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सिंघीमारी पंचायत के लोग छह महीने नाव और छह माह चचरी पुल के सहारे करते हैं सफर, जान जोखिम में डालकर नाव से बाजार पहुंच रहे ग्रामीण।

सारस न्यूज टीम, दिघलबैंक।

पलसा, डाकूपाड़ा, बैध नाथ पलसा, बलवाडांगी, मंदिरटोला गांव के लोग बाढ़ से प्रभावित
प्रखंड क्षेत्र के सिंघीमारी पंचायत के आधे दर्जन गांव कनकई नदी पार है। ये गांव एक ओर नदी तो दूसरी और नेपाल सीमा से जुड़े हुए हैं। जिस कारण ये हमेशा से उपेक्षित है। नदी पार के पलसा, डाकूपाड़ा, बैधनाथ पलसा, बलवाडांगी, डाकूपाड़ा, मंदिरटोला, आदिवासी टोला गांव तक पहुंचने के लिए नदी पर पक्की पुल आज तक नहीं बनी है। इन गांवों की करीब तीन हजार की आबादी के लिए कनकई नदी पर छह महीनें चचरी और छह महीने नाव के सहारे टिकी हुई है।

नदी पार के लोगों को प्रखंड मुख्यालय, स्वास्थ्य केंद्र सहित रोजमर्रा की जरूरत के समानों की खरीदी के लिए हाट बाजार जाने के लिए रोज कनकई के धार में घंटों नाव का इंतजार कर खुद को जान जोखिम में डाल नाव के सहारे नदी पार करना इन दिनों मजबूरी बनी हुई है। नदी पार के ग्रामीण राज नारायण सिंह, सेना पति सिंह,मनोहर सिंह आदि लोग बताते हैं कि बरसात के दिनों में नदी जब उफान में होती हैं।

उन्हें घंटों नाव खुलने का इंतजार करना पड़ता है। वे लोग नदी पार करते हुए अपने जरूरत के सामानों की खरीददारी के लिए सिंघीमारी, हरूवाडांगा या दिघलबैंक बाजार जाना मजबूरी है। लोगों की मानें तो साल के छह महीने चचरी पुल और छह महीनें नाव लोगों की जंदगी का हिस्सा बन गया है।

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