पोषण को लेकर सही जानकारी रखना जरूरी है। विशेषकर गर्भवती महिलाओं के लिए सही खानपान आवश्यक है। लेकिन पोषण लेकर कई भ्रामक बातें भी समाज में व्याप्त हैं जिसे दूर किये जाने की नितांत आवश्यकता है। समेकित बाल विकास परियोजना विभाग तथा स्वास्थ्य विभाग द्वारा पोषण को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी आमजन से साझा की जा रही है। कुपोषण को दूर करने में पोषण संबंधी मिथ्याओं को दूर करना और भोजन संबंधी व्यवहार परिवर्तन लाना एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है।
गर्भवती के लिए मछली का सेवन है लाभप्रद: सदर अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डा शबनम यस्मिन ने बताया महिलाओं में गर्भवती होने के साथ ही उनमें हार्मोनल बदलाव होते हैं। इसका असर उनके खानपान संबंधित इच्छाओं और शारीरिक बदलवाओं पर पड़ता है। ऐसे में घर परिवार के लोग खानपान को लेकर अपनी राय गर्भवती पर थोपने लगते हैं। इनमें से कुछ सलाह मददगार होते हैं तो कई ऐसे मिथक होते हैं जिसे पूरी तरह से खारिज किया जाना चाहिए। कई लोग गर्भवती को मछली सेवन नहीं करने और मछली के तेल से दूरी बनाए रखने की सलाह देते हैं। सच्चाई यह है कि मछली एक स्वस्थ आहार है। मछली में बड़ी मात्रा में प्रोटीन मिलते हैं। इसमें वसा भी कम होता है। कई बार स्वस्थ गर्भावस्था के लिए बहुत अधिक मांस खाने की सलाह दी जाती है। लेकिन ऐसा नहीं है। मांस का सेवन संतुलित रूप से किया जाना चाहिए। यह जरूर है कि मांस से प्रोटीन मिलता है लेकिन बहुत अधिक मांस का सेवन रक्तचाप को बढ़ाता है। मांस में वसा अधिक होता है। पका पपीता हानिकारक नहीं होता है। पका पपीता में विटामिन ए का मुख्य स्रोत होता है। सही तरीके से पका पपीता लाभकारी है।
टेबलेट से ज्यादा पोषण युक्त भोजन जरूरीः गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने बाते की एक मिथ्या है जो समाज में आमतौर पर हर जगह मिलता है। गर्भावस्था में गर्भवती को अधिक से अधिक भोजन लेना चाहिए। लोगों का मानना है कि एक गर्भवती ऐसे समय में दो लोगों के लिए खाना खा रही होती है। सच्चाई यह है कि अधिक खाना खाने से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि गर्भवती को उच्च पोषक तत्व वाले भोजन लेना चाहिए। उच्च पोषण वाले भोजन से ऊर्जा का संचार बना रहता है। इससे गर्भवती का मन चिड़चिड़ा नहीं होता है। गर्भावस्था में जरूरत से ज्यादा ऐसा भोजन नहीं करें। कई लोग गर्भवती के लिए न्यूट्रिशन सप्लीमेंट के रूप में कई प्रकार के टेबलेट आदि को बहुत अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि यदि गर्भवती को उच्च पोषण वाले आहार मिल रहे हों तो ऐसे टेबलेट की बहुत अधिक जरूरत नहीं होती है। सप्लीमेंटस की जगह हरी सब्जियां और मौसमी फल के अलावा दूध, दही, दाल, अनाज अवश्य लें। हां यह ध्यान रहें कि भोजन समय पर खाना सबसे जरूरी है।
संतुलित मात्रा में पी जा सकती है चाय कॉफी: महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ आशिया नूरी गर्भवती महिलाओं को चाय कॉफी से दूर रहने के लिए कहा जाता है। लेकिन सच यह है कि इसका सेवन संतुलित मात्रा में किया जाना चाहिए। कई लोगों का मानना है कि गर्भावस्था में अधिक गर्म या मसालेदार भोजन गर्भपात का कारण बन सकता है। उचित मात्रा में मसाला तथा गर्म भोजन से कोई नुकसान नहीं होता है। यह बात जरूर है कि अधिक तैलीय या मसालेदार भोजन सीने में जलन पैदा कर सकते हैं।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
पोषण को लेकर सही जानकारी रखना जरूरी है। विशेषकर गर्भवती महिलाओं के लिए सही खानपान आवश्यक है। लेकिन पोषण लेकर कई भ्रामक बातें भी समाज में व्याप्त हैं जिसे दूर किये जाने की नितांत आवश्यकता है। समेकित बाल विकास परियोजना विभाग तथा स्वास्थ्य विभाग द्वारा पोषण को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी आमजन से साझा की जा रही है। कुपोषण को दूर करने में पोषण संबंधी मिथ्याओं को दूर करना और भोजन संबंधी व्यवहार परिवर्तन लाना एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है।
गर्भवती के लिए मछली का सेवन है लाभप्रद: सदर अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डा शबनम यस्मिन ने बताया महिलाओं में गर्भवती होने के साथ ही उनमें हार्मोनल बदलाव होते हैं। इसका असर उनके खानपान संबंधित इच्छाओं और शारीरिक बदलवाओं पर पड़ता है। ऐसे में घर परिवार के लोग खानपान को लेकर अपनी राय गर्भवती पर थोपने लगते हैं। इनमें से कुछ सलाह मददगार होते हैं तो कई ऐसे मिथक होते हैं जिसे पूरी तरह से खारिज किया जाना चाहिए। कई लोग गर्भवती को मछली सेवन नहीं करने और मछली के तेल से दूरी बनाए रखने की सलाह देते हैं। सच्चाई यह है कि मछली एक स्वस्थ आहार है। मछली में बड़ी मात्रा में प्रोटीन मिलते हैं। इसमें वसा भी कम होता है। कई बार स्वस्थ गर्भावस्था के लिए बहुत अधिक मांस खाने की सलाह दी जाती है। लेकिन ऐसा नहीं है। मांस का सेवन संतुलित रूप से किया जाना चाहिए। यह जरूर है कि मांस से प्रोटीन मिलता है लेकिन बहुत अधिक मांस का सेवन रक्तचाप को बढ़ाता है। मांस में वसा अधिक होता है। पका पपीता हानिकारक नहीं होता है। पका पपीता में विटामिन ए का मुख्य स्रोत होता है। सही तरीके से पका पपीता लाभकारी है।
टेबलेट से ज्यादा पोषण युक्त भोजन जरूरीः गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने बाते की एक मिथ्या है जो समाज में आमतौर पर हर जगह मिलता है। गर्भावस्था में गर्भवती को अधिक से अधिक भोजन लेना चाहिए। लोगों का मानना है कि एक गर्भवती ऐसे समय में दो लोगों के लिए खाना खा रही होती है। सच्चाई यह है कि अधिक खाना खाने से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि गर्भवती को उच्च पोषक तत्व वाले भोजन लेना चाहिए। उच्च पोषण वाले भोजन से ऊर्जा का संचार बना रहता है। इससे गर्भवती का मन चिड़चिड़ा नहीं होता है। गर्भावस्था में जरूरत से ज्यादा ऐसा भोजन नहीं करें। कई लोग गर्भवती के लिए न्यूट्रिशन सप्लीमेंट के रूप में कई प्रकार के टेबलेट आदि को बहुत अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि यदि गर्भवती को उच्च पोषण वाले आहार मिल रहे हों तो ऐसे टेबलेट की बहुत अधिक जरूरत नहीं होती है। सप्लीमेंटस की जगह हरी सब्जियां और मौसमी फल के अलावा दूध, दही, दाल, अनाज अवश्य लें। हां यह ध्यान रहें कि भोजन समय पर खाना सबसे जरूरी है।
संतुलित मात्रा में पी जा सकती है चाय कॉफी: महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ आशिया नूरी गर्भवती महिलाओं को चाय कॉफी से दूर रहने के लिए कहा जाता है। लेकिन सच यह है कि इसका सेवन संतुलित मात्रा में किया जाना चाहिए। कई लोगों का मानना है कि गर्भावस्था में अधिक गर्म या मसालेदार भोजन गर्भपात का कारण बन सकता है। उचित मात्रा में मसाला तथा गर्म भोजन से कोई नुकसान नहीं होता है। यह बात जरूर है कि अधिक तैलीय या मसालेदार भोजन सीने में जलन पैदा कर सकते हैं।
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