राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
आज रविवार को जिला के नगर परिषद काजलामनी आदिवासी टोला वार्ड नंबर 19 में जिला अध्यक्ष राजा मरांडी के अध्यक्षता में 30 जून- हूल क्रांति दिवस आदिवासी सेंगेल अभियान के बैनर तले हुल क्रांति के वीर शहीद सिदो मुर्मू के फोटो पर माल्यार्पण और श्रद्धांजलि अर्पित कर उनकी बहादुरी और संघर्ष को याद कर संकल्प लिया गया।
इस मौके पर उपस्थित बिहार प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ टुडू ने हूल दिवस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के दिन 30 जून हुल क्रांति दिवस अंग्रेजों के खिलाफ हुई संथाल बिद्रोह का ऐतिहासिक दिवस है। जब सिदो मुर्मू के नेतृत्व में 4 भाइयों (सिदो मुर्मू कान्हू मुर्मू चांद मुर्मू, भैरो मुर्मू) और दो बहनों (फूलो मुर्मू और झानो मुर्मू ) ने भोगनाडी गांव, साहेबगंज ज़िले में 10 हज़ार संथाल सिपाहियों के साथ 30 जून 1855 को क्रांति का बिगुल फूंका था, अंग्रेजों को मजबूर होकर 22 दिसम्बर 1855 को संताल परगना का गठन करना पड़ा। कार्ल मार्क्स ने इसे अपने एक आलेख में भारत की प्रथम जनक्रांति बतलाया है। हूल क्रांति भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा स्वतंत्रता संग्राम में से एक है। इसे संथाल विद्रोह या संथाल हूल भी कहा जाता है यह क्रांति अंग्रेजों की हुकूमत और जमींदारों की अत्याचार और जल जंगल जमीन रक्षा के लिए विद्रोह किया था। जिसे हर साल 30 जून को हूल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
संथाल बिद्रोह के बीर शहीदों को श्रंद्धाजलि अर्पित कर उनके सपनों को सच बनाने का संकल्प लिया।
आदिवासी सेंगेल अभियान के नेता/ कार्यकर्ता सात प्रदेशों के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में संथाल विद्रोह के ऐतिहासिक दिवस का सम्मान करते हुए संकल्प ले रहे हैं कि:-
- वीर शहीद सिदो मुर्मू के प्रतिफल सीएनटी/एसपीटी कानून का पालन होना चाहिए।
- सिदो मुर्मू और बिरसा मुंडा के वंशजों के लिए दो ट्रस्टों का गठन हो और प्रत्येक ट्रस्ट को एक सौ करोड़ रुपयों का जमा पूंजी प्रदान किया जाए।
- सरना धर्म कोड मान्यता और झारखंड में संथाली भाषा को प्रथम राजभाषा का दर्जा प्राप्त हो।
- संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल संथाली भाषा को बिहार राज्य के द्वितीय राजभाषा का दर्जा दी जाए तथा संथाली अपनी मातृभाषा ओल चिकी लिपि से पठान पठान के लिए सरकार की ओर से शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जाए।
- असम के संथाल आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति एसटी का दर्जा दी जाए।
इस मौके पर उपस्थित बिहार पोनोत परगाना जवाहर हेम्ब्रम, जिला परगाना सरकार मुर्मू, सोम किस्कू, ठाकुर सोरेन, बाबुराम सोरेन, सुकला बेसरा, राजेन्द्र मरांडी, मुंशी मुर्मू, रमेश हांसदा अनीता मरांडी आदि महिला व पुरुष मौजूद थे।