राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
निमोनिया को हराएं, बचपन बचाएं: बच्चों की सेहत के लिए रहें सतर्क!
बदलते मौसम के बीच बच्चों में निमोनिया का खतरा बढ़ रहा है। किशनगंज के सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने चेताया कि यह गंभीर फेफड़ों का संक्रमण समय पर पहचान और इलाज न मिलने पर घातक हो सकता है। उन्होंने बताया कि निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण जैसे बुखार, खांसी, तेज सांसें, सीने में दर्द, और बच्चों में भूख में कमी को नजरअंदाज न करें।
सावधानी ही सुरक्षा
बचाव के लिए बच्चों को संपूर्ण टीकाकरण कराना आवश्यक है। न्यूमो कॉकल वैक्सीन (पीसीवी) जैसे टीके निमोनिया से रक्षा करते हैं। इसके अलावा, बच्चों के खानपान, साफ-सफाई और ठंड से बचाव पर ध्यान देना जरूरी है। जिन्हें पहले से सांस संबंधी बीमारी हो, उनके संपर्क से बच्चों को दूर रखें।
सांस कार्यक्रम की भूमिका
2019 से शुरू किए गए सांस कार्यक्रम के तहत निमोनिया के लक्षणों की पहचान, रोकथाम और इलाज को लेकर जागरूकता फैलाई जा रही है। इसमें उपचार प्रोटोकॉल, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का कौशल विकास और सामुदायिक जागरूकता अभियान शामिल हैं।
डॉक्टरों की सलाह
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. अनवर हुसैन का कहना है कि कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चे निमोनिया की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। टीकाकरण के साथ, शुरुआती लक्षण दिखने पर बच्चों को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।
इन लक्षणों पर रखें नजर:
- तेज और कम गहरी सांसें।
- खांसी में मवाद या खून का आना।
- होठों और नाखूनों का नीला पड़ना।
- बच्चों में चिड़चिड़ापन और भूख की कमी।
याद रखें, निमोनिया से बचाव मुमकिन है—सतर्कता और समय पर इलाज से। अपने बच्चे की सेहत को प्राथमिकता दें और इस गंभीर बीमारी से बचाव के लिए जागरूक रहें।