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गुणा धार की सूखती साँसें: जल-जंगल-ज़िंदगी का प्रमुख स्रोत बन रहा है ‘नाला’।

सारस न्यूज, वेब डेस्क।

नगर पंचायत बहादुरगंज समेत आमबाड़ी, गुणा समेसर और गुणा चौरासी जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों की जीवनरेखा कही जाने वाली गुणा धार आज अपने अस्तित्व को बचाने की जद्दोजहद में है। क्षेत्रीय जानकारी के अनुसार, जल-जीवन-हरियाली मिशन के तहत एक ठोस मास्टर प्लान बनाकर समय रहते इस प्राकृतिक जलधारा को संरक्षित नहीं किया गया, जिसका नतीजा यह है कि अब इसका प्रवाह क्षेत्र सिकुड़ कर एक मामूली नाले में तब्दील हो चुका है।

80 के दशक से लेकर 90 के दशक के बीच गुणा धार का प्रवाह सतत और अविरल हुआ करता था। धार के किनारे बसे गांवों और मोहल्लों की बड़ी आबादी दैनिक जीवन के कई कार्य—जैसे स्नान, कपड़े धोना, और अन्य घरेलू उपयोग—इसी जलधारा पर निर्भर रहती थी। लेकिन आज हालात ऐसे हैं कि जहां कभी जीवन बहता था, वहां अब सूखा और उपेक्षा पसरी हुई है।

स्थानीय लोगों और पर्यावरण प्रेमियों का मानना है कि अगर समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो यह ऐतिहासिक जल स्रोत पूरी तरह खत्म हो सकता है, जिससे न सिर्फ पर्यावरणीय असंतुलन बढ़ेगा, बल्कि सैकड़ों लोगों की दिनचर्या भी प्रभावित होगी।

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