राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
जिले के ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दस्तावेज को मिलेगा सजीव स्वरूप
किशनगंज जिले के इतिहास, भूगोल, संस्कृति, समाज, अर्थव्यवस्था और विकास की व्यापक जानकारी को संकलित करने हेतु तैयार किए जा रहे ‘किशनगंज जिला गजेटियर’ के प्रारूप प्रकाशन की प्रक्रिया का विधिवत शुभारंभ कर दिया गया है। इस सिलसिले में महानंदा सभागार, समाहरणालय किशनगंज में प्रथम बैठक का आयोजन हुआ, जिसकी अध्यक्षता संयुक्त निदेशक, आईएचडी एवं सेवानिवृत्त आईएएस डॉ. श्रीरंजन ने की।
बैठक में जिला पदाधिकारी श्री विशाल राज समेत जिले के कई प्रमुख पदाधिकारी, समाजसेवी और विषय विशेषज्ञ मौजूद रहे।
गजेटियर का महत्व एवं उद्देश्य
डॉ. श्रीरंजन ने बताया कि यह गजेटियर किशनगंज जिले का पहला प्रामाणिक दस्तावेज होगा, जिसमें जिले की ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, पर्यावरणीय, आर्थिक और भौगोलिक विशेषताओं को समाहित किया जाएगा। यह दस्तावेज शोधकर्ताओं, योजनाकारों, नीति निर्धारकों और नागरिकों के लिए समान रूप से उपयोगी सिद्ध होगा।
उन्होंने यह भी बताया कि पूर्णिया, कटिहार, अररिया, सहरसा, सुपौल और मधेपुरा सहित अन्य जिलों के गजेटियर भी एक साथ प्रकाशित किए जाएंगे।
गजेटियर की प्रमुख विशेषताएं
जिले के भूगोल, जनसांख्यिकी, सामाजिक ताने-बाने, कृषि, उद्योग, धार्मिक स्थलों, ऐतिहासिक विरासत और जल संसाधनों का सम्यक विवरण।
1960 के बाद हुए सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों को प्रमुखता से समाहित किया जाएगा।
किशनगंज के औद्योगिक एवं निवेश संभावनाओं, पर्यटन स्थलों और प्रमुख सांस्कृतिक परंपराओं का दस्तावेजीकरण।
गंगा-जमुनी तहज़ीब, चाय, मक्का, स्ट्रॉबेरी व अनानास जैसी कृषि विशेषताओं का उल्लेख।
मौखिक इतिहास (Oral History) को भी शोध-साक्ष्यों के साथ प्रस्तुत किया जाएगा।
प्रक्रिया और आगामी चरण
डॉ. श्रीरंजन ने बताया कि अगले छह महीनों में प्रथम ड्राफ्ट तैयार कर जिला प्रशासन को सौंपा जाएगा, जिसके उपरांत सुझावों के आधार पर संशोधन कर एक वर्ष में अंतिम प्रकाशन किया जाएगा। इसके लिए शोध टीम किशनगंज में रहकर स्थानीय जानकारों, समाजसेवियों और विभागीय अधिकारियों से फील्ड डेटा एकत्रित करेगी।
जिला पदाधिकारी श्री विशाल राज ने सभी विभागों को निर्देशित किया कि वे अपने विभाग से संबंधित प्रमाणिक और अद्यतन आंकड़े शीघ्र गजेटियर समिति को उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा कि यह दस्तावेज जिले की पहचान का स्तंभ बनेगा।
सुझावों की भागीदारी
बैठक में प्रो. सजल प्रसाद, एडवोकेट फरजाना बेगम, मिक्की साह (रेड क्रॉस महासचिव), सुखसागर नाथ सिन्हा (प्रेस क्लब अध्यक्ष) सहित अन्य प्रमुख व्यक्तियों ने अपने बहुमूल्य सुझाव साझा किए।
इनमें संथाल परगना के सामाजिक इतिहास, सुरजापुरी भाषा, चकला गांव, चावल का भक्का, किशनगंज के गठन हेतु 8 वर्षों का जनांदोलन, SSB और BSF की भूमिका, किशनगंज प्रीमियर लीग, क्राइम डेटा, और जिले के नामकरण से जुड़ी जानकारियों को सम्मिलित करने का आग्रह किया गया।
विशेषज्ञों की टीम और सहयोग की अपील
डॉ. श्रीरंजन ने यह भी बताया कि कोई भी संस्था या व्यक्ति जो किशनगंज से जुड़े ऐतिहासिक या सांस्कृतिक तथ्य साझा करना चाहता है, वह आगामी तीन दिनों के भीतर शोध टीम से संपर्क कर सकता है।
गजेटियर समिति में डॉ. अश्विनी कुमार, डॉ. मुबारक अली, श्री आदर्श कुमार, डॉ. रविशंकर, श्री सनी कुमार जैसे शोधकर्ता व विशेषज्ञ शामिल हैं।
उपस्थित अधिकारीगण:
श्री अमरेन्द्र कुमार पंकज (एडीएम)
श्री संदीप कुमार (जिला भू-अर्जन पदाधिकारी)
श्री कुंदन कुमार सिंह (जनसम्पर्क पदाधिकारी)
अन्य विभागों के प्रतिनिधि और जिला स्तरीय अधिकारी
यह गजेटियर न केवल दस्तावेज होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक शोधपरक विरासत का रूप लेगा — इसके लिए नागरिकों, प्रशासन और समाजसेवियों के समर्पित सहयोग की आवश्यकता है।
Leave a Reply