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किशनगंज में उर्दू भाषी छात्रों के लिए वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन।

सारस न्यूज़, किशनगंज।

“भाषा पर कमान ही व्यक्तित्व की पहचान है” — जिलाधिकारी विशाल राज

📍 किशनगंज | 25 जून 2025
उर्दू भाषा को बढ़ावा देने और उर्दू भाषी विद्यार्थियों को मंच प्रदान करने के उद्देश्य से उर्दू भाषी विद्यार्थी प्रोत्साहन राज्य योजना के तहत आज डी.आर.डी.ए. के कनकई सभागार में एक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाधिकारी श्री विशाल राज ने की, जहाँ जिले के विभिन्न विद्यालयों से आए छात्र-छात्राओं ने पूरे उत्साह के साथ भाग लिया।


उर्दू – एक समृद्ध और संवेदनशील भाषा

अपने प्रेरणादायक संबोधन में जिलाधिकारी श्री विशाल राज ने कहा:

उर्दू भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। यह भाषा जितनी संजीदा है, उतनी ही प्रभावशाली भी। हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि हमें इस भाषा से जुड़ने और उसे आगे बढ़ाने का अवसर मिल रहा है।”

उन्होंने कहा कि ऐसी प्रतियोगिताएं छात्रों को आत्मविश्वास देती हैं, उनकी अभिव्यक्ति क्षमता और भाषा पर पकड़ मजबूत करती हैं, जिससे न केवल उनका व्यक्तित्व निखरता है, बल्कि वे समाज में प्रभावशाली संवाद स्थापित करने योग्य बनते हैं।


भाषा कौशल – जीवन का मूल स्तंभ

जिलाधिकारी ने अपने वक्तव्य में यह भी जोड़ा:

भाषा पर अधिकार और सोच को स्पष्ट रूप में व्यक्त करने की क्षमता – यही किसी व्यक्ति की सबसे बड़ी ताकत होती है। यह गुण सिर्फ शिक्षा में नहीं, बल्कि करियर और जीवन की हर दिशा में सफलता दिलाने में सहायक होता है।”

उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वे छात्रों को भाषा के प्रति सजग बनाएं और ऐसे मंचों पर भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें, ताकि उर्दू भाषा और छात्रों का समग्र विकास संभव हो सके।


प्रतियोगिता में दिखा विद्यार्थियों का उत्साह और आत्मविश्वास

प्रतियोगिता में किशनगंज जिले के विभिन्न स्कूलों से चयनित उर्दू भाषी छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। हर प्रतिभागी ने सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी, जिससे प्रतियोगिता में गहरी विचारशीलता और तर्कशक्ति देखने को मिली।


वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति ने बढ़ाया उत्साह

इस अवसर पर वरिष्ठ कोषागार पदाधिकारी श्री नौशाद आलम, विभिन्न विद्यालयों के शिक्षकगण और अभिभावक भी मौजूद रहे। सभी ने छात्रों के प्रदर्शन की सराहना की और भविष्य में ऐसी और गतिविधियों के आयोजन की आवश्यकता पर बल दिया।


निष्कर्ष:

यह आयोजन न सिर्फ उर्दू भाषा के प्रति सम्मान और गर्व का प्रतीक बना, बल्कि विद्यार्थियों की प्रतिभा और आत्मविश्वास को उभारने का एक सशक्त मंच भी साबित हुआ। जिलाधिकारी का मार्गदर्शन और प्रेरणा इस कार्यक्रम को विशेष बना गई, जिससे छात्रों को नई दिशा और ऊर्जा प्राप्त हुई।


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