राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
पोषण पुनर्वास केंद्रों की जागरूकता पर जोर
जिला स्वास्थ्य समिति प्रांगन में आयोजित बैठक में पोषण पुनर्वास केंद्र के सफल संचालन के लिए जागरूकता पर जोर
जिले में कुपोषण से मुक्ति और स्वस्थ समाज के निर्माण के उद्देश्य से जिला स्वास्थ्य समिति के प्रांगण में एक जिला स्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस बैठक का मुख्य फोकस पोषण पुनर्वास केंद्रों (एनआरसी) के सफल संचालन और समाज में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने पर था। बैठक में जिले की बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) और महिला पर्यवेक्षिकाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया और कुपोषण उन्मूलन के लिए अपने अनुभव और विचार साझा किए। बैठक की अध्यक्षता सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने की।
डॉ. कुमार ने बताया कि कुपोषण उन्मूलन का यह कदम न केवल जिले के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि सतत विकास लक्ष्य 2 को हासिल करने की दिशा में एक सशक्त प्रयास भी है। इस लक्ष्य के तहत 2030 तक भूख और कुपोषण को पूरी तरह से समाप्त करना है। बैठक में एनआरसी की भूमिका और उनके प्रभावी संचालन की आवश्यकता पर जोर दिया गया। एनआरसी केंद्र कुपोषित बच्चों के उपचार और पुनर्वास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में इसके बारे में जागरूकता की कमी है।
बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए समुदाय की भागीदारी जरूरी
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि सतत विकास लक्ष्य 2 को प्राप्त करने के लिए स्थानीय समुदायों की भागीदारी आवश्यक है। इसके लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा बहुओं, और पंचायत प्रतिनिधियों के माध्यम से एनआरसी केंद्रों की जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे। इन कार्यक्रमों के तहत कुपोषित बच्चों की पहचान, उन्हें समय पर एनआरसी तक पहुंचाने, और उपचार प्राप्त करने की प्रक्रिया को सुचारू किया जाएगा। एनआरसी की सेवाओं की नियमित निगरानी की जाएगी, ताकि सुधार सुनिश्चित हो सके और सतत विकास लक्ष्य की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को और प्रभावी बनाया जा सके।
जागरूकता अभियान चलाने पर जोर
सीडीपीओ और महिला पर्यवेक्षिकाओं ने बताया कि जिले के कुछ हिस्सों में एनआरसी केंद्रों के बारे में जानकारी का अभाव है। कई परिवार कुपोषण की गंभीरता को नहीं समझ पाते हैं और इस कारण एनआरसी की सेवाओं का लाभ नहीं उठा पाते। इसे ध्यान में रखते हुए, बैठक में विशेष जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया गया, जिसका उद्देश्य परिवारों को कुपोषण की पहचान, इसके दुष्प्रभाव, और एनआरसी की सेवाओं का सही उपयोग करने की जानकारी देना है। स्वास्थ्य विभाग ने इस बात पर जोर दिया कि कुपोषण से पीड़ित बच्चों की पहचान और उन्हें एनआरसी तक पहुंचाने की प्रक्रिया को और सरल और तेज़ किया जाएगा, ताकि कोई भी बच्चा आवश्यक उपचार से वंचित न रहे।