किशनगंज में बच्चों की सुरक्षा को लेकर आज एक अहम जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य मानव तस्करी, बाल श्रम और शोषण के विरुद्ध ठोस और समन्वित प्रयासों की रणनीति बनाना रहा। यह कार्यक्रम ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन’ संस्था की बाल संरक्षण इकाई और रेल विभाग के संयुक्त प्रयास से आयोजित किया गया।
कार्यशाला में जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक श्री रविशंकर तिवारी ने बच्चों की सुरक्षा को सामूहिक जिम्मेदारी बताते हुए कहा – “यदि हम सब सजग रहें तो किसी भी बच्चे का बचपन छीना नहीं जा सकता।” उन्होंने स्टेशन मास्टर, आरपीएफ, जीआरपी सहित रेलवे और पुलिस अधिकारियों से अपील की कि वे सतर्कता बनाए रखें और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखें।
इस मौके पर चाइल्डलाइन 1098, बाल कल्याण समिति (CWC), रेल सुरक्षा बल (RPF), राज्य पुलिस, और बाल संरक्षण से जुड़ी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने शिरकत की। वक्ताओं ने कहा कि बाल तस्करी और श्रम को रोकने के लिए जनता की भागीदारी बेहद ज़रूरी है। यदि कोई बच्चा संदिग्ध परिस्थितियों में नजर आए — जैसे जबरन ले जाया जा रहा हो या काम करता दिखे — तो तुरंत चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 या आपातकालीन नंबर 112 पर सूचना दें।
मुख्य उद्देश्य और बिंदु:
🔹 मानव तस्करी और बाल श्रम की रोकथाम 🔹 रेलवे स्टेशन और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में बच्चों की सुरक्षा बढ़ाना 🔹 आपात स्थितियों में तत्काल हस्तक्षेप हेतु विभागीय समन्वय 🔹 सभी हितधारकों के बीच जागरूकता और सहयोग को प्रोत्साहन
कार्यक्रम में राहत संस्था के प्रतिनिधियों ने बाल अधिकारों के संरक्षण को लेकर समाज के हर वर्ग से सजग और सक्रिय रहने की अपील की। उन्होंने बताया कि संस्था लंबे समय से बच्चों के पुनर्वास, न्याय और अधिकारों की बहाली के क्षेत्र में कार्यरत है।
यह कार्यशाला न केवल एक जागरूकता कार्यक्रम थी, बल्कि बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए एक सामूहिक प्रतिज्ञा भी थी – जिसमें समाज, प्रशासन और संस्थाएं मिलकर कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार हैं।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
किशनगंज में बच्चों की सुरक्षा को लेकर आज एक अहम जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य मानव तस्करी, बाल श्रम और शोषण के विरुद्ध ठोस और समन्वित प्रयासों की रणनीति बनाना रहा। यह कार्यक्रम ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन’ संस्था की बाल संरक्षण इकाई और रेल विभाग के संयुक्त प्रयास से आयोजित किया गया।
कार्यशाला में जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक श्री रविशंकर तिवारी ने बच्चों की सुरक्षा को सामूहिक जिम्मेदारी बताते हुए कहा – “यदि हम सब सजग रहें तो किसी भी बच्चे का बचपन छीना नहीं जा सकता।” उन्होंने स्टेशन मास्टर, आरपीएफ, जीआरपी सहित रेलवे और पुलिस अधिकारियों से अपील की कि वे सतर्कता बनाए रखें और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखें।
इस मौके पर चाइल्डलाइन 1098, बाल कल्याण समिति (CWC), रेल सुरक्षा बल (RPF), राज्य पुलिस, और बाल संरक्षण से जुड़ी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने शिरकत की। वक्ताओं ने कहा कि बाल तस्करी और श्रम को रोकने के लिए जनता की भागीदारी बेहद ज़रूरी है। यदि कोई बच्चा संदिग्ध परिस्थितियों में नजर आए — जैसे जबरन ले जाया जा रहा हो या काम करता दिखे — तो तुरंत चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 या आपातकालीन नंबर 112 पर सूचना दें।
मुख्य उद्देश्य और बिंदु:
🔹 मानव तस्करी और बाल श्रम की रोकथाम 🔹 रेलवे स्टेशन और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में बच्चों की सुरक्षा बढ़ाना 🔹 आपात स्थितियों में तत्काल हस्तक्षेप हेतु विभागीय समन्वय 🔹 सभी हितधारकों के बीच जागरूकता और सहयोग को प्रोत्साहन
कार्यक्रम में राहत संस्था के प्रतिनिधियों ने बाल अधिकारों के संरक्षण को लेकर समाज के हर वर्ग से सजग और सक्रिय रहने की अपील की। उन्होंने बताया कि संस्था लंबे समय से बच्चों के पुनर्वास, न्याय और अधिकारों की बहाली के क्षेत्र में कार्यरत है।
यह कार्यशाला न केवल एक जागरूकता कार्यक्रम थी, बल्कि बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए एक सामूहिक प्रतिज्ञा भी थी – जिसमें समाज, प्रशासन और संस्थाएं मिलकर कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार हैं।
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