ग्रामीण स्वास्थ्य, सतत विकास लक्ष्य और “अंतिम व्यक्ति तक सेवा” की प्रतिबद्धता का जीवंत उदाहरण
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता केवल भवन, उपकरण या दवाओं तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह इस बात से तय होती है कि सेवाएँ कितनी सुरक्षित हैं, कितनी समय पर उपलब्ध होती हैं और मरीज को कितना भरोसा देती हैं। राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन प्रमाणीकरण के अंतर्गत होने वाला मूल्यांकन इसी भरोसे की कसौटी है। यह असेसमेंट यह सुनिश्चित करता है कि गांवों में रहने वाले नागरिकों को भी वही मानक-आधारित स्वास्थ्य सेवाएँ मिलें, जो शहरी क्षेत्रों में उपलब्ध हैं। इससे न केवल इलाज की गुणवत्ता बेहतर होती है, बल्कि बीमारी की समय पर पहचान, रोकथाम और लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ती है।
इसी उद्देश्य के तहत बहादुरगंज प्रखंड के बैसा गोपालगंज हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का राष्ट्रीय प्रमाणीकरण मूल्यांकन किया गया, जिसे ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
सतत विकास लक्ष्य से जुड़ा ग्रामीण स्वास्थ्य मॉडल
डीक्यूएसी सुमन सिन्हा ने बताया कि यह मूल्यांकन सीधे तौर पर संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य–3 (SDG-3: सभी के लिए स्वस्थ जीवन और कल्याण) से जुड़ा हुआ है। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों के माध्यम से बिहार सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि कोई भी व्यक्ति—चाहे वह गांव के अंतिम छोर पर ही क्यों न रहता हो—बुनियादी और आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रहे।
बैसा गोपालगंज हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का यह असेसमेंट इस बात का प्रमाण है कि राज्य सरकार की स्वास्थ्य संबंधी नीतियाँ अब कागजों से निकलकर ज़मीनी स्तर पर प्रभाव डाल रही हैं।
राष्ट्रीय एसेसरों द्वारा गहन मूल्यांकन
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम के अंतर्गत अधिकृत राष्ट्रीय एसेसरों द्वारा बैसा गोपालगंज हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का पूरे दिन विस्तृत मूल्यांकन किया गया।
मूल्यांकन के दौरान मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाएँ, टीकाकरण, गैर-संचारी रोगों की जांच, नियमित ओपीडी सेवाएँ, दवा भंडारण एवं वितरण, प्रयोगशाला सेवाएँ, संक्रमण नियंत्रण, साफ-सफाई व्यवस्था, बायोमेडिकल वेस्ट प्रबंधन, रोगी संतुष्टि तथा अभिलेख संधारण की गहन समीक्षा की गई।
एसेसरों ने यह भी परखा कि मरीजों के साथ व्यवहार कितना संवेदनशील और सम्मानजनक है, क्योंकि गुणवत्ता केवल इलाज तक सीमित नहीं होती, बल्कि सम्मानजनक देखभाल भी उसका अहम हिस्सा है। उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व दिन भी जिले के अन्य हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों का राष्ट्रीय प्रमाणीकरण मूल्यांकन अलग-अलग राष्ट्रीय एसेसरों द्वारा किया गया था।
लगातार दो दिनों तक हुए इन मूल्यांकनों से यह स्पष्ट होता है कि किशनगंज जिला स्वास्थ्य सेवाओं में किसी एक केंद्र तक सीमित सुधार नहीं, बल्कि समग्र और सतत गुणवत्ता सुधार मॉडल पर कार्य कर रहा है।
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर: इलाज से आगे की सोच
डीक्यूएसी सुमन सिन्हा ने बताया कि मूल्यांकन के दौरान यह तथ्य भी सामने आया कि बैसा गोपालगंज हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, एनीमिया जैसी बीमारियों की समय पर जांच, गर्भवती महिलाओं की नियमित देखभाल, बच्चों का पूर्ण टीकाकरण, पोषण परामर्श तथा बुजुर्गों की स्वास्थ्य स्क्रीनिंग को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है।
इसका उद्देश्य बीमारियों को गंभीर होने से पहले ही रोकना है, जिससे परिवारों पर आर्थिक और मानसिक बोझ कम पड़े।
गुणवत्ता एक निरंतर प्रक्रिया
इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाणीकरण एक बार की प्रक्रिया नहीं, बल्कि निरंतर सुधार की यात्रा है। उन्होंने कहा कि ऐसे मूल्यांकन से स्वास्थ्य कर्मियों में जिम्मेदारी और अनुशासन की भावना बढ़ती है तथा ग्रामीण जनता को यह भरोसा मिलता है कि उनके स्वास्थ्य की निगरानी राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो रही है।
अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवा पहुँचाना राज्य की प्राथमिकता
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा कि बिहार सरकार की मंशा पूरी तरह स्पष्ट है—स्वास्थ्य सेवाएँ बिना किसी भेदभाव और बाधा के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचें। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों का राष्ट्रीय प्रमाणीकरण इसी सोच को ज़मीन पर उतारने का सशक्त माध्यम है। इससे ग्रामीण लोग समय पर स्वास्थ्य जांच कराने के लिए प्रेरित होते हैं और गंभीर बीमारियों से बचाव संभव हो पाता है।
ग्रामीण स्वास्थ्य में भरोसे और बदलाव की मजबूत नींव
डीक्यूएसी सुमन सिन्हा ने बताया कि बहादुरगंज प्रखंड के बैसा गोपालगंज हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का राष्ट्रीय प्रमाणीकरण मूल्यांकन यह दर्शाता है कि किशनगंज जिला अब केवल इलाज-केंद्रित नहीं, बल्कि गुणवत्ता, जागरूकता और सतत विकास आधारित स्वास्थ्य व्यवस्था की दिशा में अग्रसर है। यह पहल न केवल वर्तमान की आवश्यकता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की मजबूत नींव भी रखती है।
ग्रामीण स्वास्थ्य, सतत विकास लक्ष्य और “अंतिम व्यक्ति तक सेवा” की प्रतिबद्धता का जीवंत उदाहरण
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता केवल भवन, उपकरण या दवाओं तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह इस बात से तय होती है कि सेवाएँ कितनी सुरक्षित हैं, कितनी समय पर उपलब्ध होती हैं और मरीज को कितना भरोसा देती हैं। राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन प्रमाणीकरण के अंतर्गत होने वाला मूल्यांकन इसी भरोसे की कसौटी है। यह असेसमेंट यह सुनिश्चित करता है कि गांवों में रहने वाले नागरिकों को भी वही मानक-आधारित स्वास्थ्य सेवाएँ मिलें, जो शहरी क्षेत्रों में उपलब्ध हैं। इससे न केवल इलाज की गुणवत्ता बेहतर होती है, बल्कि बीमारी की समय पर पहचान, रोकथाम और लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ती है।
इसी उद्देश्य के तहत बहादुरगंज प्रखंड के बैसा गोपालगंज हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का राष्ट्रीय प्रमाणीकरण मूल्यांकन किया गया, जिसे ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
सतत विकास लक्ष्य से जुड़ा ग्रामीण स्वास्थ्य मॉडल
डीक्यूएसी सुमन सिन्हा ने बताया कि यह मूल्यांकन सीधे तौर पर संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य–3 (SDG-3: सभी के लिए स्वस्थ जीवन और कल्याण) से जुड़ा हुआ है। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों के माध्यम से बिहार सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि कोई भी व्यक्ति—चाहे वह गांव के अंतिम छोर पर ही क्यों न रहता हो—बुनियादी और आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रहे।
बैसा गोपालगंज हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का यह असेसमेंट इस बात का प्रमाण है कि राज्य सरकार की स्वास्थ्य संबंधी नीतियाँ अब कागजों से निकलकर ज़मीनी स्तर पर प्रभाव डाल रही हैं।
राष्ट्रीय एसेसरों द्वारा गहन मूल्यांकन
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम के अंतर्गत अधिकृत राष्ट्रीय एसेसरों द्वारा बैसा गोपालगंज हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का पूरे दिन विस्तृत मूल्यांकन किया गया।
मूल्यांकन के दौरान मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाएँ, टीकाकरण, गैर-संचारी रोगों की जांच, नियमित ओपीडी सेवाएँ, दवा भंडारण एवं वितरण, प्रयोगशाला सेवाएँ, संक्रमण नियंत्रण, साफ-सफाई व्यवस्था, बायोमेडिकल वेस्ट प्रबंधन, रोगी संतुष्टि तथा अभिलेख संधारण की गहन समीक्षा की गई।
एसेसरों ने यह भी परखा कि मरीजों के साथ व्यवहार कितना संवेदनशील और सम्मानजनक है, क्योंकि गुणवत्ता केवल इलाज तक सीमित नहीं होती, बल्कि सम्मानजनक देखभाल भी उसका अहम हिस्सा है। उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व दिन भी जिले के अन्य हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों का राष्ट्रीय प्रमाणीकरण मूल्यांकन अलग-अलग राष्ट्रीय एसेसरों द्वारा किया गया था।
लगातार दो दिनों तक हुए इन मूल्यांकनों से यह स्पष्ट होता है कि किशनगंज जिला स्वास्थ्य सेवाओं में किसी एक केंद्र तक सीमित सुधार नहीं, बल्कि समग्र और सतत गुणवत्ता सुधार मॉडल पर कार्य कर रहा है।
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर: इलाज से आगे की सोच
डीक्यूएसी सुमन सिन्हा ने बताया कि मूल्यांकन के दौरान यह तथ्य भी सामने आया कि बैसा गोपालगंज हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, एनीमिया जैसी बीमारियों की समय पर जांच, गर्भवती महिलाओं की नियमित देखभाल, बच्चों का पूर्ण टीकाकरण, पोषण परामर्श तथा बुजुर्गों की स्वास्थ्य स्क्रीनिंग को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है।
इसका उद्देश्य बीमारियों को गंभीर होने से पहले ही रोकना है, जिससे परिवारों पर आर्थिक और मानसिक बोझ कम पड़े।
गुणवत्ता एक निरंतर प्रक्रिया
इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने कहा कि राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाणीकरण एक बार की प्रक्रिया नहीं, बल्कि निरंतर सुधार की यात्रा है। उन्होंने कहा कि ऐसे मूल्यांकन से स्वास्थ्य कर्मियों में जिम्मेदारी और अनुशासन की भावना बढ़ती है तथा ग्रामीण जनता को यह भरोसा मिलता है कि उनके स्वास्थ्य की निगरानी राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो रही है।
अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवा पहुँचाना राज्य की प्राथमिकता
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा कि बिहार सरकार की मंशा पूरी तरह स्पष्ट है—स्वास्थ्य सेवाएँ बिना किसी भेदभाव और बाधा के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचें। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों का राष्ट्रीय प्रमाणीकरण इसी सोच को ज़मीन पर उतारने का सशक्त माध्यम है। इससे ग्रामीण लोग समय पर स्वास्थ्य जांच कराने के लिए प्रेरित होते हैं और गंभीर बीमारियों से बचाव संभव हो पाता है।
ग्रामीण स्वास्थ्य में भरोसे और बदलाव की मजबूत नींव
डीक्यूएसी सुमन सिन्हा ने बताया कि बहादुरगंज प्रखंड के बैसा गोपालगंज हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का राष्ट्रीय प्रमाणीकरण मूल्यांकन यह दर्शाता है कि किशनगंज जिला अब केवल इलाज-केंद्रित नहीं, बल्कि गुणवत्ता, जागरूकता और सतत विकास आधारित स्वास्थ्य व्यवस्था की दिशा में अग्रसर है। यह पहल न केवल वर्तमान की आवश्यकता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की मजबूत नींव भी रखती है।