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खारीटोला में कनकई नदी का जलस्तर बढ़ने से कटाव हुआ तेज, चारों ओर मचा हाहाकार।

सारस न्यूज टीम, बहादुरगंज।

खाड़ीटोला में एक एक कर लोगों के घर कौल नदी में समाते जा रहे हैं। बीते शाम को नदी के जलस्तर में अचानक हुई बढ़ोतरी से चारों ओर हाहाकार मच गया है नदी का पानी किनारों से लगे बस्तियों के घर आंगन में प्रवेश कर गया है। जहां से सटे परिवार अपना घर द्वार तोड़कर हटाने में लगे हैं। जबकि महेशबथना वार्ड नं. 04 से सटे प्रधानमंत्री सड़क अपना अस्तित्व खोता जा रहा हैं। जिसके टूटते हीं इस वार्ड के सहित आगे के गांव बस्तियों पर खतरा मंडराने लगा है। जबकि बालू के बोरों में संवेदक के द्वारा मिट्टी भरकर किनारों को बचाने की कवायद की जा रही है।

बताते चलें कि- बीते कई सालों से इस कौल नदी के प्रकोप ने की बस्तियों को उजाड़ चुकी है। जहां के विस्थापितों ने पप्पू टोला ,पहटगांव आदि जगहों पर सड़क के किनारे अपना बसेरा बना चुके हैं। जहां इस बार भी बीते सप्ताह से इस कौल नदी की विनाशलीलाऐं जारी है। बाढ़ से पूर्व की सरकारी घोषणाऐं और इससे बचाव के उपाय केवल कागजों में सिमटा पड़ा है। विभागीय तौर पर मनचाहा संवेदक अपने मन के मुताबिक सरकारी खजाने को चूना लगाने में जुटा है ।जिससे इस नदी के किनारों से सटे बस्तियों के लोग कहते सुने जा रहे हैं। कि-जहां बालू हीं बालू था वहां बगल की मिट्टी काट बोरों में भरकर कटाव बचाने की नौटंकी यहां जारी है। हायतौबा मचाने वाले छुटभैयों की आवाजें बंद हो चुकी है। और लोगों के घर इस नदी की भेंट चढ़ती जा रही है। जहां स्थानीय चौकीदार गुरुदेव के अलावे किसी भी सरकारी अमलों के दर्शन दुर्लभ हैं।गौरतलब है। कि-इन दिनों खाड़ीटोला ,मसानगांव ,महेशबथना ,एवं दक्षिण में बसे बस्तियों के लोग सकते में हैं। नदी का पानी उफान की शक्ल लेकर बस्तियों में घुस चुका है। जहां के लोग जैसे तैसे परिवार और मवेशियों के साथ जहां तहां शरण ले रहे हैं।

उधर इसी कौल के किनारे बसे सतमेढ़ी का अस्तित्व भी अब खतरे में पड़ा है। जबकि बर्षा रुकने के बजाय जारी है और लगातार है। प्रखंड की सक्रिय सहित निष्क्रिय नदियों ने भी अपना रौद्र रुप अख्तियार कर लिया है। जिससे निंद्रा ,बनगामा दूर्गापूर ,रुपनी ,मुसलडंगा , गांगी ,देशियाटोली ,आदि जगहों पर लगातार हो रही बर्षा का कुअसर देखा जा रहा है। जहां मवेशियों के रखरखाव को लेकर लोगों में काफी परेशानियां देखी जा सकती है। फिलवक्त प्रखंड से होकर प्रल्यंकारी नदियों के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी देखी जा सकती है। जहां राहत बचाव के लिए अब तक किसी प्रकार की तैयारियों से लोगों का इन्कार हीं सुना जा रहा है।

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