सारस न्यूज टीम, बहादुरगंज।
सीमांचल क्षेत्र की अधिकांश आबादी जहां कृषि पर निर्भर है। वहीं बीते दो महीने से बारिश नहीं होने से क्षेत्र में सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। मुख्य फसल धान की खेती बर्बाद होने से किसानों में मायूसी है। मानसून का प्रवेश के साथ ही क्षेत्र में जहां किसानों ने आंशिक धान की रोपाई की है। वहीं बीते दो महीनों से बारिश के अभाव में सुखाड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है।
किसानों की रोपाई की गयी धान की फसल सूख कर बर्बाद हो गया है। धान का पौधा जलना शुरू हो गया है। वर्षा नहीं होने से अब किसान के पास पम्प सेट से पटवन करने का ही एक विकल्प शेष रह गया है जो महंगी डीजल व सिंचाई साधनों के अभाव के कारण क्षेत्र के किसानों के सामने मुसीबत खड़ी हो गयी है। बारिश के इंतजार में थक हार कर किसान पंप सेट से पटवन करना शुरू कर दिया है। सूखे की स्थिति ऐसी की पटवन के घंटों बाद फिर पटवन की आवश्यकता मसहूस की जाती है।
किसानों की इस दुर्दशा पर सीमांचल अधिकार फ्रंट के प्रो. मुसब्बर आलम ने कहा कि किसानों की इस बदहाली पर सरकार कुछ भी नहीं कर रही है। व्यवस्था का आलम ऐसी की किसानों को डीजल अनुदान का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। जिससे यहां के गरीब और लाचार किसान अपनी बर्बादी को थोड़ी कम कर सके।
कृषि प्रधान इस क्षेत्र में जहां 80 फीसदी आबादी खेती पर निर्भर है। वहीं यहां के किसान संसाधनों के अभाव में खेती से विमुख होते जा रहे हैं। सिंचाई के साधनों का यहां घोर अभाव है। सरकारी स्टेट बोरिंग जहां भी लगा है वह खराब स्थिति में है। सिंचाई के साधनों के अभाव में महंगी डीजल खरीदकर निजी पम्पसेट से पटवन करना यहां के किसानों के बूते से बाहर है। आसानी से किसानों को बिजली कनेक्शन भी उपलब्ध नहीं हो पाता है, जिससे किसान अनावृष्टि का मुकाबला कर सके।