रतवा नदी का जलस्तर घटते ही नदी में कटाव की समस्या बढ़ गई है, जिससे किनारे बसे गांव के लोग भयभीत हैं। टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र के बाढ़ ग्रस्त पंचायतों में इस वर्ष कोई कटाव विरोधी कार्य नहीं किया गया, जिससे लोग रात-रात भर जागकर अपने घरों को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहे हैं। विशेषकर झुनकी मुसहरा पंचायत और धवेली पंचायत में मुख्यमंत्री सड़क कटाव की चपेट में आ गई है। यह सड़क कई गांवों के लिए लाइफलाइन मानी जाती है और इसके कटाव से दर्जनों गांवों का आवागमन ठप हो सकता है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि समय रहते फ्लड फाइटिंग कार्य शुरू नहीं हुआ तो सड़क नदी में विलीन हो जाएगी। उन्होंने बताया कि बाढ़ से पूर्व ही स्थानीय जनप्रतिनिधि और विभाग को सूचित किया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पिछले वर्ष भी बंबू पायलिंग और जियो बैग द्वारा कटावरोधी कार्य किया गया था, लेकिन गुणवत्ता की कमी के कारण इस बार फिर समस्या उत्पन्न हो गई है।
अंचल अधिकारी शशि कुमार ने जानकारी दी कि जलनिसरण विभाग को सूचना दे दी गई है और जल्द ही कटावरोधी कार्य शुरू किया जाएगा। ग्रामीणों का मानना है कि अगर बॉल्डर पिचिंग का कार्य पहले ही कर लिया गया होता तो यह समस्या नहीं आती।
सारस न्यूज़, टेढ़ागाछ, किशनगंज।
रतवा नदी का जलस्तर घटते ही नदी में कटाव की समस्या बढ़ गई है, जिससे किनारे बसे गांव के लोग भयभीत हैं। टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र के बाढ़ ग्रस्त पंचायतों में इस वर्ष कोई कटाव विरोधी कार्य नहीं किया गया, जिससे लोग रात-रात भर जागकर अपने घरों को सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहे हैं। विशेषकर झुनकी मुसहरा पंचायत और धवेली पंचायत में मुख्यमंत्री सड़क कटाव की चपेट में आ गई है। यह सड़क कई गांवों के लिए लाइफलाइन मानी जाती है और इसके कटाव से दर्जनों गांवों का आवागमन ठप हो सकता है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि समय रहते फ्लड फाइटिंग कार्य शुरू नहीं हुआ तो सड़क नदी में विलीन हो जाएगी। उन्होंने बताया कि बाढ़ से पूर्व ही स्थानीय जनप्रतिनिधि और विभाग को सूचित किया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पिछले वर्ष भी बंबू पायलिंग और जियो बैग द्वारा कटावरोधी कार्य किया गया था, लेकिन गुणवत्ता की कमी के कारण इस बार फिर समस्या उत्पन्न हो गई है।
अंचल अधिकारी शशि कुमार ने जानकारी दी कि जलनिसरण विभाग को सूचना दे दी गई है और जल्द ही कटावरोधी कार्य शुरू किया जाएगा। ग्रामीणों का मानना है कि अगर बॉल्डर पिचिंग का कार्य पहले ही कर लिया गया होता तो यह समस्या नहीं आती।
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