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महिला संवाद का 60वां दिन: सहभागिता और स्वावलंबन की मिसाल।

राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।

अपने परिवेश और समाज के विकास का उद्देश्य लिए महिलाएँ महिला संवाद कार्यक्रम में भाग ले रही हैं और अपनी रचनात्मक उपस्थिति से कार्यक्रम को उपयोगी बना रही हैं। कार्यक्रम के 60वें दिन भी यह आयोजन खासा लोकप्रिय रहा। निरंतरता और सामूहिकता का संकल्प लिए यह संवाद महिलाओं की आकांक्षाओं को मंच प्रदान कर रहा है।

महिलाएं उत्साहपूर्वक कार्यक्रम में भाग लेकर बेबाकी से अपनी आकांक्षाएं व्यक्त कर रही हैं। यह संवाद कार्यक्रम उन्हें अपने विचार, सुझाव और अनुभव साझा करने का अवसर दे रहा है। महिलाएं अपने समाज और परिवेश के विकास को लेकर न केवल सुझाव दे रही हैं बल्कि कमियाँ और समस्याएं भी खुलकर सामने रख रही हैं।

कार्यक्रम में महिलाएं अपनी भागीदारी से न केवल कार्यक्रम को जीवंत बना रही हैं, बल्कि खुद को भी सशक्त कर रही हैं। इसी क्रम में ठाकुरगंज प्रखंड के खारुदह पंचायत की सबीना बेगम ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने मेहर जीविका स्वयं सहायता समूह से ऋण लेकर स्वरोजगार शुरू किया है। वे कपड़े की दुकान चलाती हैं और आर्थिक रूप से स्वावलंबी बन चुकी हैं। अब उन्हें घर-परिवार चलाने में सहूलियत हो रही है और वे अपने बच्चों को पढ़ा भी रही हैं। उनके अनुसार, आर्थिक स्वावलंबन से परिवार में खुशहाली आई है।

वहीं इसी पंचायत की परबीन बेगम ने बताया कि उन्होंने साफेज जीविका स्वयं सहायता समूह से ऋण लेकर अनाज की खरीद-बिक्री का व्यवसाय शुरू किया है। इस काम से उन्हें महीने में अच्छी आमदनी हो जाती है और उनका जीवन पहले से बेहतर हो गया है।

महिला संवाद कार्यक्रम के दौरान वीडियो फिल्म के माध्यम से महिलाएं सरकार की योजनाओं की जानकारी भी प्राप्त कर रही हैं। किशनगंज जिला में प्रत्येक दिन ग्राम संगठन में महिला संवाद कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण और सामाजिक बदलाव की दिशा में एक सार्थक पहल के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं की भागीदारी को सशक्त बनाना, उनकी आवाज़ को मंच देना, और समाज में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में संवाद स्थापित करना है। साथ ही, महिलाओं को सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजनाओं की जानकारी भी प्रदान करना है।
कार्यक्रम में महिलाओं द्वारा व्यक्त की गई आकांक्षाएं, सुझाव और समस्याएं लिखित रूप में दर्ज की जा रही हैं।

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