जिला पदाधिकारी ने की संस्थागत प्रसव को अपनाने की अपील
सुरक्षित मातृत्व और नवजात शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए संस्थागत प्रसव (अस्पताल में प्रसव) अत्यंत आवश्यक है। इसके बावजूद, अब भी कई महिलाएं पारंपरिक तरीकों या संसाधनों के अभाव में घर पर ही प्रसव कराने को मजबूर होती हैं। गर्भावस्था और प्रसव के दौरान जटिलताओं से बचने के लिए सरकार द्वारा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने की कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसी कड़ी में, जिला पदाधिकारी विशाल राज के निर्देशानुसार बहादुरगंज प्रखंड के दुर्गापुर बनगामा और निशनदरा पंचायत में एक जागरूकता सभा का आयोजन किया गया।
अस्पताल में प्रसव कराने से माँ और शिशु को मिलती हैं ये सुविधाएं
सभा में अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीणों को यह समझाया कि सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने से महिलाओं को कई लाभ मिलते हैं, जैसे:
✔ मुफ्त एम्बुलेंस सेवा: गर्भवती महिला को घर से अस्पताल और प्रसव के बाद घर तक पहुंचाने की सुविधा। ✔ मुफ्त दवा एवं जांच: माँ और शिशु के लिए आवश्यक सभी चिकित्सीय जांच और दवाइयाँ सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाती हैं। ✔ मुफ्त भोजन: अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान माँ को पौष्टिक भोजन दिया जाता है। ✔ आर्थिक सहायता: जननी सुरक्षा योजना के तहत प्रसव के बाद माँ को 1400 रुपए की सहायता राशि दी जाती है। ✔ जन्म प्रमाण पत्र: शिशु के भविष्य में किसी भी सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए तुरंत जन्म प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया जाता है। ✔ मुफ्त टीकाकरण: नवजात को समय पर सभी आवश्यक टीके दिए जाते हैं, जिससे कई गंभीर बीमारियों से बचाव होता है।
घर पर प्रसव कराने के जोखिम
सभा में प्रखंड विकास पदाधिकारी ने बताया कि घर पर प्रसव कराने से कई तरह की जटिलताएँ हो सकती हैं, जैसे—अत्यधिक रक्तस्राव, संक्रमण, प्रसव के दौरान कठिनाई, नवजात को सही देखभाल न मिल पाना आदि। ऐसे मामलों में समय पर सही चिकित्सा न मिलने से माँ और बच्चे दोनों की जान को खतरा हो सकता है। अस्पताल में प्रसव कराने से इन खतरों से बचा जा सकता है।
जिला पदाधिकारी ने की संस्थागत प्रसव को अपनाने की अपील जिला पदाधिकारी विशाल राज ने बताया कि “हमारा प्रयास है कि कोई भी गर्भवती महिला असुरक्षित प्रसव के कारण अपनी जान न गंवाए। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना हमारी प्राथमिकता है। सरकार ने कई योजनाएँ चलाई हैं ताकि कोई भी महिला प्रसव के दौरान संसाधनों के अभाव में परेशान न हो। सभी गर्भवती महिलाओं को इन योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए और ग्रामीण समाज को भी इस दिशा में जागरूक होकर सहयोग करना चाहिए।”
गाँव के लोगों ने जताई सहमति
इस सभा में बहादुरगंज के प्रखंड विकास पदाधिकारी श्री सुरेंद्र तांती, बीपीआरओ श्री सूरज कुमार, बीएचएम श्री किशोर केशरी, बीसीएम अजय ठाकुर, मुखिया श्री गिरिजानंद, मुखिया नासिर एवं सभी वार्ड सदस्य उपस्थित रहे।जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि संस्थागत प्रसव को लेकर यदि किसी भी महिला को किसी तरह की समस्या होती है, तो वे तुरंत स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र या एएनएम-आशा कार्यकर्ताओं से संपर्क करें।यह पहल गाँवों में सुरक्षित मातृत्व और नवजात शिशु की सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होगी।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
जिला पदाधिकारी ने की संस्थागत प्रसव को अपनाने की अपील
सुरक्षित मातृत्व और नवजात शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए संस्थागत प्रसव (अस्पताल में प्रसव) अत्यंत आवश्यक है। इसके बावजूद, अब भी कई महिलाएं पारंपरिक तरीकों या संसाधनों के अभाव में घर पर ही प्रसव कराने को मजबूर होती हैं। गर्भावस्था और प्रसव के दौरान जटिलताओं से बचने के लिए सरकार द्वारा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने की कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसी कड़ी में, जिला पदाधिकारी विशाल राज के निर्देशानुसार बहादुरगंज प्रखंड के दुर्गापुर बनगामा और निशनदरा पंचायत में एक जागरूकता सभा का आयोजन किया गया।
अस्पताल में प्रसव कराने से माँ और शिशु को मिलती हैं ये सुविधाएं
सभा में अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीणों को यह समझाया कि सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने से महिलाओं को कई लाभ मिलते हैं, जैसे:
✔ मुफ्त एम्बुलेंस सेवा: गर्भवती महिला को घर से अस्पताल और प्रसव के बाद घर तक पहुंचाने की सुविधा। ✔ मुफ्त दवा एवं जांच: माँ और शिशु के लिए आवश्यक सभी चिकित्सीय जांच और दवाइयाँ सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाती हैं। ✔ मुफ्त भोजन: अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान माँ को पौष्टिक भोजन दिया जाता है। ✔ आर्थिक सहायता: जननी सुरक्षा योजना के तहत प्रसव के बाद माँ को 1400 रुपए की सहायता राशि दी जाती है। ✔ जन्म प्रमाण पत्र: शिशु के भविष्य में किसी भी सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए तुरंत जन्म प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया जाता है। ✔ मुफ्त टीकाकरण: नवजात को समय पर सभी आवश्यक टीके दिए जाते हैं, जिससे कई गंभीर बीमारियों से बचाव होता है।
घर पर प्रसव कराने के जोखिम
सभा में प्रखंड विकास पदाधिकारी ने बताया कि घर पर प्रसव कराने से कई तरह की जटिलताएँ हो सकती हैं, जैसे—अत्यधिक रक्तस्राव, संक्रमण, प्रसव के दौरान कठिनाई, नवजात को सही देखभाल न मिल पाना आदि। ऐसे मामलों में समय पर सही चिकित्सा न मिलने से माँ और बच्चे दोनों की जान को खतरा हो सकता है। अस्पताल में प्रसव कराने से इन खतरों से बचा जा सकता है।
जिला पदाधिकारी ने की संस्थागत प्रसव को अपनाने की अपील जिला पदाधिकारी विशाल राज ने बताया कि “हमारा प्रयास है कि कोई भी गर्भवती महिला असुरक्षित प्रसव के कारण अपनी जान न गंवाए। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना हमारी प्राथमिकता है। सरकार ने कई योजनाएँ चलाई हैं ताकि कोई भी महिला प्रसव के दौरान संसाधनों के अभाव में परेशान न हो। सभी गर्भवती महिलाओं को इन योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए और ग्रामीण समाज को भी इस दिशा में जागरूक होकर सहयोग करना चाहिए।”
गाँव के लोगों ने जताई सहमति
इस सभा में बहादुरगंज के प्रखंड विकास पदाधिकारी श्री सुरेंद्र तांती, बीपीआरओ श्री सूरज कुमार, बीएचएम श्री किशोर केशरी, बीसीएम अजय ठाकुर, मुखिया श्री गिरिजानंद, मुखिया नासिर एवं सभी वार्ड सदस्य उपस्थित रहे।जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि संस्थागत प्रसव को लेकर यदि किसी भी महिला को किसी तरह की समस्या होती है, तो वे तुरंत स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र या एएनएम-आशा कार्यकर्ताओं से संपर्क करें।यह पहल गाँवों में सुरक्षित मातृत्व और नवजात शिशु की सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होगी।