्रमण का मामला सामने आने पर नियमित रूप से दवा उपलब्ध कराने एव मरीजों को सेवन सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है। सिविल सर्जन ने कहा कि निर्धारित समय तक मरीजों टीबी की दवा सेवन सुनिश्चित कराने के लिये नियमित रूप से उनका फॉलोअप किया जाना जरूरी है।

डीआईओ सह सीडीओ डॉ देवेन्द्र कुमार ने कहा कि टीबी मरीजों से संबंधित जानकारी को गोपनीय बनाये रखना जरूरी है। उनकी तस्वीर व नाम किसी भी रूप से सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि एचआईवी मरीजों को टीबी का व टीबी मरीजों का एचआईवी का खतरा अधिक होता है। दोनों ही रोग से बचाव के लिये जन जागरूकता बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि टीबी मरीजों में एचआईवी संक्रमण की पुष्टि होने पर पहले दो महीने तक टीबी की दवा खिलाया जाना जरूरी है। इसके बाद उन्हें एंटी् रेट्रो वायरल थेरेपी सेंटर रेफर किये जाने का प्रावधान है।

जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. देवेन्द्र कुमार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि एचआईवी रोगियों की मौत का सबसे बड़ा कारण टीबी है। इसलिये टीबी व एचआईवी से संबंधित मामलों की रोकथाम के लिये स्वास्थ्य विभाग द्वारा जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिये चिकित्सक व विभागीय कर्मी एसटीएस, एलटीएलएस व लैब टेक्निशियन को समय-समय पर जरूरी प्रशिक्षण दिया जाता है।

उन्होंने बताया कि टीबी जैसी बीमारियों से लड़ने एवं बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का अहम योगदान है। अमीर हो या गरीब, हर तरह के रोगियों के लिए सरकार की ओर से नि:शुल्क दवा तो मिलती ही है, साथ ही साथ पौष्टिक आहार खाने के लिए पैसा भी मिलता है। यह टीबी संक्रमित मरीज़ों के लिए वरदान साबित हो रहा है। इसीलिए लोगों को टीबी जैसे संक्रमण से डरने की नहीं बल्कि लड़ने की जरूरत है।

सरकार की ओर से मरीज़ों को मिलने वाली योजनाओं का लाभ उठाकर टीबी जैसी बीमारी से पूरी तरह से ठीक हो सकता है। इसके लिए गंभीरता के साथ चिकित्सीय परामर्श के अलावा सतर्कता भी जरूरी है। नियमित रूप से पौष्टिक आहार का सेवन लगातार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में अभी भी सामाजिक स्तर पर लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। इसके बाद ही टीबी जैसी संक्रामक बीमारियों पर पूर्ण रूप से जीत हासिल की जा सकती है।

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